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आओ कुछ जाने देश विदेश

देश के बंटवारे के समय ऐसे भटकते रहे थे प्रेमी जोड़े

दिव्या आर्य (दिल्ली) ये बंटवारे के बीच मोहब्बत की सच्ची कहानी है। अपना प्यार पाने के लिए धर्म बदलने और देश बदलने की जद्दोजहद के बाद भी सरकारों से झगड़ते प्रेमियों की कहानी। साल 1947। रावलपिंडी के पठान ख़ानदान की इस्मत तब सिर्फ़ 15 साल की थी। और अमृतसर के लालाजी के परिवार का जीतू […]

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लिंकन को आशीष , नेहरू को श्राप देते अपने लोग

सुशोभित सक्तावत अब्राहम लिंकन की “प्रेसिडेंशियल टाइमलाइन” “अमेरिकन सिविल वॉर” के एकदम समांतर थी। 1861 से 1865 तक! यानी लिंकन का लगभग पूरा कार्यकाल गृहयुद्ध से जूझते बीता। लेकिन यह सिविल वॉर था क्या? यह अमेरिकी मेनलैंड और “साउथ” में बसे अश्‍वेतों के बीच छिड़ी स्वायत्तता की लड़ाई थी, जिसमें साउथ के मिसिसिपी, टेक्‍सस, टेनसी, […]

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कम्युनिस्ट क्या है,कौन है , थोड़ा सोचिए

यदि आपके घर में काम करने वाले नौकर से कोई आकर कहे, कि तुम्हारा मालिक तुमसे ज्यादा क्यों कमा रहा है? तुम उसके यहां काम मत करो, उसके खिलाफ आंदोलन करो, उसे मारो और अगर जरूरत पड़े तो हथियार उठाओ, हथियार मैं ला कर दूंगा। यह सलाह देने वाला व्यक्ति कम्युनिस्ट है.. यदि आपके घर […]

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आओ कुछ जाने स्वर्णिम इतिहास

कश्मीर के शासकों की सूची

कश्मीर के शासकों की सूची (3238 ई.पू.-1154 ई.) (जी गुरु जी इसका हेडिंग बदलने की कृपा करें।) कश्मीर के इतिहास में कश्मीरी कवि कल्हण की राजतरंगिणी ही मुख्य है। कल्हण के पहले सुव्रत, क्षेमेन्द्र, हेलाराज, नीलमुनि, पद्ममिहिर और छविल्लभट्ट आदि ग्रंथकार हुए हैं, किन्तु इनमें से कई के ग्रन्थ अप्राप्य हैं। कल्हण ने लिखा है […]

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भारत चीन युद्ध 1962

प्रस्तुति शिवा सेन 1947 में भारत का एक बार फिर विभाजन हुआ। भारत से अलग हुए क्षेत्र को पश्‍चिमी पाकिस्तान और पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश) कहा जाता था। विभाजन के बाद पाकिस्तान की नजर थी कश्मीर पर। उसने कश्मीरियों को भड़काना शुरू किया और अंतत: कश्मीर पर हमला कर दिया। 26 अक्टूबर को 1947 को जम्मू […]

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आर्य / हिंदी भाषा की वर्णन लिपि का आरंभ कब हुआ ?

शंका- आर्य (हिंदी) भाषा कि वर्ण एवं लिपि का आरम्भ कब हुआ? समाधान- आर्य (हिंदी) भाषा की लिपि देवनागरी हैं। देवनागरी को देवनागरी इसलिए कहा गया हैं क्यूंकि यह देवों की भाषा हैं। भाषाएँ दो प्रकार की होती हैं। कल्पित और अपौरुषेय। कल्पित भाषा का आधार कल्पना के अतिरिक्त और कोई नहीं होता। ऐसी भाषा […]

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लौह स्तंभ पर क्यों नहीं लगती है जंग ?

अजय कर्मयोगी लौहस्तंभ को देखकर किसे आश्चर्य नहीं होता। यह किस धातु का बना कि आज तक उस पर जंग नहीं लगा। ऐसी तकनीक गुप्तकाल के आसपास भारत के पास थी। उस काल तक धातुओं का सम्मिश्रण करके अद्भुत वस्तुएं तैयार की जाती थी। ऐसे मिश्रण का उपयोग वस्तुओं को संयोजित करने के लिए भी […]

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आओ कुछ जाने इतिहास के पन्नों से

विश्वविख्यात भरहुत स्तूप का इतिहास

सुद्युम्न आचार्य विन्ध्य की पावन धरा में हजारों वर्षों तक अपने पूरे गौरव, वैभव के साथ भरहुत स्तूप विराजमान रहा था। अपनी उत्कृष्ट कला, प्रतीक सौन्दर्य के लिये यह चहुँ ओर प्रख्यात रहा था। यह षट्पथ पर अवस्थित था। इससे उश्रर तथा दक्षिण की ओर कम से कम छह रास्ते विभिन्न जनपदों की ओर जाते […]

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सिक्कों की पहचान का लुप्त ग्रंथ : रूपसूत्र

प्राचीन काल में जबकि अलग- अलग इलाकों में अलग-अलग सिक्कों का व्यवहार था, तब सिक्कों के मानक रूप, उनके ऊपर अंकित चिह्नों के अभिप्राय, उनके प्रचलन इलाकों और उन इलाकों की भौगोलिक स्थिति की जानकारी देने वाला एक ग्रंथ था : रूपसूत्र। आज यह ग्रंथ हम खो चुके हैं और इसकी जानकारी तक हमें नहीं […]

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भारत में अंग्रेजों के तलवे चाटने की आत्मघाती नीति

भारत में अभ्यास हो गया है कि हम अपनी भाषा और क्षेत्र बिलकुल नहीं देखते हैं। केवल यही देखते और समझते हैं कि अंग्रेजों ने क्या लिखा है। अपनी तरह भारतीयों को भी विदेशी सिद्ध करने के लिये सिन्ध में खुदाई कर उसके मनमाने अर्थ निकाले। आज तक नयी नयी कल्पनायें हो रही हैं। केवल […]

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