डॉ॰ राकेश कुमार आर्य जब तक ये तथ्य हमारे सामने नहीं लाये जाएंगे-तब तक हमारे भीतर इस शब्द को अपनाने में हीन भाव बना रहेगा। वस्तुत: हिन्दू एक चुनौती का नाम है, जिसका पर्याय काला, काफिर आदि हो ही नहीं सकते। यह चुनौती वही है जो मध्यकाल में हमारे पूर्वजों द्वारा विदेशी मुस्लिम आक्रांताओं को […]
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*पहले मुसलमान बजाते थे ताली अब हिन्दू बजाते हैं ताली* पृथ्बीराज चौहान के हस्र से सबक नहीं लेने वाले इतिहास के गर्त में समा जायेंगे ====================================== 2014 के पहले पुष्पेन्द्र कुलश्रेष्ठ मुसलमानों के अति समर्थक थे और उनकी टोली में मुसलमान होते थे। वे अपने आप को कुरान और इस्लाम के विशेषज्ञ बताते थे और […]
इस्लामिक स्कॉलर डॉ रिज़वान अहमद किसी परिचय का मौहताज नहीं। जिन्हे अक्सर टीवी पर चर्चाओं में देखा जाता है। इनके मुंह खोलते ही कट्टरपंथियों की ग्लानि भी सुननी पड़ती है, लेकिन रिज़वान भी कहाँ पीछे रहने वाले, धो डालते हैं कट्टरपंथियों को उन्हीं के अंदाज में। अपने face to face में नूपुर शर्मा के कथन […]
तरुण विजय परन्तु आने वाले समय में कौन अब्दुल कलाम और राजेंद्र प्रसाद बनते हैं यह काल के गर्भ में छिपा होता है और पदासीन व्यक्ति की चैतन्य धारा की शक्ति ही बता पाती है। द्रौपदी मुर्मू ने देश में एक असामान्य हर्ष और आशा का संचार किया है। राष्ट्रपति पद पर श्रीमती द्रौपदी मुर्मू […]
ललित गर्ग आज देश में विपक्ष के पास खासकर कांग्रेस या किसी भी दल के पास कोई प्रभावी नेतृत्व नहीं है, जो देश की ज्वलंत समस्याओं के समाधान के लिये अपनी स्वतंत्र सोच को उभार सकें। भाजपा और संघ परिवार पर वार करने लिए कोई धारधार हथियार भी इनके पास नहीं है। भारतीय लोकतंत्र के […]
* इतिहास में तीन बार हिन्दुओं का अस्तित्व समाप्त होने ही वाला था। वो समस्याएँ आज के परिदृश्य से ज्यादा भयानक थीं, क्योकि उस समय हिन्दुओं को जोड़ने के लिये कोई सोशल मीडिया नहीं था।* *पहली चुनौती थी बौद्ध धर्म की। बौद्ध धम्म भले ही कोई अलग धर्म नहीं था, मगर उसने भारतवासियों में अहिंसा […]
अजय कुमार राष्ट्रपति चुनाव में राजग प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू को उत्तर प्रदेश से 282 वोट से बढ़कर 287 वोट मिले जो चौंकाने वाली बात थी। यूपी से विपक्ष के साझा उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के 119 तय माने जा रहे वोटों में आठ मतों की सेंध अखिलेश यादव की सियासी दूरदर्शिता पर प्रश्न चिन्ह खड़ा कर […]
*राष्ट्र-चिंतन* *आचार्य श्री विष्णुगुप्त* ==================== पड़ोसी देश और राजनीतिक अराजकता तथा भीषण आर्थिक संकट को झेल रहे श्रीलंका को भारत की मदद की कसौटी पर दो पहलुओं पर विचार करना जरूर जरूरी है। एक पहलू प्रशंसा का है तो दूसरा पहलू विरोध का है। प्रशंसा वाला पहला पहलू भारत की आर्थिक और मानवीय सहायता का […]
“सूचना युद्ध का कमजोर मोर्चा “
लेखक श्री दिव्य कुमार सोती जी (काउंसिल आफ स्ट्रेटजिक अफेयर्स से संबद्ध सामरिक विश्लेषक हैं) (साभार: दैनिक जागरण: 16.7.2022) इसे सूचना युद्ध से निपटने की तैयारी में कमी नहीं तो और क्या कहेंगे कि दावत-ए-इस्लामी सरीखा पाकिस्तानी संगठन भारत में ऑनलाइन कोर्स चला रहा है? नूपुर शर्मा के बयान को लेकर देश के विभिन्न भागों […]
आलेख :- प्रो॰कुसुमलता केडिया किसी भी सभ्यता का इतिहास उस समाज की शिक्षा का इतिहास भी होता है क्योंकि सभ्यता के लिए आवश्यक पुरुषार्थ अपने ज्ञान परंपरा के संदर्भ में ही संभव होते हैं और किस समाज ने ज्ञान के किन-किन रूपों की साधना की है और कितना और कैसा ज्ञान अर्जित किया है , […]