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हिंदी के लिए बर्बादी का कारण बनी हिंग्लिश

राजेश कश्यपआजकल राष्ट्रभाषा हिन्दी बेहद नाजुक दौर से गुजर रही है। वैश्विक पटल पर अपनी प्रतिष्ठा को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए विभिन्न चुनौतियों से जूझ रही हिन्दी के समक्ष भारी धर्मसंकट खड़ा हो चुका है। इस धर्मसंकट का सहज अहसास भारत सरकार के गृह मंत्रालय और राजभाषा विभाग की सचिव वीणा उपाध्याय द्वारा गतवर्ष […]

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सुशासन बाबू के किले में सुरंग

ढोल का पोल खुल गया है। यह कहावत बिहार में चरितार्थ हो रहा है। नीतीश कुमार के सुशासन के गुब्बारे में लगता है कि पिन लग गई है। ऐसा इसलिए कि मजबूत किलेबंदी के बावजूद नीतीश कुमार की लोकप्रियता के मिथ आजकल राष्ट्रीय मीडिया में टूट कर बिखर चुका है। इसकी पृष्ठभूमि पहले से ही […]

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30 सितंबर को पचासवीं पुण्यतिथि पर विशेष

अंग्रेजों के शासन से मुक्ति के लिए जिन स्वदेश प्रेमी राष्ट्रभक्तों ने सतत संघर्ष किया-उनमें महात्मा गांधी, महामना पं. मदनमोहन मालवीय, लाला लाजपतराय, राजर्षि पुरूषोत्तम दास टंडन की श्रंखला में ही एक विभूति थे लाला हरदेवसहाय। इस महान विभूति ने अपना सर्वस्व स्वदेश, स्वदेशी व स्वाधीनता के लिए जीवन अर्पित कर भारतीय स्वाधीनता संग्राम के […]

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क्यों जलाया गया था नालंदा विश्वविद्यालय?

एक सनकी और चिड़चिड़े स्वभाव वाला तुर्क मियां लूटेरा था बख्तियार खिलजी. इसने 1199 इसे जला कर पूर्णत: नष्ट कर दिया। उसने उत्तर भारत में बौद्धों द्वारा शासित कुछ क्षेत्रों पर कब्ज़ा कर लिया था. एक बार वह बहुत बीमार पड़ा उसके हकीमों ने उसको बचाने की पूरी कोशिश कर ली। मगर वह ठीक नहीं […]

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नलकूप क्रांति से मिल रही है नई चुनौती

प्रमोद भार्गव हमारे देश में बीते चौसठ सालों के भीतर जिस तेजी से कृत्रिम, भौतिक और उपभोक्तावादी संस्कृति को बढावा देने वाली वस्तुओं का उत्पादन बढ़ा है उतनी ही तेजी से प्राकृतिक संसाधनों का या तो क्षरण हुआ है या उनकी उपलब्धता घटी है। ऐसे प्राकृतिक संसाधनों में से एक है पानी। ‘जल ही जीवन […]

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पर्यावरण संकट को बढ़ाती हिमालय की दुर्दशा

दिनेश पंतइस वर्ष देश में उम्मीद से कम और अनियमित वर्षा ने ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ते खतरे की चिंता को बढ़ा दिया है। विकास और उन्नति के नाम पर औद्योगिकीकरण ने पर्यावरण को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाया है। निवेश के बढ़ते अवसर ने गांव को भी तरक्की के नक्षे पर मजबूती से उकेरा है। गांवों […]

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असम का हिंसाचार: जिन्ना और भुट्टोवादी सोच का परिणाम

19 जुलाई से पूर्वोत्तर के असम प्रांत में जारी हिंसा को लेकर पूरा देश चिंतित है। इस हिंसा को लेकर जहां देश के तमाम राजनीतिक दल तरह-तरह के तर्क प्रस्तुत कर रहे हैं वहीं गैर राजनीतिक संगठनों द्वारा भी अनेक प्रकार की बातें कही जा रही हैं। आखिर इस हिंसा का कारण क्या है? क्या […]

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‘कोलगेट’ पर प्रधानमंत्री का लचर बचाव / लालकृष्ण आडवाणी

कोयला आवंटन को लेकर संसद में गतिरोध एक सप्ताह से ज्यादा समय से बना हुआ है। एनडीए ने इस गतिरोध को समाप्त करने हेतु प्रस्ताव दिया है कि इन सभी आवंटनों को रद्द कर दिया जाए और इन्हें आवंटित करने वाली स्क्रीनिंग कमेटी की प्रक्रिया की न्यायिक जांच कराई जाए। सरकार इस पर अभी तैयार […]

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मृत्यु शय्या पर पड़े भीष्म से नही पूछा कोई सवाल

द्रोपदी जैसी सन्नारी पर एक आरोप ये भी है कि जब महाभारत युद्घ के पश्चात पाण्डवों को मृत्यु शय्या पर पड़े भीष्म ने उपदेश दिये तो उस समय द्रोपदी ने बीच में हस्तक्षेप करते हुए पितामह से कहा कि आपके ये उपदेश उस समय कहां गये थे जब मेरा चीरहरण किया जा रहा था। कहा […]

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हिंदी भाषा: हमारे राष्ट्रीय गौरव की प्रतीक

कृष्ण चंद्र टवाणी राष्ट्र में भावनात्मक एकता स्थापित करने तथा उसके उत्थान व विकास में भाषा का महत्वपूर्ण स्थान होता है। इसी दृष्टिकोण में भारतीय संविधान में हिंदी को ही राष्ट्रभाषा घोषित किया गया है। हिंदी हमारे राष्ट्र की आत्मा है, प्राण है। चेकोस्कोवाकिया के प्रसिद्घ हिंदी विद्वान डॉक्टर ओदोलेन स्मेकल के विचारों को यहां […]

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