* विशेष : ये लेख माला ५ भागों में है ,जो वैदिक विद्वानों के लेख और विचारों पर आधारित है। जनहित में आपके सम्मुख प्रस्तुत करने मेरा उद्देश्य है , इसलिए कृपया शेयर करे। डॉ डी के गर्ग पिछले कई वर्षोंसे मेरे पास अलग लग गुरुओं के शिष्य आ रहे है और उनके बाबा गुरु […]
श्रेणी: आओ कुछ जाने
आचार्य डॉ. राधेश्याम द्विवेदी हिंदू-सनातन धर्म के संस्कार और परंपराएं हिंदू या सनातन धर्म से उत्पन्नित अनेक पंथ संप्रदाय, परंपराएं, आंदोलन और संप्रदाय हिंदू धर्म के भीतर फल फूल रहे हैं। यह धर्म एक या एक से अधिक देवी-देवताओं पर केंद्रित परंपराएं और उप-परंपराएं भी रखता है। हिंदू धर्म की सभी विचारधारा या संप्रदाय वेद […]
————– लेखक आर्य सागर तिलपता ग्रेटर नोएडा 🖋️ धरती पर विचरण करने वाला प्रत्येक सांप चाहे वह विषैला हो या विषहीन, जंगली हो या पालतू अपनी केंचुली का त्याग अवश्य करता है। त्याग हमेशा ही सुखदायक होता है यह इस लेख के अंत तक स्पष्ट हो जाएगा। सांप अपनी केंचुली को त्यागता है। प्रथम हम […]
विजय कुमार गोविंदराम हासानन्द प्रकाशन नई सड़क दिल्ली से प्रकाशित इस पुस्तक को 76 वर्ष पूर्व वैदिक विद्वान पंडित राजेंद्र निवासी अतरौली अलीगढ़ ने लिखा था। 230 पृष्ठ की यह छोटी सी पुस्तक बहुत ही विचारोत्तेजक विश्लेषण मूर्ति पूजा के संबंध में प्रस्तुत करती है। जैसा कि इस पुस्तक के शीर्षक से ही स्पष्ट है […]
* “”””””””””””””””””””””””””” लेखक आर्य सागर 🖋️ सोना एक नियमित क्रिया है…. एक सामान्य इंसान का एक तिहाई जीवन सोने में ही चला जाता है। महर्षि चरक ,वागभट्ट आदि आयुर्वेदकारो ने स्वास्थ्य के तीन स्तंभों में से निद्रा को एक महत्वपूर्ण स्तंभ माना है… वही योग दर्शनकार महर्षि पतंजलि ने निद्रा को वृत्ति माना है अर्थात […]
* हिन्दू युवाओं के नास्तिक बनने के मुख्य चार कारण है। धर्मगुरु में दूरदृष्टि की कमी हिन्दू समाज के धर्मगुरु , अपने मठ बनाने में, धन जोड़ने में, पाखंड और अन्धविश्वास फैलाने में अधिक रूचि रखते हैं । हिन्दू समाज में ईसाई धर्मान्तरण, लव जिहाद, नशा, भोगवाद, चरित्रहीनता, नास्तिकता, अपने धर्मग्रंथों के प्रति अरुचि आदि […]
वेद कोई आविष्कार करने की पुस्तक नही है जिसे पढ़ कर कोई भी मिनटों में आविष्कार कर देगा। आविष्कार तो मात्र एक विज्ञान का प्रयोग है।और विज्ञान , वेद का मात्र एक छोटा सा अंश है। वेद में सम्पूर्ण ब्रह्मांड का नित्य ज्ञान विज्ञान निहित है।विज्ञान की सभी शाखाओं का मूल वेद में ही है।वेद […]
बहुधा मनुष्य अन्य वस्तु को ईश्वर मान लेते हैं, और ईश्वर सदृश वस्तु को मान कर उसका गुणगान करते हैं । किसी वस्तु के स्थान पर, यदि हम किसी वस्तु को लाते हैं, तो लाई हुई वस्तु की सदृशता पूर्व वस्तु से होनी चाहिये । हमें अष्टाध्यायी में एक सूत्र पढ़ाया जाता है – “स्थानेsन्तरतमः […]
आचार्य डॉ. राधेश्याम द्विवेदी यह स्थान नारायण सरोवर के दक्षिण एक खेत के बाद है। यहां स्वामी नारायण के बचपन की तीन प्रमुख घटनाएं घटी थीं। यह वह त्रिकोणीय खेत वाला स्थान है जहाँ घनश्याम ने पक्षियों को समाधि में भेजा था। वे घास के स्थान पर पेहटुल तोड़ने की लीला किए थे। इसी खेत […]
आयुर्वेद ऋग्वेद का उप वेद है और आदिकाल में आयुर्वेद की उत्पत्ति ब्रहा / ईशवर से ही मानी जाती है। आयुर्वेद संपूर्ण जीवन का ज्ञान है। आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति को अपनाकर पूरा विश्व संपूर्ण रूप से स्वस्थ हो सकता है।संसार का सबसे प्राचीन ग्रंथ ऋग्वेद है, जिसमें आयुर्वेद का पर्याप्त वर्णन है। आज विश्व में […]