कृष्ण कुमार मिश्र एक आदि वृक्ष की कहानी (देव-भूमि में इन वृक्षों की व्यथा देख जो संवेदना उपजी उसी ने यह कथा कहला दी…) उत्तराखण्ड देवभूमि में लगभग 2000 मीटर तक की ऊंचाई तक चिर पाइन यानी भारतीय चीड़ के जंगल मिल जाएंगे, ऊंचे ऊंचे ये दरख़्त नोकदार पत्तियां और भूरे लाल रंग के तने […]
Category: कृषि जगत
अशोक मधुप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कानून वापस लेने की घोषणा से कांग्रेस सहित देश का विपक्ष परेशान है कि उसके हाथ से एक बड़ा मुद्दा छिन गया। तीनों कृषि कानून काफी समय से लंबित थे। भाजपा से पूर्ववर्ती सरकारें इन पर चिंतन और मनन कर रही थीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीनों कृषि कानून […]
गाय का दूध और घी अपने आप में है अमृत
सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी आज सामान्य तौर पर माना जाता है कि गाय का दूध 30 रूपए प्रति लीटर होता है और घी 500 रूपए प्रति लीटर। यह गणित कहां से आता है, इसके बारे में कुछ चर्चा करते हैं। पहले हमें परिभाषाएं स्पष्ट कर लेनी चाहिए। गाय : भारतीय भूभाग पर देसी गौवंश का वह […]
परिवर्तन प्रकृति का अनिवार्य नियम है। उदाहरण के तौर पर बिहार में “एल्युमीनियम का कटोरा थमा देना” का मजाक चलता है। हमेशा से ऐसा नहीं था। जब 1807 में सर हम्फ्री डेवी ने एल्युमीनियम की वैज्ञानिक नियमों के आधार पर परिकल्पना की तब तक एलेक्ट्रोलायसिस नाम की विधि का किसी को पता ही नहीं था। […]
भगवान भरोसे होते जाता भारत का किसान
देविंदर शर्मा वर्ष 1995 में विश्व व्यापार संगठन के वजूद में आने के कुछ दिन बाद, मुझे लंदन के ‘द इकोलॉजिस्ट’ ने भारतीय और यूरोपियन किसान के बीच तुलनात्मक लेख लिखने को आमंत्रित किया था। इसके पीछे मंशा यह जानने की थी कि भारत के खेतों में फसल उगाने के लिए होने आने वाला खर्च […]
लेखक :- रवि शंकर, कार्यकारी संपादक, भारतीय धरोहर इतिहास बताता है कि भारत ने ही दुनिया को खेती सिखाई। हजारों लाखों वर्षों से हम खेती करते आ रहे हैं। कहा तो यहाँ तक जाता है कि भारतीय जीवन-पद्धति ही खेती आधारित है। स्वाभाविक ही है कि भारत की खेती की परंपरा काफी उन्नत और श्रेष्ठ […]
योगेश कुमार गोयल इस साल मानसून की शुरुआत से ही देश के विभिन्न हिस्सों में मूसलाधार बारिश, बाढ़, बादल फटने, बिजली गिरने और भू-स्खलन से तबाही का सिलसिला अनवरत जारी है। पहाड़ों पर आसमानी आफत टूट रही है तो देश के कई इलाके बाढ़ के कहर से त्राहि-त्राहि कर रहे हैं। देश की राजधानी दिल्ली […]
अभी तक आप यही जानते होंगे कि आलू विदेशीयों (पुर्तगालियों) द्वारा लाई गई फसल है, लेकिन अत्रि विक्रमार्क जी का मानना कुछ और है – आलू Potato आलुः (संस्कृत) पिण्डालु = पिण्डाकार आलुः(गोल आलु? पहाड़ी घुइयां) राजनिघण्टु। “पिण्डालुर्मधुरः शीतः मूत्रकृच्छ्रविनाशनः। दाहशोषप्रमेहघ्नो वृष्यः सन्तर्पणो गुरुः” और भी कहा गया है कि आलु कफ कारक है किन्तु […]
अशोक मधुप हम भेड़चाल चलते रहे हैं। आज बाघ बढ़ाने की बात हुई, उनके आवास को बढ़ाने की बात नहीं। जरूरत आवास क्षेत्र को बढ़ाने की भी है। एक रिपोर्ट के अनुसार रणथंभौर टाइगर अभ्यारण्य में 40 या अधिकतम 50 बाघ रह सकते हैं लेकिन आज उसमें 71 बाघ हैं। दुनिया भर में 29 […]
‼️गेहूं की तोंद …..‼️ गेंहू मूलतः भारत की फसल नहीं है अमेरिका के एक हृदय रोग विशेषज्ञ हैं डॉ विलियम डेविस…उन्होंने एक पुस्तक लिखी थी 2011 में l जिसका नाम था “Wheat belly गेंहू की तोंद”…l यह पुस्तक अब फूड हेबिट पर लिखी सर्वाधिक चर्चित पुस्तक बन गई है…पूरे अमेरिका में इन दिनों गेंहू को […]