______________ हरित क्रांति के साथ देश में नारा दिया गया अधिक अनाज पैदा करो नतीजा निकला देश में अनाज के भंडार लग गए अनाज उत्पादन में देश आत्मनिर्भर हो गया.. देश में गेहूं की सैकड़ों संकर प्रजाति के बीज तैयार किए गए जिनसे रिकॉर्ड अनाज उत्पादन मिला | देश के हर व्यक्ति को अनाज की […]
श्रेणी: कृषि जगत
•••○•••○•••○••• प्रकृति की अग्रिम पंक्ति में शामिल होकर सेमल जैसे वृक्ष निश्चल स्वभाविक सहज भाव से बसंत उत्सव में ही निहित होलिकात्सव मनाते हैं। सेमल व पलास जैसे वृक्ष सर्दी के सीजन की अंतिम ऋतु शिशिर के गुजरते ही बसंती उत्सव मनाने लगते हैं लाल लाल बडे फूलों से सज जाते हैं। सेमल का वृक्ष […]
____________________________________ कल अंतरराष्ट्रीय वन्य जीव दिवस था | जो वर्ष 2013 से प्रत्येक वर्ष 3 मार्च को मनाया जा रहा है| पृथ्वी पर इंसानों की आबादी 760 करोड़ है जो पृथ्वी पर पाए जाने वाले पूरे जीवो का महज 0.01 प्रतिशत है लेकिन दुखद आश्चर्य यह है इंसानों ने पूरी पृथ्वी के 83 फ़ीसदी जंगली […]
कांग्रेस पार्टी किसानों और आदिवासियों की हितैषी होने का सिर्फ दावा ही करती है, हकीकत में उसे इससे कोई सरोकार नहीं है। कांगेस एक ओर तो बीजेपी सरकार पर किसानों कि दुर्दशा का झूठा आरोप लगा रही है। इससे लिए फर्जी आंकड़ों की बुकलेट निकाली है, दूसरी ओर कांग्रेस शासित सरकारों के राज में कांग्रेस […]
-10 मार्च को जब चुनाव नतीजे आएंगे तो योगी आदित्यनाथ भारी बहुमत से मुख्यमंत्री बनेंगे और इस तरह पिछले एक साल से जारी किसान आंदोलन का अंतिम संस्कार हो जाएगा… जिसका पूरा श्रेय राकेश टिकैत को हासिल होगा जिन्होंने पूरे एक साल तक दिल्ली में सड़क जाम करके किसानी को मुद्दा बनाने की पुरजोर कोशिश […]
कम लागत, ज्यादा मुनाफा, यही तो प्राकृतिक खेती है। आज दुनिया जब बैक टू बेसिक की बात करती है तो उसकी जड़ें भारत से जुड़ती दिखाई पड़ती है। कृषि से जुड़े हमारे प्राचीन ज्ञान को हमें न सिर्फ फिर से सीखने की जरूरत है, बल्कि उसे आधुनिक समय के हिसाब से तराशने की भी जरूरत […]
राजेन्द्र चौधरी रासायनिक खादों और कीटनाशकों के ज्यादा इस्तेमाल से न सिर्फ इन्सान और जीव-जन्तुओं की सेहत पर असर पड़ रहा है, बल्कि जमीन के उपजाऊपन में भी कमी आ रही है। सरकार अपनी कृषि नीतियों का पुनरावलोकन करे। साथ ही, आधुनिक कृषि प्रणाली के फायदे और नुकसान का सही-सही जायजा ले। सरकार की ओर […]
प्रवीण गुगनानी उत्तम खेती मध्यम बान, निकृष्ट चाकरी, भीख निदान, वाली कहावत वाले हमारे देश में कृषि और कृषक दोनों ही पिछले ७ दशकों से अपनाई जा रही गलत नीतियों का शिकार हो चुकें हैं। ऋषि पराशर व अन्य कई प्राचीन कृषि वैज्ञानिकों वाले हमारे देश में, घाघ व भड्डरी की विज्ञानसम्मत कृषि कहावतों व […]
पंकज चतुर्वेदी भले ही तीन कृषि कानून वापस होने के बाद किसान घर लौट गये हों लेकिन गंभीरता से विचार करें तो भारत की अर्थ नीति का आधार खेती-किसानी ही खतरे में है। यह संकट इतना गहरा है कि कहीं देश की बढ़ती आबादी के लिए पेट भरना एक नया संकट ना बन जाए। आजादी […]
कृष्ण कुमार मिश्र एक आदि वृक्ष की कहानी (देव-भूमि में इन वृक्षों की व्यथा देख जो संवेदना उपजी उसी ने यह कथा कहला दी…) उत्तराखण्ड देवभूमि में लगभग 2000 मीटर तक की ऊंचाई तक चिर पाइन यानी भारतीय चीड़ के जंगल मिल जाएंगे, ऊंचे ऊंचे ये दरख़्त नोकदार पत्तियां और भूरे लाल रंग के तने […]