तनवीर जाफऱीयदि हम इस्लाम के लगभग साढ़े चौदह सौ वर्षों के इतिहास को पलट कर देखें तो हमें यही मिलेगा कि इस्लाम धर्म को सबसे अधिक नुक़सान इस्लाम विरोधियों,तथाकथित काफिऱों , मुशरिकों या इस्लामी दुश्मन शक्तियों द्वारा नहीं बल्कि दुर्भाग्यवश उन्हीं लोगों द्वारा पहुंचाया गया है जो एक अल्लाह के नाम का कलमा पढ़ते थे, […]
Category: महत्वपूर्ण लेख
डा0 कुलदीप चंद अग्निहोत्रीप्रणव मुखर्जी पिछले दिनों बंगला देश की यात्रा पर गये थे । इस प्रकार की यात्राओं का उद्देश्य बहुत हद तक दोनों देशों के बीच सम्बध बढ़ाना और आत्मीयता स्थापित करना ही होता है । इस लिये यात्रा से पहले ऐसे कारकों की पहचान भी कर ली जाती है जो दोनों देशों […]
जापानी उद्योगों का हब बनता नीमराना
गोपेन्द्र नाथ भट्टदिल्ली, जयपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर पर्यटकों को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित करने वाले नीमराना फोर्ट और आभानेरी जैसी कलात्मक बावडी के लिए देशद्ब्रदुनिया में प्रसिद्घ ऐतिहासिक ‘नीमराना’ कस्बे में इन दिनों जापानी उद्यमियों की चहल पहल देखते ही बनती है। जापान के उद्यमियों द्वारा यहां लगाए जा रहे उद्योगों के कारण यह […]
मनीराम शर्माब्रिटिश सरकार ने भारत के देशी उद्योग धंधों को नष्ट कर दिया था। कच्चा माल ब्रिटेन जाता था और बदले में तैयार माल आता था। इस प्रकार देश का शासन विशुद्ध व्यापारिक ढंग से संचालित था। स्वतंत्रता के पश्चात देशवासियों को आशा बंधी थी कि रोजगार में वृद्धि से देश में खुशाहाली आएगी और […]
अरविंद छाबड़ाओम जय जगदीश हरे। ये आरती उत्तर भारत में वर्षों से करोड़ों हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को स्वर देती रही हैए लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसके रचयिता पर ब्रितानी सरकार के खिलाफ प्रचार करने के आरोप भी लगे थे। पंजाब के छोटे से शहर फि ल्लौर के रहने वाले श्रद्धा राम फि […]
विनोद बंसलभारत व्रत पर्व व त्यौहारों का देश है। यूं तो काल गणना का प्रत्येक पल कोई न कोई महत्व रखता है किन्तु कुछ तिथियों का भारतीय काल गणना (कलैंडर) में विशेष महत्व है। भारतीय नव वर्ष (विक्रमी संवत्) का पहला दिन (यानि वर्ष-प्रतिपदा) अपने आप में अनूठा है। इसे नव संवत्सर भी कहते हैं। […]
लंदन। अपनी भव्य दावतों और स्वादिष्ट व्यंजनों के शौक के लिए मशहूर ब्रिटेन का शाही घराना कभी मानव मांस खाने का भी शौकीन रहा है। एक किताब में इस बात का खुलासा किया गया है। ममीज, कैनिबाल्स एंड वैम्पायर किताब में खुलासा किया गया है कि ब्रिटेन के शाही घराने के लोग सम्भवत 18वीं सदी […]
प्रवीण गुगनानी भारत जैसे विशाल राष्ट्र मैं विवाद और विषय आते जाते रहते है और इनका उलझना सुलझना भी एक सामान्य प्रक्रिया है किन्तु जिस प्रकार से पिछले वर्षों मैं संस्कृति से जुड़े विषयों पर सरकार का रुख प्रगतिवादी होने के नाम पर भारतीयता और हिन्दुत्व का विरोधी होता जा रहा है वह एक बड़ी […]
शक्कर की मिठास में कड़वाहट
सतीश सिंहमिठास में कड़वाहट घोलने की तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है। उत्पाद शुल्क फिलहाल तो नहीं बढ़ाया गया है, लेकिन महज इसकी चर्चा मात्र से बीते सप्ताह में इसके वायदा भाव में 2.5 प्रतिशत और हाजिर भाव में 1 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। तत्पश्चात उत्तर प्रदेश में शक्कर का भाव (मिल कीमत) तकरीबन […]
आशीष वशिष्ठदेश के आम आदमी की बात आखिरकर कौन करेगा ये यक्ष प्रश्न है। राजनीतिक दल, सामाजिक संगठन, सामाजिक कार्यकर्ता या फिर मीडिया। आम आदमी किसी की प्राथमिकता नहीं है। अगर देश के किसी कोने से आम आदमी के लिए आवाज उठती है तो उसमें स्वार्थ की चासनी लिपटी होती है। नि:स्वार्थ भाव से कोई […]