भाग्यश्री बोयवाड महाराष्ट्र हमारे देश की अर्थव्यवस्था में असंगठित क्षेत्र का एक बड़ा योगदान है. एक आंकड़े के अनुसार करीब 40 करोड़ लोग इस क्षेत्र में काम करते हैं. जिसमें बड़ी संख्या महिलाओं की है. कपड़े और गहने की छोटी बड़ी दुकानों के काउंटरों पर ज़्यादातर महिलाएं और किशोरियां ही नज़र आती हैं. ये अधिकतर […]
Category: महत्वपूर्ण लेख
रामचरित मानस और बिहारी गिरमिटिया
बिहार के शिक्षा मन्त्री ने जान बूझकर तुलसीदास, महर्षि मनु और गोलवलकर को गाली दी। वास्तव में नेता का उद्देश्य किसी ग्रन्थ के गुण दोष नहीं बल्कि समाज मे द्वेष फैलाना था। यह लेख केवल रामचरित मानस के हिन्दुत्व की रक्षा में योगदान के विषय मे है। गिरमिटिया। यह शब्द आपने शायद ही सुना हो। […]
स्वतंत्र, कानून का पालन करने वाले संस्थान आवश्यक जांच और संतुलन सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे मजबूत और लचीले लोकतंत्रों के लिए अंतिम आधार प्रदान करते हैं। हाल ही में, भारत में समाज के कमजोर वर्गों द्वारा विरोध की कई घटनाएं हुई हैं। इसके अलावा, असहमति के दमन की प्रकृति कानून प्रवर्तन […]
प्रवीण गुगनानी, विदेश मंत्रालय, भारत सरकार मे राजभाषा सलाहकार “तोड़ दूंगा ये सारे बुत ए खुदा पहले यह तो बता तुझको इनसे इतनी जलन क्यों है। आए हैं कहां से ये बुत तेरे ही बनाए हुए पत्थरों और मिट्टियों से पहले यह तो बता की उन पत्थरों और मिट्टियों में क्या तू नही है?” किसी […]
ऐसा कहा जा रहा है कि आगे आने वाले समय में विश्व में पानी को लेकर युद्ध छिड़ने की स्थितियां निर्मित हो सकती हैं, क्योंकि जब भूगर्भ में पानी की उपलब्धता यदि इसी रफ्तार से लगातार कम होती चली जाएगी तो वर्तमान स्थानों (शहरों एवं गावों में) पर निवास कर रही जनसंख्या को अन्य स्थानों […]
अजय कुमार यह देश का दुर्भाग्य है कि 21वीं सदी में भी हम जातिवाद में उलझे हुए हैं। एक तरफ समाज के सभी वर्गों में समानता लाने के लिए तमाम समाजसेवी संगठन मुहिम चला रहे हैं तो वहीं कई राजनैतिक दल वोट बैंक की सियासत के सहारे सत्ता सुख भोगने के लिए जातिगत जनगणना कराये […]
मूल्य 150 रूपए. प्राप्ति के लिए 7015591564 पर WHATSAPP करे, भारतवर्ष के इतिहास में महर्षि दयानन्द पहले व्यक्ति हैं जिन्होंने अहिन्दी भाषी गुजराती होते हुए पराधीन भारत में सबसे पहले राष्ट्रीय एकता एवं अखण्डता के लिए हिन्दी को सर्वाधिक महत्वपूर्ण जानकर मन, वचन व कर्म से इसका प्रचार-प्रसार किया। 16 दिसम्बर, 1872 को स्वामीजी वैदिक […]
जैसी माँ वैसी बेटी !
जैसी माँ वैसी बेटी ! भारतीय परम्परा में महिलाओं को पूज्यनीय मानकर आदर और सम्मान दिया जता है।लेकिन इतिहास साक्षी है की जब भी किसी विदेशी वर्णसंकर महिला के हाथों में असीमित अधिकार आजाते हैं तो वह सत्ता के मद में अंधी हो जाती है।और देश,समाज,व् अपने परिवार के लिए घातक बन जाती है। ऎसी […]
अधूरी सड़क से पूरा विकास संभव नहीं
हरीश कुमार पुंछ, जम्मू केंद्र प्रशासित जम्मू कश्मीर बदलाव की दिशा में तेज़ी से कदम बढ़ा रहा है. यदि अशांति के कुछ मामलों को छोड़ दिया जाए तो पहले की अपेक्षा इस केंद्र शासित क्षेत्र में विकास के कई स्वरुप देखने को मिले है. बड़ी संख्या में निवेशकों के यहां रुचि दिखाने से रोज़गार के […]
प्रह्लाद सबनानी प्रवासी भारतीयों का भारत की विभिन्न कम्पनियों में विदेशी निवेश भी बहुत तेज गति से बढ़ रहा है। इसका अच्छा प्रभाव यह भी देखने में आ रहा है कि प्रवासी भारतीयों की देखादेखी इन देशों के मूल निवासी भी भारत में अपने विदेशी निवेश को बढ़ा रहे हैं। प्रत्येक वर्ष 9 जनवरी को […]