(आज राष्ट्रगान के रचियता, नोबेल पुरस्कार विजेता रविंद्रनाथ टैगोर का जन्मदिवस है। इस अवसर पर गुरुदेव के द्वारा महर्षि दयानन्द की स्मृति में दी गई भावपूर्ण श्रद्धांजलि को प्रस्तुत कर रहे है। ) महर्षि दयानन्द ने वेद प्रचार की अपनी यात्राओं में बंगाल वा कोलकत्ता को भी सम्मिलित किया था। वह राष्ट्रकवि श्री रवीन्द्रनाथ टैगोर […]
श्रेणी: हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष
लेखक- ब्रह्मचारी इन्द्रदेव “मेधार्थी” (गुरुकुल झञ्जर) प्रस्तुति- प्रियांशु सेठ समय-समय पर अनेक ऐसे लोकोत्तर महापुरुष हुये हैं जिन्होंने अपनी अद्भुत प्रतिभा एवं कर्मशीलता से संसार में मानवता की स्थापना की है। और ब्रह्मचर्य को अपने जीवन में धारण के साथ साथ लोक में भी प्रचार करने का यत्न किया है। किन्तु इस विषय में जितना […]
मुरली मनोहर श्रीवास्तव (23 अप्रैल कुंवर सिंह के विजयोत्सव पर विशेष) इतिहास में तथ्यों को आधार मानकर बीते कल को बयां किया जाता है। घटना के साक्षी कई पात्र होते हैं और घटनाओं के साथ-साथ कई घटनाएं चलती रहती हैं। 1857 का विद्रोह आजादी की लड़ाई के लिए एक रास्ता दिया और उन कमियों की […]
========== महाशय राजपाल प्रथम पीढ़ी के प्रमुख ऋषिभक्तों में से एक थे। वह आर्य साहित्य के प्रमुख प्रकाशक थे। उनका प्रकाशन मैसर्स सरस्वती संस्थान आर्य पुस्तकालय के नाम होता था जिसका मुख्यालय लाहौर था। उन्होंने अपने जीवन में उन्नत स्तर का आर्य साहित्य प्रकाशित कर वैदिक धर्म का प्रचार प्रसार किया। उनका जन्म अमृतसर में […]
============ वैदिक वा पौराणिक मान्यता के अनुसार वीर हनुमान जी का जन्म त्रेतायुग के अंतिम चरण में और फलित ज्योतिष के आचार्यों की गणना के अनुसार 58 हजार 112 वर्ष पहले चैत्र पूर्णिमा को मंगलवार के दिन चित्रा नक्षत्र व मेष लग्न के योग में सुबह 6.03 बजे भारत देश में आज के झारखंड राज्य […]
ओ३म्==============परमात्मा ने 1.96 अरब वर्ष पूर्व इस संसार को बनाया था और तब से इसे चला रहा है। वह कभी सोता व आराम नहीं करता। यदि करता होता तो बहुत पहले इस संसार की प्रलय हो जाती। वह यह सब त्याग व पुरुषार्थ स्वाभाविक रूप से संसार के प्राणियों के लिये करता है। परोपकार का […]
ओ३म् ============== परमात्मा ने 1.96 अरब वर्ष पूर्व इस संसार को बनाया था और तब से इसे चला रहा है। वह कभी सोता व आराम नहीं करता। यदि करता होता तो बहुत पहले इस संसार की प्रलय हो जाती। वह यह सब त्याग व पुरुषार्थ स्वाभाविक रूप से संसार के प्राणियों के लिये करता है। […]
तराइन का दूसरा युद्ध:- एक साल बाद 1192 में गोरी ने अफगान ,ताजिक व तुर्क सैनिकों 1,20,00घुड़ सवारो सहित गजनी से मुल्तान ,लाहौर होते हुए तबरहिन्द(सरहिंद)होते हुये तराइन के मैदान में आकर मोर्चा संभाला लिया। पृथवीराज के साथ अनेक सामंत थे।एक लाख घुड़सवार ,300 हाथी,तथा पांच लाख पैदल सैनिक थे। लेकिन भीमदेवसोलकी और जयचंद गहड़वाल […]
(लेखक: प्रा. डॉ. कुशलदेव शास्त्री) ______________________________________ सुप्रसिद्ध कवि रवीन्द्रनाथ ठाकुर के पिता महर्षि देवेन्द्रनाथ ने राजा राममोहन राय की “ब्रह्मसमाज” की विरासत को आगे बढ़ाया, पर उनके कामों की विशेषता यह रही कि उन्होंने वेदों के अध्ययन को एक अविभाज्य अंग माना। उनके अनुसार प्राचीन हिन्दू धर्म ग्रंथों में हिब्रू धर्म ग्रंथों से भी अधिक […]
ओ३म् ============ ऋषि दयानन्द (1825-1883) के समय में सृष्टि के आदिकाल से आविर्भूत ज्ञान व विज्ञान पर आधारित सत्य सनातन वैदिक धर्म विलुप्त हो चुका था। इसके स्थान पर देश में वैदिक धर्म का स्थान अविद्या, अन्धविश्वास, पाखण्ड, सामाजिक असमानता, पक्षपात व अन्यायपूर्ण व्यवहार तथा परम्पराओं से युक्त मत-मतान्तरों ने ले लिया था। मूर्तिपूजा, फलित […]