परिवर्तन का जोश भरा था, कुर्बानी के तेवर में। सब कुछ हमने लुटा दिया था, आजादी के जवर में।। हम खुशनसीब हैं कि इस वर्ष 26 जनवरी को 71वाँ गणतन्त्र दिवस मना रहे हैं। 15 अगस्त सन् 1947 को पायी हुई आजादी कानूनी रूप से इसी दिन पूर्णता को प्राप्त हुई थी। अपना राष्ट्रगान, अपनी […]
श्रेणी: महत्वपूर्ण लेख
भारत के बारे में पश्चिम के विद्वानों ने यह भ्रांति फैलाने का निरर्थक प्रयास किया है कि भारत में राष्ट्रवाद की भावना कभी नहीं रहीऔर भारत में राष्ट्रवाद का प्रचार – प्रसार ब्रिटिश काल में हुआ । उससे पहले इस देश में राष्ट्रीयता की भावना थी ही नहीं। जिन विदेशी विद्वानों , लेखकों या इतिहासकारों […]
डॉ विवेक आर्य विश्व इतिहास इस बात का प्रबल प्रमाण हैं की हिन्दू समाज सदा से शांतिप्रिय समाज रहा हैं। एक ओर मुस्लिम समाज ने पहले तलवार के बल पर हिन्दुओं को मुस्लमान बनाने की कोशिश करी थी, अब सूफियो की कब्रों पर हिन्दूओं के सर झुकवाकर, लव जिहाद या ज्यादा बच्चे बनाकर भारत की […]
प्रति वर्ष मक्का में हज पर काबा की परिक्रमा करने लाखों मुस्लमान आते हैं. भारत से हज जाने वालों की संख्या अब दो लाख मुस्लिम प्रति वर्ष हो गयी है | ऐसा माना जाता है कि दुनिया भर के मुसलमानों के लिए काबा मात्र एक कमरा नहीं अपितु सारी कायनात के मालिक अल्लाह का घर […]
शिव प्रकाश धर्म के आधार पर हुए देश के बंटवारे को स्वीकार कर कांग्रेस ने जो ऐतिहासिक भूल की थी उसका परिणाम भुगतने वाले पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में रह गए लाखों करोड़ों हिंदु, सिख, बौद्ध, पारसियों और ईसाइयों के हितों की सुरक्षा का उपाय केंद्र की भाजपा सरकार ने कर दिया है। नागरिकता संशोधन […]
देश के थल सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत ने कहा है कि जो देश में हिंसा भड़काए या आग लगाए वह व्यक्ति नेता नहीं हो सकता । जनरल रावत ने चाहे चाहे जिस नेता के लिए भी ऐसा कहा हो , परंतु वर्तमान की परिस्थितियों को देखकर उनके इस वक्तव्य का बहुत गहरा अर्थ है। सचमुच […]
योगेश कुमार गोयल रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा एक के बाद एक जिस प्रकार उच्च तकनीक वाली रक्षा प्रणालियों के जरिये भारतीय सेना को मजबूती प्रदान की जा रही है, उससे हर भारतवासी गौरवान्वित है। पिछले दिनों रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि कई पाबंदियों और सीमित क्षमताओं के बावजूद डीआरडीओ भारतीय […]
ललित गर्ग कहते हैं कि पानी की असल अहमियत वही शख्स समझता है, जो तपते रेगिस्तान में एक बूंद पानी की खोज के लिए मीलों भटका हो। वह शख्स पानी की कीमत क्या जाने, जो नदी के किनारे रहता है। भारत के कई राज्यों में पीने के पानी की भारी समस्या है और उसके […]
प्रवीण गुगनानी गाजियाबाद । ( ब्यूरो डेस्क ) तो अंततः देश विभाजन के तुरंत बाद किया जाने वाला बहू प्रतीक्षित व प्राकृतिक न्याय वाला कार्य अब पूर्ण हुआ और संसद ने नागरिकता संशोधन बिल पारित कर दिया। चाणक्य ने कहा था कि ऋण, शत्रु और रोग को समय रहते ही समाप्त कर देना चाहिए। जब […]
भारत में संवैधानिक रूप से महिलाओं के कई प्रकार के वैधानिक अधिकारों की घोषणा की गई है । संविधान प्रदत्त अधिकारों की इस व्यवस्था के उपरांत भी महिलाओं पर अत्याचार होना सचमुच दुर्भाग्यपूर्ण है । इसका अभिप्राय है कि या तो महिलाएं अपने अधिकारों के प्रति जागरूक नहीं हैं या व्यवस्था ने संवैधानिक अधिकारों के […]