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आतंकवाद की जननी जिहादी शिक्षा

आज तक यही सुनते आ रहे हैं कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता और अशिक्षा, गरीबी व बेरोजगारी के कारण ही युवा आतंकवादी बनते हैं। क्या यह सत्य है? यदि ऐसा होता है तो आतंकवादी भारत में प्राय: हिन्दू बहुल इलाको, मंदिरों आदि जगहों पर ही क्यों बम-विस्फोट या हमले करते हैं। यासीन भटकल, […]

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नमन उस दिव्यात्मा को

पूज्य पिताश्री महाशय राजेन्द्र सिंह आर्य जी की 23वीं पुण्यतिथि 13 सितंबर 2013 पर सारा ‘उगता भारत’ परिवार उन्हें हार्दिक श्रद्घांजलि अर्पित करता है। पिताश्री का आदर्श जीवन हमारे समक्ष सदा ही एक नजीर बनकर उपस्थित रहता है। 5 अक्टूबर 1911 से 13 सितंबर 1991 तक वह इस धर्म धरा पर विचरे। उनके विचार मोतियों […]

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धन का अंधाधुंध उपभोग चुनौती बन रहा है

नवधनाढय परिवार में विवाह की गहमागहमी। दूल्हा तथा उसके पिता सहित तताम बाराती शराब के नशे में धुत्त होकर भंगड़ा नृत्य कर रहे हैं। महिलाएं भी इस माहौल में शामिल हो जाती हैं।बारात की चढ़त में नचनियों के सिर पर नोटों के बार फेर किये जा रहे हैं। सौ साथ के नोट हवा में लहराए […]

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भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम

उद्देश्य और योजना- राष्ट्रीय विकास के लिए अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी के प्रयोग में आत्मनिर्भरता को प्राप्त करना भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का उद्देश्य है। मुख्य क्षेत्र हैं-1. भिन्न राष्ट्रीय अनुप्रयोग जैसे दूरसंचार, टीवी प्रसारण, आकाशवाणी के लिए उपग्रह सँचार। 2. दूरसंवेदी द्वारा संसाधन सर्वेक्षण और प्रबंधन, पर्यावरण जाँच पड़ताल और मौसम विज्ञान सम्बंधी सेवाएँ। 3. उपर्युक्त […]

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वीरबन्दा बैरागी ने कहा-मातृभूमि जय जननी

रमाकांत पांडे‘सर हिंद की दीवार’ जिसमें गुरूगोविंद सिंह के दो सुकुमार पुत्र बलात चुन दिये गये थे, उसके पार्श्व में बैठा एक दरवेश रो रहा था, बड़े बड़े आंसुओं में जार जार उसका स्मश्रु अश्रुओं से भीग चला था।काले कपड़ों और नंगे आये उसे बहुत देर हो गयी। उसकी रूलाई शांत न हो रही थी, […]

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चीन के विषय में स्वातन्त्रयवीर सावरकर के विचार

शिव कुमार गोयल(1962 में चीन ने भारत पर आक्रमण किया। चीन ने आक्रमण के साथ साथ भारत की पीठ में भी छुरा घोंपा। वह हमसे हिंदी चीनी भाई-भाई का नारा लगाकर मित्रता का ढोंग करता रहा और हमें मारने की नीतियां भी चलता रहा। आज फिर वही हालात चीन की ओर से भारत की सीमा […]

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हमारे लोकतंत्र का पावन मंदिर : संसद भवन

सुभाष कश्यपभारत की राजनीतिक व्यस्था को, या सरकार जिस प्रकार बनती और चलती है, उसे संसदीय लोकतंत्र कहा जाता है। ग्राम-पंचायतें हमारे जन-जीवन का अभिन्न अंग रही है। पुराने समय में गांवो की पंचायत चुनाव से गठित की जाती थी। उसे न्याय और व्यवस्था, दोनों ही क्षेत्रों में खूब? अधिकार मिले हुए थे। पंचायतों के […]

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स्वतंत्रता दिवस की 66वीं वर्षगांठ (१५-८-२०१३)

देश में पुन: 1947 वाली दशा दिखाई दे रही है। मजबूत नेता न होने से समस्याएं बढ़ती ही जा रही हैं। भ्रष्टाचार-बलात्कार-गैंगरेप जैसी घटनाओं में अभूतपूर्व वृद्घि हुई है जिससे सिर शर्म से झुक जाता है। खाने पीने की वस्तुओं में मिलावट-नकली मिठाईयां, सिंथैटिक दूध नकली देशी घी, विदेशी खादों के अधिक प्रयोग से सब्जियों […]

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पुलिस थाने के समान सरकारी संगठन

मनीराम शर्माप्राय: अखबारों की सुख़िर्यों में ख़बरें रहती हैं कि अमुक अपराध में पुलिस ने एफ़ आई आर नहीं लिखी और अपराधियों को बचाया है। पुलिस का कहना होता है कि लोग व्यक्तिगत रंजिशवश झूठी एफ़ आई आर लिखवाते हैं और इससे उनके इलाके में अपराध के आंकड़े अनावश्यक ही बढ़ जाते हैं जिससे उनकी […]

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दिग्गी जी! दिमागी दिवालियापन दूर करो

राकेश कुमार आर्यकांग्रेस ने विपक्षी दलों का उपहास उड़ाकर व्यंग्य पूर्ण किंतु अतार्किक भाषा में उनकी बातों का उत्तर देने के लिए अपने पास कोई न कोई स्तरहीन नेता अवश्य रखा है। वर्तमान में इस कांग्रेसी प्रवृत्ति का नेतृत्व दिग्विजय सिंह कर रहे हैं। वह जो चाहे बोल जाते हैं, कांग्रेस की ‘राजमाता’ की चुप्पी […]

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