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कृषि जगत

धरती को हरा-भरा बनाए रखने में ईश्वर कभी मिलता है सहयोग

संदीपसिंह सिसोदिया फूलों ने ही तो जीवन सृजन किया है इसीलिए जब भी हमारे लगाए पौधे में फूल खिलते हैं तो हम भी खिल उठते हैं। शायद ही कोई होगा जिसे मैदानों, पर्वतों पर आच्छादित ताजी हरी घास-फूस की खुशबू भली न लगती हो। लेकिन जिस तरह से धरती से उसका हरित श्रृंगार मिट रहा […]

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कृषि जगत

क्या इन नए कृषि कानूनों के पूर्व कृषि और खेती में सब कुछ ठीक-ठाक था ?

डॉ. एके वर्मा यदि 94 प्रतिशत किसान एमएसपी से बाहर हैं तो क्या किसान नेता केवल 6 प्रतिशत किसानों के हितों को लेकर आंदोलनरत हैं? कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान आंदोलनकारी यह नहीं बता पा रहे हैं कि तथाकथित काले कृषि कानूनों में काला क्या है? इसके बजाय वे अक्टूबर तक आंदोलन जारी […]

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आर्थिकी/व्यापार कृषि जगत

समृद्ध किसान, जिय हो ! सियान के लाल

दृढ़ निश्चय, सही दिशा में किए गए परिश्रम कार्य के प्रति पूर्ण समर्पण भाव अनुशासन सतत प्रयासों से क्या कुछ हासिल नहीं किया जा सकता? व्यक्ति व्यक्तिगत उन्नति के साथ साथ सामूहिक समृद्धि का भी संवाहक बन जाता है| इन्हीं मानवीय गुणों से कोई भी व्यक्ति अन्य व्यक्तियों के जीवन में आशा सफलता का संचार […]

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कृषि जगत

गाय का दूध और इससे बने पदार्थ स्वस्थ जीवन का आधार हैं

ओ३म् =========== परमात्मा ने इस सृष्टि को जीवात्माओं के सुख आदि भोग व अपवर्ग के लिए बनाया है। सृष्टि को बनाकर परमात्मा जीवों को उनके कर्मों का भोग कराने के लिये जन्म देता व उनका माता-पिता व भूमि माता के द्वारा पालन कराता है। परमात्मा ने मनुष्य जीवन को उत्तम, श्रेष्ठ व महान बनाने के […]

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कृषि जगत

बाल-हठ, राज-हठ, त्रिया-हठ के बाद अब किसान-हठ

  _-राजेश बैरागी-_ इस बार गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में दो परेड होने की आंशका है। एक राजपथ पर सरकारी परेड और दूसरी किसान परेड। यह दिल्ली के बाहरी संकुल मार्ग पर हो सकती है। दरअसल सौ दिनों में अढ़ाई कोस बढ़ने की कहावत अपनी बेनूरी पर बैठी रो रही है। अब अट्ठावन दिनों में […]

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कृषि जगत पर्यावरण

पहाड़ों की किस्मत संवारने में मछली का भी रहा है बड़ा योगदान

  व्योमेश चन्द्र जुगरान उत्तराखंड में उत्तरकाशी ‌जिले के बारसू गांव में एक किसान ने तालाब बनाकर 50 किलो ट्राउट मछली का उत्पादन किया है। यह मछली वह गांव में ही बेच रहा है और खरीदार बड़े आराम से उसे 1200 से 1500 रुपए प्रति किलो दे रहे हैं। अगर थोड़ा सा सरकारी सपोर्ट मिल […]

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आओ कुछ जाने कृषि जगत

वैदिक काल के किसानों में राष्ट्रीयता भरी थी कूट-कूट कर

आज मैं अथर्ववेद और यजुर्वेद पढ़ रहा था, वहाँ भूमि सूक्त और कृषि सूक्त के कुछ मंत्रों पर नजर गई, जिसका विश्लेषण आज के लेख में कर रहा हूँ।… वैदिक काल के किसानों में राष्ट्रीयता कूट-कूट कर भरी हुई थी। पृथ्वी सूक्त के एक मंत्र में किसान कहता है – “यत्ते भूमे विखनामि क्षिप्रं तदपि […]

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उगता भारत न्यूज़ कृषि जगत

नोटिस की एंट्री के नाम पर किसान बनाम सरकार की लड़ाई में आया नया मोड़

  सज्जाद हैदर   किसान बिल के विरोध में लगातार दिल्ली की सीमा डटे हुए हैं। जिनकी कई बार सरकार से चर्चा भी हो चुकी लेकिन परिणाम जस के तस बने हुए हैं। क्योंकि न सरकार बिल को वापस लेने के लिए तैयार हो रही और न ही बार्ड़र पर डटे हुए किसान सरकार की […]

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कृषि जगत राजनीति

किसान और सरकार मिलकर राष्ट्रहित में लें निर्णय

  यदि भीड़ और सभा में अंतर किया जाए तो पता चलता है कि भीड़ भावना प्रधान होती है ,जबकि सभा व्यवस्था प्रधान होती है ? व्यवस्था में सब कुछ सिस्टमैटिक होता है, जबकि भीड़ में सब कुछ अव्यवस्थित होता है । यदि एक तरफ दो-चार आदमी भागना आरंभ कर दें तो सारी भीड़ बिना […]

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कृषि जगत

जब ऊँटविहीन होता था थार मरुस्थल

___________________________ संस्कृत में ऊंट के लिए उष्ट्र शब्द है….. इसी से उष्ट्रासन बना है… ऊंट से प्रेरणा लेकर ही योग स्वास्थ्य मनीषियों ने उष्ट्रासन को इजाद किया जो मधुमेह मोटापे अवसाद के लिए बहुत लाभदायक है….|   इसकी शारीरिक विलक्षणता क्षमताओं के कारण ऊंट को रेगिस्तान का जहाज कहा जाता है |ऊंट को लेकर बहुत […]

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