मैं कौन हूं? यह प्रश्न कभी न कभी हम सबके जीवन में उत्पन्न होता है। कुछ उत्तर न सूझने के कारण व अन्य विषयों में मन के व्यस्त हो जाने के कारण हम इसकी उपेक्षा कर विस्मृत कर देते हैं। हमें विद्यालयों में जो कुछ पढ़ाया जाता है, उसमें भी यह विषय व इससे सम्बन्धित […]
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दर्शन मतलब स्वयं दृश्य हो जाना
सद्गुरु जग्गी वासुदेव यदि आप किसी चीज को देखते हैं और उसकी छाप संपूर्णता में चाहते हैं और यदि आप खुद को कम कर लेते हैं तो आप महसूस करेंगे कि जो कुछ आप देख रहे हैं, वह धीरे-धीरे बढऩा शुरू हो जाता है और फिर वह जीवंत हो जाता है। दर्शन शब्द का मतलब […]
स्वामी विवेकानंद, जिंदगी को बहुत ही अध्यात्मिक तरीके से जीना पसंद करते थे। उनकी दिनचर्या पर गौर किया जाए तो उनका हर एक कार्य दुसरे से हटकर और विशेष होता था। आइए जानते है उनके जीने के मुख्य सफल सूत्र… स्वयं के प्रति ईमानदार रहें। खुद पर यकीन रखेंगे तो दुनिया जीत सकते हैं। इस […]
माउंटेन मैन दशरथ मांझी सुलगते सवाल ?
तनवीर जाफऱी देश के हरियाणा राज्य में चौधरी बंसी लाल के शासन से जुड़ी एक घटना बेहद प्रचलित है। एक बार चौधरी बंसी लाल के मुख्यमंत्रित्व काल में पड़ोसी राज्य पंजाब से भूमि संबंधी विवाद उत्पन्न हो गया। बताया जाता है कि पंजाब सरकार ने चेतावनी दी कि यदि पंजाब चाहे तो हरियाणा के शासकों […]
संसार का प्रत्येक मनुष्य चाहता है कि वह स्वस्थ हो, बलवान हो, सुखी हो व सभी प्रकार की सुख-सुविधाओं व आनन्द की सामग्री से सम्पन्न हो। इसके साथ ही वह दीघार्यु भी होना चाहता है। दीघार्यु हमारे पूर्व जन्म व इस जन्म में किये गए शुभ व पुण्य कर्मो का परिणाम होती है। मनुष्य को […]
जब आप अपनी आंखें बंद करें
ध्यान का अभ्यास करने वाले ध्यान के बाद अलग अलग तरह के अनुभव साझा करते हैं। ऐसा कौन सा अनुभव है जो आध्यात्मिक प्रगति को दर्शाता है? क्या ध्यान में होने वाले अनुभव हमारी आध्यात्मिक प्रगति को रोक भी सकते हैं? प्रश्न: सद्गुरु, पिछले कुछ सालों में कई गहरे आध्यात्मिक अनुभव हुए हैं। जैसे ही […]
बच्चों का सहारा बनना अच्छी बात है लेकिन उन्हें अपने भरोसे मुश्किलों का सामना करना सिखाया जाना चाहिए। तभी वे कठिनाइयों से निकलने में कामयाब रहेंगे।बच्चों को मुश्किल परिस्थितियों का सामना करना सिखाने का सबसे अच्छा तरीका हो सकता है कि जब भी आप इस तरह की स्थितियों का सामना कर रहे हों तो बच्चों […]
जीवन को सदा गति देती है-सुमति
ललित गर्ग जिस तरह कण-कण में भगवान हैं, ठीक उसी तरह कण-कण में जीवन भी समाया है। संगीत की स्वर-लहरियों, पंछियों की चहचहाहट, सागर की लहरों, पत्तों की सरसराहट, मंदिर की घंटियों, मस्जिद की अजान, कोयल की कूक, मयूर के नयनाभिराम नृत्य, लहलहाते खेत, कृषक के मुस्कराते चेहरे, सावन की रिमझिम फुहार, इंद्रनुषी रंगों, बादलों […]
मित्रो मच्छर भगाने के लिए आप अक्सर घर मे अलग अलग दवाएं इस्तेमाल करते हैं ! कोई तो liquid form मे होती हैं ! और कोई कोई coil के रूप मे और कोई छोटी टिकिया के रूप मे !! और all out ,good night, baygon,hit जैसे अलग-अलग नामो से बिकती है ! इन सबमे जो […]
आइये जानें भारत विश्व गुरू क्यों था?
1.शतरंज के खेल की खोज भारत मे हुई थी।2.भारत ने अपने इतिहास में किसी भी देश पर कब्जा नहीं किया।3.अमरिका के जेमोलोजिकल संस्थान के अनुसार 1896 तक भारत ही केवल हीरो का स्त्रोत था।4.भारत 17वीं सदी तक धरती पर सबसे अमीर देश था इसलिए यह सोनेकी चीडिय़ा कहलाता था।5.भारत में हीं संख्या पद्धति का आविष्कार […]