23 दिसंबर: राष्ट्रीय किसान दिवस पर विशेष प्रवीण गुगनानी देश में मोटे अनाजों की कृषि, उत्पादन व उपभोग को पर केंद्रित इस लेख के पूर्व यह कविता पढ़िए – यह रागी हुई अभागी क्यों? चावल की किस्मत जागी क्यों? जो ‘ज्वार’ जमी जन-मानस में, गेहूँ के डर से यह भागी क्यों? यूँ होता श्वेत ‘झंगोरा’ […]
Category: कृषि जगत
जैसा मीठा ईख : वैसी ही मीठी कहानी
ईख या गन्ना। सांठा या हांठा। सुगरकेन के नाम से इसे पूरी दुनिया में जाना जाता है। कार्तिक में रस से लबालब हो जाता है और अपने सिर पर दूल्हे की तरह मौर बांध लेता है। लक्ष्मीदेवी, गौ और गोवर्धन की पूजा के लिए इसका भी प्रयोग होता है, लिहाजा जड से कटकर बाजार में […]
गेहूं की तोंद* गेंहू मूलतः भारत की फसल नहीं है, ये यूरोप से होता हुआ भारत तक आया था। अमेरिका के एक हृदय रोग विशेषज्ञ हैं डॉ. विलियम डेविस, उन्होंने एक पुस्तक लिखी थी, वर्ष 2011 में, जिसका नाम था “Wheat belly” (गेंहू की तोंद)यह पुस्तक अब फूड हैबिट पर लिखी सर्वाधिक चर्चित पुस्तक बन […]
बाजरे की रोटी का स्वाद जितना अच्छा है, उससे अधिक उसमें गुण भी हैं। 1 — बाजरे की रोटी खाने वाले को हड्डियों में कैल्शियम की कमी से पैदा होने वाला रोग आस्टियोपोरोसिस और खून की कमी यानी एनीमिया नहीं होता। 2 — बाजरा लीवर से संबंधित रोगों को भी कम करता है। 3 — […]
चावल का जिक्र किसी भी बाइबिल में नहीं आता, ईजिप्ट की सभ्यता भी इसका जिक्र नहीं करती। पश्चिम की ओर पहली बार इसे सिकंदर लेकर गया और अरस्तु ने इसका जिक्र “ओरीज़ोन” नाम से किया है। नील की घाटी में तो पहली बार 639 AD के लगभग इसकी खेती का जिक्र मिलता है। ध्यान देने […]
#ऋषि_पंचमी लोक हमेशा शास्त्र की व्यावहारिक पृष्ठभूमि को धारण करता है। शास्त्र के सत्य लोक से अधिग्रहित होते हैं और कहीं न कहीं उनका व्यावहारिक पक्ष प्रकट रूप होता ही है। पूर्वजों की स्मृति का पर्व ऋषि पंचमी है। अनेक स्थानों पर इस दिन सरोवर या नदी के तट की पवित्र मिट्टी से सप्त ऋषि […]
भादौ की पंचमी को ऋषि पंचमी के रूप में मनाया जाता है। मैं अकसर देखता हूं कि इस दिन व्रतार्थी महिलाएं अपने घर के आसपास खड़ी वनस्पति को खोजने जाती हैं। सांवा, मलीचि, अपामार्ग, दूर्वा आदि को खोजती है और उखाड़कर ले आती है। घर पर उनको पीले परिधान या धागों में लपेटती हैं और […]
भारतीय संस्कृति में वटवृक्ष की महत्ता
पूनम नेगी भारतीय संस्कृति में वट वृक्ष को विशेष महत्व प्राप्त है। इस वृक्ष को प्रकृति के सृजन का और चैतन्य सत्ता प्रतीक माना जाता है। आयुर्वेद में भी वटवृक्ष को आरोग्य प्रदाता माना गया है। विभिन्न शोधों से यह साबित हो चुका है कि प्रचुर मात्रा में प्राणवायु (आक्सीजन) देने वाला यह वृक्ष मनों-मस्तिष्क […]
जीवन ,जगत और जैवविविधता
==================== जीवन को यद्यपि चित्रित रेखित परिभाषित नहीं किया जा सकता…. लेकिन स्वभाव से जिज्ञासु मनुष्य सभ्यता के आदि से ही विविध जीवों उनके स्वभाव विचित्रता को जानने समझने का प्रयास कर रहा है ।पृथ्वी पर करोड़ों सालों से महासागरों की गहराई से लेकर पर्वतों के शिखरों मरुस्थल मैदानों नदियों के आँचल में जीवन फल […]
*कृषक हितैषी, कृषि में सहयोगी परिंदे*
_________________________________ इमानदारी पक्षपात पूर्ण भाव से कृषि के विकास, किसानों के कल्याण के लिए कोई पुरस्कार दिया जाए तो ऐसे किसी पुरस्कार को पाने के प्रथम अधिकारी पक्षी ही होंगे। फल, सब्जी, दलहन तिलहन जैसी फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले कीटो को खाकर पक्षी सदियों से किसानों की अपूर्व अतुलनीय निशुल्क मदद करते आए हैं। […]