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हरयान या हरियान शब्दों से नहीं, अहिराणा शब्द से हुई है हरियाणा की व्युत्पत्ति

हरयान या हरियान शब्दों से नहीं, अहिराणा शब्द से हुई है हरियाणा की व्युत्पत्ति : डॉ. रामनिवास ‘मानव’ हरियाणा प्रदेश के नाम की व्युत्पत्ति के संबंध में विविध थ्योरियाँ हैं। हरियाणा एक प्राचीन नाम है। वैदिक युग में इस क्षेत्र को ब्रह्मवर्त, आर्यवर्त और ब्रह्मोपदेश के नाम से जाना जाता था। ये सभी नाम हरियाणा […]

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ब्रह्मचर्य बल की महिमा

स्वामी भीष्म जी यूँ तो कभी किसी बारात-विवाह आदि में नहीं जाते थे मगर एक बहुत बड़े धनाढ्य सेठ जी जो उनका बहुत मान करते थे और उन्हें गुरु जी कहते थे, तो उनके बार-बार कहने पर उनके पुत्र के विवाह में बारात में मेरठ जाने के लिए तैयार हो गए । उस जमाने में […]

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वेदों को जाने

================== !!!! —: वेदों की शाखाएँ :— !!!! वेद का ज्ञान अनन्त हैः– “अनन्ता वै वेदाः।” वैदिक-वाङ्मय ज्ञान का भण्डार है। वैदिक संस्कृत ज्ञान का सागर है। वेद के विद्वानों, ऋषियों ने वैदिक ज्ञान को सुरक्षित रखने के अनन्त उपाय किए। एक उपाय वेद की शाखा से सम्बन्धित है। जैसे वृक्षों में अनन्त शाखाएँ होती […]

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ध्यान का प्रपंच और भोली -भाली जनता* *भाग-१*

* विशेष : ये लेख माला ५ भागों में है ,जो वैदिक विद्वानों के लेख और विचारों पर आधारित है। जनहित में आपके सम्मुख प्रस्तुत करने मेरा उद्देश्य है , इसलिए कृपया शेयर करे। डॉ डी के गर्ग पिछले कई वर्षोंसे मेरे पास अलग लग गुरुओं के शिष्य आ रहे है और उनके बाबा गुरु […]

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विश्व के प्रमुख अक्षरधाम मंदिर

आचार्य डॉ. राधेश्याम द्विवेदी हिंदू-सनातन धर्म के संस्कार और परंपराएं हिंदू या सनातन धर्म से उत्पन्नित अनेक पंथ संप्रदाय, परंपराएं, आंदोलन और संप्रदाय हिंदू धर्म के भीतर फल फूल रहे हैं। यह धर्म एक या एक से अधिक देवी-देवताओं पर केंद्रित परंपराएं और उप-परंपराएं भी रखता है। हिंदू धर्म की सभी विचारधारा या संप्रदाय वेद […]

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*सांख्य, सांप और केचुली*

————– लेखक आर्य सागर तिलपता ग्रेटर नोएडा 🖋️ धरती पर विचरण करने वाला प्रत्येक सांप चाहे वह विषैला हो या विषहीन, जंगली हो या पालतू अपनी केंचुली का त्याग अवश्य करता है। त्याग हमेशा ही सुखदायक होता है यह इस लेख के अंत तक स्पष्ट हो जाएगा। सांप अपनी केंचुली को त्यागता है। प्रथम हम […]

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भारत में मूर्ति पूजा*!

विजय कुमार गोविंदराम हासानन्द प्रकाशन नई सड़क दिल्ली से प्रकाशित इस पुस्तक को 76 वर्ष पूर्व वैदिक विद्वान पंडित राजेंद्र निवासी अतरौली अलीगढ़ ने लिखा था। 230 पृष्ठ की यह छोटी सी पुस्तक बहुत ही विचारोत्तेजक विश्लेषण मूर्ति पूजा के संबंध में प्रस्तुत करती है। जैसा कि इस पुस्तक के शीर्षक से ही स्पष्ट है […]

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प्रथम रात्रि प्रभाव*!

* “”””””””””””””””””””””””””” लेखक आर्य सागर 🖋️ सोना एक नियमित क्रिया है…. एक सामान्य इंसान का एक तिहाई जीवन सोने में ही चला जाता है। महर्षि चरक ,वागभट्ट आदि आयुर्वेदकारो ने स्वास्थ्य के तीन स्तंभों में से निद्रा को एक महत्वपूर्ण स्तंभ माना है… वही योग दर्शनकार महर्षि पतंजलि ने निद्रा को वृत्ति माना है अर्थात […]

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हिन्दू युवा नास्तिक क्यों हो रहे है ?*

* हिन्दू युवाओं के नास्तिक बनने के मुख्य चार कारण है। धर्मगुरु में दूरदृष्टि की कमी हिन्दू समाज के धर्मगुरु , अपने मठ बनाने में, धन जोड़ने में, पाखंड और अन्धविश्वास फैलाने में अधिक रूचि रखते हैं । हिन्दू समाज में ईसाई धर्मान्तरण, लव जिहाद, नशा, भोगवाद, चरित्रहीनता, नास्तिकता, अपने धर्मग्रंथों के प्रति अरुचि आदि […]

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वेदों में विज्ञान है तो कोई अविष्कार करके दिखाओ। :-

वेद कोई आविष्कार करने की पुस्तक नही है जिसे पढ़ कर कोई भी मिनटों में आविष्कार कर देगा। आविष्कार तो मात्र एक विज्ञान का प्रयोग है।और विज्ञान , वेद का मात्र एक छोटा सा अंश है। वेद में सम्पूर्ण ब्रह्मांड का नित्य ज्ञान विज्ञान निहित है।विज्ञान की सभी शाखाओं का मूल वेद में ही है।वेद […]

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