उत्तर भारत के जंगलों में बीते पंद्रह सालों की सबसे भीषण आग लगी हुई है। नैनीताल की नैनी झील के पीछे दिखने वाले हरे-भरे पहाड़ उत्तराखंड के इस शहर को और ख़ूबसूरत बना देते हैं।लेकिन पिछले कुछ दिनों से जंगल की आग से उठ रहे धुएं ने पहाड़ों को छुपा लिया है और अब […]
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ओ३म् ========== मनुष्य मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं, ज्ञानी व अज्ञानी। रोग के अनेक कारणों में से मुख्य कारण भोजन भी होता है। रोगी व्यक्ति डाक्टर के पास पहुंचता है तो कुशल चिकित्सक जहां रोगी को रोग निवारण करने वाली ओषधियों के सेवन के बारे में बताता है वहीं वह उसे पथ्य अर्थात् भक्ष्य […]
अथ सत्यार्थ प्रकाश ज्ञान हमने सत्यार्थ प्रकाश का नाम अनेकों बार सुना है और हमारे बहुत से हिन्दू युवाओं और युवतियों को इसके बारे में जानने की जिज्ञासा सदा बनी रहती है, इसलिये अब सत्यार्थ प्रकाश की विषय सूची को सबके लिये खोलकर लिखा जाता है :- सत्यार्थ प्रकाश में कुल 14 समुल्लास (अध्याय) हैं। […]
कहते हैं, विभीषण अपने अग्रज रावण व देश के स्थान पर राम का साथ दिया | यदि इसमें धर्म-अधर्म, न्याय-अन्याय, सत्य-असत्य की दृष्टि मिला दिया जाये तभी विभीषण की दृष्टि व मानसिकता को समझा जा सकता है | क्या राम से मिलने से पूर्व विभीषण ने अग्रज भाई को समझाने का पुरजोर प्रयास नहीं किया […]
जंगे आजादी के दौरान कठपुतलियों की कसक
चंद्र प्रकाश कृषि कानून, मुसलमानों का उत्पीड़न और नागरिक स्वतंत्रता जैसे विषयों पर दुनिया में भारत की छवि बिगाड़ने के प्रयास हो रहे हैं। देश में असहमति और सरकार की नीतियों के विरोध के बहाने देश विरोधी ताकतों के इशारे पर कुछ कठपुतलियां उनके मंसूबों को अंजाम तक पहुंचाने में जुटी हैं। हर बार […]
डॉ. जीतराम भट्ट कुछ लोगों का कहना है कि संस्कृत केवल पूजा-पाठ की ही भाषा है। किन्तु यह सत्य नहीं है। संस्कृत-साहित्य के केवल पॉच प्रतिशत में धर्म की चर्चा है। बाकी में तो दर्शन, न्याय, विज्ञान, व्याकरण, साहित्य आदि विषयों का प्रतिपादन हुआ है। संस्कृत पूर्ण रूप से समृद्ध भाषा है। ग्रीक और […]
मिश्र की लोकमाता नदी का ‘नील’ नाम शुद्ध संस्कृत है, ऐसा पाश्चात्य अन्वेषक कहते हैं। प्राचीन काल के भारतीयों के भौगोलिक ज्ञान के विषय में जिन्होंने गहरा अध्ययन किया है, वह Francis Wilford (1761–1822) कहते हैं कि “भारतीय पुराणों में वर्णित शंख के आकारवाला द्वीप अफ्रीका ही है।’ नील नदी के उद्गम के विषय […]
ओ३म् ========== हम मनुष्य कहलाते हैं। वस्तुतः सदाचार को धारण कर ही हम मनुष्य बन सकते हैं परन्तु सदाचारी व धर्मात्मा मनुष्य बनने के लिये सद्ज्ञान प्राप्त करने सहित पुरुषार्थ वा आचरण भी करना होता है। क्या हम सब ज्ञानी वा विद्यावान हैं? इसका उत्तर ‘न’ अक्षर व शब्द में मिलता है। जब हम विद्यावान […]
धमनी वृक्ष
“धमनी वृक्ष” जो कुछ भी प्रकृति में ,वही सब कुछ हमारे शरीर में है| इसीलिए” यथा ब्रह्मांडे तथा पिंडे” कहा गया है | मानव शरीर में रक्त की आपूर्ति ,शुद्ध रक्त हृदय से अंगों तक पहुंचाने के लिए दूषित रक्त को अंगों से हृदय तक वापसी के लिए धमनियों शिराओं का 100000 किलोमीटर लंबा अंतरजाल […]
प्रायः यह कहा जाता है कि यदि हिंदुओं को तलवार या धन के कारण मुस्लिम या ईसाई बनया जाता तो आज एक भी हिन्दू नहीं बचता। हिंदुओं कि रक्षा के लिए धर्म सत्ता ( संत कबीर, रविदास, सुंदरदास, समर्थ गुरु रामदास और महर्षि दयानन्द आदि ) और राजसत्ता ( शिवाजी, राणा प्रताप और दुर्गादास आदि) […]