विजय कुमार गोविंदराम हासानन्द प्रकाशन नई सड़क दिल्ली से प्रकाशित इस पुस्तक को 76 वर्ष पूर्व वैदिक विद्वान पंडित राजेंद्र निवासी अतरौली अलीगढ़ ने लिखा था। 230 पृष्ठ की यह छोटी सी पुस्तक बहुत ही विचारोत्तेजक विश्लेषण मूर्ति पूजा के संबंध में प्रस्तुत करती है। जैसा कि इस पुस्तक के शीर्षक से ही स्पष्ट है […]
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प्रथम रात्रि प्रभाव*!
* “”””””””””””””””””””””””””” लेखक आर्य सागर 🖋️ सोना एक नियमित क्रिया है…. एक सामान्य इंसान का एक तिहाई जीवन सोने में ही चला जाता है। महर्षि चरक ,वागभट्ट आदि आयुर्वेदकारो ने स्वास्थ्य के तीन स्तंभों में से निद्रा को एक महत्वपूर्ण स्तंभ माना है… वही योग दर्शनकार महर्षि पतंजलि ने निद्रा को वृत्ति माना है अर्थात […]
* हिन्दू युवाओं के नास्तिक बनने के मुख्य चार कारण है। धर्मगुरु में दूरदृष्टि की कमी हिन्दू समाज के धर्मगुरु , अपने मठ बनाने में, धन जोड़ने में, पाखंड और अन्धविश्वास फैलाने में अधिक रूचि रखते हैं । हिन्दू समाज में ईसाई धर्मान्तरण, लव जिहाद, नशा, भोगवाद, चरित्रहीनता, नास्तिकता, अपने धर्मग्रंथों के प्रति अरुचि आदि […]
वेद कोई आविष्कार करने की पुस्तक नही है जिसे पढ़ कर कोई भी मिनटों में आविष्कार कर देगा। आविष्कार तो मात्र एक विज्ञान का प्रयोग है।और विज्ञान , वेद का मात्र एक छोटा सा अंश है। वेद में सम्पूर्ण ब्रह्मांड का नित्य ज्ञान विज्ञान निहित है।विज्ञान की सभी शाखाओं का मूल वेद में ही है।वेद […]
*ईश्वर के सदृश*
बहुधा मनुष्य अन्य वस्तु को ईश्वर मान लेते हैं, और ईश्वर सदृश वस्तु को मान कर उसका गुणगान करते हैं । किसी वस्तु के स्थान पर, यदि हम किसी वस्तु को लाते हैं, तो लाई हुई वस्तु की सदृशता पूर्व वस्तु से होनी चाहिये । हमें अष्टाध्यायी में एक सूत्र पढ़ाया जाता है – “स्थानेsन्तरतमः […]
आचार्य डॉ. राधेश्याम द्विवेदी यह स्थान नारायण सरोवर के दक्षिण एक खेत के बाद है। यहां स्वामी नारायण के बचपन की तीन प्रमुख घटनाएं घटी थीं। यह वह त्रिकोणीय खेत वाला स्थान है जहाँ घनश्याम ने पक्षियों को समाधि में भेजा था। वे घास के स्थान पर पेहटुल तोड़ने की लीला किए थे। इसी खेत […]
*ऋषि धन्वन्तरि और भारत का आयुर्वेद
आयुर्वेद ऋग्वेद का उप वेद है और आदिकाल में आयुर्वेद की उत्पत्ति ब्रहा / ईशवर से ही मानी जाती है। आयुर्वेद संपूर्ण जीवन का ज्ञान है। आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति को अपनाकर पूरा विश्व संपूर्ण रूप से स्वस्थ हो सकता है।संसार का सबसे प्राचीन ग्रंथ ऋग्वेद है, जिसमें आयुर्वेद का पर्याप्त वर्णन है। आज विश्व में […]
– योगेश कुमार गोयल दीवाली से दो दिन पूर्व ‘धनतेरस’ नामक त्यौहार मनाया जाता है, जो इस वर्ष 29 अक्तूबर को को मनाया जा रहा है। धनतेरस के प्रचलन का इतिहास बहुत पुराना माना जाता है। यह त्यौहार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को मनाया जाता है तथा इस दिन आरोग्य के देवता […]
हमें अपने श्वास पर एकाग्र क्यों होना चाहिए? वायु के क्या गुण और शक्तियाँ हैं? श्वास पर पूरा नियंत्रण किस प्रकार सबके लिए लाभदायक है? घृृषुं पावकं वनिनं विचर्षणिं रुद्रस्य सूनुं हवसा गृणीमसि। रजस्तुरं तवसं मारुतं गणमृजीषिणं वृषणं सश्चत श्रिये।। ऋग्वेद मन्त्र 1.64.12 (कुल मन्त्र 744) (घृृषुम्) शत्रुओं का नाशक (पावकम्) पवित्र करने वाला (वनिनम्) […]
किसी भी राष्ट्र के मूल में कुछ तत्व निहित होते हैं, जिनके बल पर वह देश आगे बढ़ता है और समाज के विभिन्न वर्गों को एकता के सूत्र में पिरोए रखता है। भारत के एक राष्ट्र के रूप में, इसके मूल में, सनातन हिंदू संस्कृति का आधार है जो हजारों वर्षों से भारत को आज […]