* -राजेश बैरागी- क्या यह भी कोई स्टार्टअप है? मुझे लगता है कि अब यह जयशंकर प्रसाद या मैथिलीशरण गुप्त का देश नहीं रहा है जिसमें औरत की पहचान आंचल में दूध और आंखों में पानी से होती थी। भूजल का स्तर गिर रहा है, आंखों में कहां बचेगा। बंगलूरू में एक स्टार्टअप फर्म माइंडफुल […]
ममता की हत्या का स्टार्टअप*
