चाणक्य नीति यो ध्रुवाणि परित्यज्य ह्यध्रुवं परिसेवते। ध्रुवाणि तस्य नश्यन्ति चाध्रुवं नष्टमेव तत्।। आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जो निश्चित को छोड़कर अनिश्चित का सहारा लेता है, उसका निश्चित भी नष्ट हो जाता है। अनिश्चित तो स्वयं नष्ट होता ही है। अभिप्राय यह है कि जिस चीज का मिलना पक्का निश्चित है, उसी को पहले […]
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योगेश कुमार गोयल ओलम्पिक खेलों के संबंध में सबसे रोचक तथ्य यह है कि भले ही ये खेल दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं लेकिन इनके आयोजन को लेकर विरोध प्रदर्शन भी होते रहे हैं। इस साल भी टोक्यो में होने वाले ओलम्पिक खेलों का दुनियाभर में कई जगहों पर प्रबल विरोध हो रहा है। ओलम्पिक खेल […]
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 चि. बसंत! “यह जो लिखता हूँ उसे बड़े होकर और बूढ़े होकर भी पढ़ना,अपने अनुभव की बात कहता हूँ। संसार में मनुष्य जन्म दुर्लभ है और मनुष्य जन्म पाकर जिसने शरीर का दुरुपयोग किया,वह पशु है। तुम्हारे पास धन है,तन्दुरुस्ती है,अच्छे साधन हैं,उनको सेवा के लिए उपयोग किया,तब तो साधन सफल है,अन्यथा वे शैतान […]
विनाशपर्व लेखक:- प्रशांत पोळ ऑस्ट्रीया के एक मिशनरी, जॉन फिलिप वेस्डिन, अठारवी शताब्दी के अंत में केरल के मलाबार में काम कर रहे थे. वर्ष १७७६ से १७८९ तक वह केरल में थे. उन्होने यूरोप में वापस जा कर, वर्ष १७९६ मे, रोम में अपना लेख (जिसे उन्होने account कहा हैं) प्रकाशित किया. इस में […]
✍🏻 – भाई परमानन्द निवृत्ति-मार्ग का अर्थ अपने लिए मुक्ति या शान्ति प्राप्त करना है। संसार में बहुत-से मनुष्य ऐसे हैं जो प्रवृत्ति-मार्ग की अपेक्षा इसे अच्छा समझते हैं। जिस समय समाज अपनी प्राकृतिक अवस्था में होता है तो इस सिद्धान्त पर न कोई आपत्ति आती है, न कोई विघ्न पड़ता है। निःसंदेह यह ठीक […]
लेखक :- स्वामी स्वतंत्रानन्द जी प्रस्तुति :- सहदेव समर्पित प्रिय पाठकवृन्द!! वर्षों पुरानी घटना है। जिला सोनीपत में एक सज्जन मास्टर अमरसिंह के नाम से प्रसिद्ध थे। वह ग्राम रोहणा के निवासी थे। सोनीपत से जो सड़क खरखोदा को आती है, खरखोदा से उसकी दो सड़कें होगई हैं, एक रोहतक को जाती है दूसरी सांपला […]
एशिया क्यों पीछे रह गया, यूरोप या अमरीका क्यों आगे चले गये? ऐसे सवालों के जवाब ढूँढने में एक शब्द आता है ‘रिनैशां’ या पुनर्जागरण। यह माना जाता है कि यूरोप भी सो रहा था, मगर एशिया से पहले जाग गया। एशिया कुछ देर से जागा। अगर बृहत इतिहास में देखें तो चार सौ […]
वर्षा ऋतुचर्या
वर्षा ऋतुचर्या वर्षा ऋतु में वायु का विशेष प्रकोप तथा पित्त का संचय होता है। वर्षा ऋतु में वातावरण के प्रभाव के कारण स्वाभाविक ही जठराग्नि मंद रहती है, जिसके कारण पाचनशक्ति कम हो जाने से अजीर्ण, बुखार, वायुदोष का प्रकोप, सर्दी, खाँसी, पेट के रोग, कब्जियत, अतिसार, प्रवाहिका, आमवात, संधिवात आदि रोग होने की […]
#डॉविवेकआर्य विषय-वेद और क़ुरान में से ईश्वरीय ज्ञान कौन सा हैं? डॉ ज़ाकिर नाईक ने अपने वीडियो में केवल क़ुरान को सभी के मानने के लायक धार्मिक पुस्तक बताता है। उसके अनुसार प्रत्येक काल में अल्लाह की ओर से धार्मिक पुस्तकें तौरेत, जबूर, इंजील एवं अंत में क़ुरान अवतरित करी गई। क़ुरान अंतिम एवं […]
आज महर्षि मनु को नारी विरोधी बताया जा रहा है मुस्लिम उलेमा कहते हैं कि कुरआन में औरत का दर्जा ऊँचा है. आइए तुलनात्मक रूप से देखें. बाइबल और कुरआन दोनों ही महिला की कीमत पुरुष से लगभग आधी है. यहाँ बाइबल का क्या कहना है।(सन्दर्भ लैव्यव्यवस्था 27: 3-7 ) और तेरा अनुमान पुरुष के […]