प्रस्तुति – श्रीनिवास आर्य भारत गांवों का देश था और आज भी है। यहां सम्पन्नता, खुशहाली और समृद्धि की पूजा होती रही है। फसलों के पकने पर आनन्दित होकर उत्सवों का आयोजन करना हमारी परम्परा रही है। अत्यन्त आधुनिक यंत्रों और पद्धतियों से कृषि कर के भरपूर फसलें ली जाती रही हैं। सम्पन्न भारत को […]
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प्रस्तुति – देवेंद्र सिंह आर्य (चेयरमैन ‘उगता भारत’ समाचार पत्र) पिछले दिनों देश में घर वापसी की काफी चर्चा हुई है। यह चर्चा शुरू हुई आगरा में कुछ मुस्लिम परिवारों को वापस सनातन मत में लाने के एक कार्यक्रम से। घर वापसी किए एक व्यक्ति ने लालच दिए जाने की बात कह दी और हंगामा […]
डॉ. ओमप्रकाश पांडे सृष्टि विज्ञान के दो पहलू हैं। पहला पहलू है कि सृष्टि क्या है? आधुनिक विज्ञान यह मानता है कि आज से 13.7 अरब वर्ष पहले बिग बैंग यानी कि महाविस्फोट हुआ था। उसके बाद जब भौतिकी की रचना हुई, अर्थात्, पदार्थ में लंबाई, चौड़ाई और गोलाई आई, वहाँ से विज्ञान की शुरुआत […]
सफेद शुगर अर्थात गेहूं का आटा
बहुत पुरानी बात नही है ये …… 1960 तक भारत मे गेहूं का आटा जिससे पूड़ियाँ बनती थीं , साल में बमुश्किल एकाध बार जब कभी कोई शादी बियाह य्या काज प्रयोजन होता तो पूड़ियाँ बनती थीं ……. अंग्रेजों के मानसिक गुलाम ही गेहूं की रोटी खाते थे ……. शेष भारत , आम जन सब […]
ललित गर्ग दिल्ली के अलावा 21 शहर भी प्रदूषित शहरों की लिस्ट में शामिल हैं, पटाखों के धुएं से इन शहरों एवं समूचे देश में प्रदूषण बढ़ने की संभावनाएं हैं। सर्दियां आते ही दिल्ली की आबोहवा बच्चों और बुजुर्गों के लिए विशेष रूप से खतरनाक होने लगती है। इस वर्ष दीपावली पर आतिशबाजी न हो, […]
उत्तम संतान और गर्भ विज्ञान का रहस्य
डॉ. उमंग जे. पंडया आयुर्वेद को पांचवां वेद माना गया हैं। वेदों के इस नित्य नूतन एवं चिर सनातन विज्ञान में गर्भ संस्कार का काफी महत्व बताया गया है। आचार्य चरक, आचार्य सुश्रुत आदि ऋषि-मुनियों ने इसका वैज्ञानिक प्रतिपादन भी किया है। सभी आचार्यों ने अपनी संहिताओं के शारीरस्थान में इस विषय का विस्तृत वर्णन […]
राणा प्रताप शर्मा आदिकाल से ही हमारे देश में अनेक खोजें होती रहीं हैं। भारतीय गणित के इतिहास का शुभारंभ ऋग्वेद से होता है। आदिकाल (500ई.पू.) भारतीय गणित के इतिहास में अत्यन्त महत्वपूर्ण है। इस काल में शून्य तथा ‘दाशमिक स्थानमानÓ पद्धति का आविष्कार गणित के क्षेत्र में भारत की यह निश्चित रूप से […]
उगता भारत ब्यूरो प्राचीन समय से ही मनुष्य नाड़ी देखकर रोगों की पहचान करने का सिस्टम चला आ रहा है । प्राचीन काल में तो ऐसे भी वैद के जानकार हुए जो नाड़ी देखकर व्यक्ति के शरीर का हाल बता देते थे और गंभीर से गंभीर रोग की पहचान नाड़ी देखकर कर लेते थे। आज […]
हेमा हरि उपाध्याय प्रकृति के पांच तत्व धरती , आकाश, जल, वायु और अग्नि को मानव मात्र ने प्रदूषित किया है इन पांच तत्वों की पूजा कर इनका संवर्धन व संरक्षण करना हमारा प्रथम कर्तव्य है । लेकिन हमने अपनी अति आवष्यकताओं की पूर्ति के लिए इन सभी साधनों को प्रदूषित कर दिया हैं । […]
आज के दौर में वैश्विक व्यापार में भारत के कुछ ही व्यापारिक परिवार विश्व में अपना सिक्का चला पाए है। लेकिन एक समय ऐसा भी था जब भारत के वैश्यों ने बड़े पैमाने पर भारतीय उत्पादों को दूर देशों तक पहुंचाने का कार्य किया था जिस कारण भारतीय उत्पादों व भारतीय संस्कृति के प्रति आज […]