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ईरान से इंडोनेशिया तक सारा हिन्दुस्थान

ईरान से इंडोनेशिया तक सारा हिन्दुस्थानईरान – ईरान में आर्य संस्कृति का उद्भव 2000 ई. पू. उस वक्त हुआ जब ब्लूचिस्तान के मार्ग से आर्य ईरान पहुंचे और अपनी सभ्यता व संस्कृति का प्रचार वहां किया। उन्हीं के नाम पर इस देश का नाम आर्याना पड़ा। 644 ई. में अरबों ने ईरान पर आक्रमण कर […]

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फसाद की जड़

हमारे देश के नेतागण और बुद्धिजीवी अंदरूनी राजनीति की सनक अंतरराष्ट्रीय संबंधों तक ले जाते हैं। तभी वे हमेशा फलस्तीन की फिक्र करते हैं और इजरायल को दैत्य जैसा दिखाने की फिराक में रहते हैं। वे बुनियादी बातों पर चुप रहते हैं कि कई मुस्लिम शासक, संगठन इजरायल का अस्तित्व ही मिटा देना चाहते हैं। […]

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पत्रकारिता का धर्म

गत सप्ताह सीनियर पत्रकार वेदप्रताप वैदिक एपिसोड पर बवाल मचा रहा। भारत के खिलाफ अप्रत्यक्ष जंग कर रहे ‘देश के दुश्मन’ और पाकिस्तान के लाडले हाफिज सईद का उन्होंने इंटरव्यू किया, इस बात को लेकर विवाद छिड़ा हुआ है। वैदिक पर कानूनी कार्रवाई करने की मांग हो रही है। इस मांग के राजनीतिक पहलुओं पर […]

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लॉर्ड्स, धोनी और आजादी

        पुण्‍य प्रसून वाजपेयी लॉर्ड्स। जब पहली बार लॉर्ड्स के मैदान पर मैच खेला गया, उस वक्त दुनिया में इंग्लैंड की सत्ता में सूरज डूबता नहीं था। और भारत ही नहीं दुनिया के चालीस से ज्यादा देशो में लॉर्ड्स का मतलब इंग्लैंडके वह लॉर्ड्स ही थे जो ब्रिटिश सत्ता चलाते थे। और […]

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भारतीय संविधान के अनुच्छेद ३७० का सच

भारत के संघीय संविधान के अनुच्छेद 370 को लेकर बहस कभी समाप्त नहीं होती । बहस के मोटे तौर पर दो मुद्दे रहते हैं । १. जम्मू कश्मीर के महाराजा हरि सिंह द्वारा २७ अक्तूबर १९४७ को अधिमिलन पत्र पर हस्ताक्षर करने के कारण जम्मू कश्मीर रियासत भारत में शामिल हुई । २. भारत के […]

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पशुओं के स्वास्थ्य पर ही मनुष्यों का स्वास्थ्य निर्भर

राजर्षि धर्मवीर ठाकुर जयपाल सिंह नयाल आज भारत जैसे निर्धन एवं पिछड़े हुए देश में, चिंता नही मूक पशुओं की चिकित्सा के विषय में बात होगी। किंतु विचार करके देखें तो बात ऐसे मनुष्यों का स्वास्थ्य निर्भर करता है। कुछ तो ऐसे हैं, जो पशुओं के स्वास्थ्य को उपेक्षा की दृष्टिसे देखते हैं, परंतु अधिकांश […]

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अध्यात्मवाद की वैदिक पद्घति : संध्योपासन-भाग दो

गतांक से आगे…… आचार्य भद्रसेन महाराज कृष्ण गीता में कहा है- इंद्रियाणि प्रमाथीनि हरन्ति प्रसभं मन:। हे अर्जुन! इंद्रियां बड़ी बलवान हैं। ये जबरदस्ती मन को अपनी ओर खींच लेती हैं। अत: इंद्रियों के बलवान होने के साथ साथ उनका सन्मार्गगामी होना भी परमआवश्यक है। यह तभी होगा, जब उनके अंदर से राग द्वेष आदि […]

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हिंदी शासकीय संज्ञाएं

(एक) आज का, उद्देश्य।आज का, उद्देश्य है, यह दिखाना कि, हिंदी में संस्कृत द्वारा कितनी सारी संज्ञाएँ रची जा सकती है। यह प्रत्यक्ष उदाहरणों से दिखाना; चाहता हूँ; किसी और के कथन या उद्धरण से नहीं। जब पाठक इन शब्दों को अंग्रेज़ी के शब्दों के आमने सामने देख कर तुलना करेगा, तो स्वयं ही निर्णय […]

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जम्मू कश्मीर में हिन्दुओं के अस्तित्व का यक्ष प्रश्न-2

गतांक से आगे….. समस्या कश्मीर नही पाकिस्तान है : भारत यदि पाकिस्तान को खण्ड-खण्ड करके उसे समाप्त नही करेगा तो कश्मीर समस्या कभी भी हल नही होगी। समस्या कश्मीर नही, पाकिस्तान है।  ऐसा नही होने पर पाकिस्तान भारत को खण्ड-खण्ड करता रहेगा। अत: अखण्ड भारत का निर्माण करना, पाकिस्तान का विघटन करना तथा जम्मू कश्मीर […]

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वेद का ताप – एक विश्लेषण

      डॉ. शशि तिवारी यह लेख ना ही किसी का बचाव है और ना ही किसी का समर्थन करता है। यह लेख केवल बुद्धिजीवियों की मानसिक कसरत के साथ चिंतन की दिशा और दशा में एक प्रयास मात्र है।   वेद प्रताप वैदिक न केवल एक ख्यातिनाम पत्रकार है बल्कि एक अच्छे लेखक […]

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