….और रणभेरी बज गयी महाराणा प्रताप अपने दृढ़ निश्चय पर अडिग थे कि वह अकबर के दरबार में जाकर शीश नही झुकाएंगे, वह अकबर को अपना शत्रु मानते थे। अकबर ने जब देखा कि महाराणा स्वतंत्रता के गीत गाने की अपनी प्रवृत्ति से बाज आने वाला नही है, तो उसने जून 1776 ई. में मेवाड़ […]
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प्रवीण गुगनानी, सलाहकार, विदेश मंत्रालय, भारत सरकार, (राजभाषा) 9425002270 guni.pra@gmail.com श्री गुरुजी, माधव सदाशिव राव गोलवलकर शक्तिशाली भारत की अवधारणा के अद्भुत, उद्भट व अनुपम संवाहक थे। श्री गुरुजी के संदर्भ में “थे” शब्द कहना सर्वथा अनुचित होगा, वे आज भी पराक्रमी भारत, ओजस्वी भारत, अजेय भारत, निर्भय भारत, संपन्न-समृद्ध-स्वस्थ भारत व राष्ट्रवाद भाव के […]
प्रवीण गुगनानी, विदेश मंत्रालय में राजभाषा सलाहकार, guni.pra@gmail.com 9425002270 आ सिंधु-सिंधु पर्यन्ता, यस्य भारत भूमिका l पितृभू-पुण्यभू भुश्चेव सा वै हिंदू रीति स्मृता ll इस श्लोक के अनुसार “भारत के वह सभी लोग हिंदू हैं जो इस देश को पितृभूमि-पुण्यभूमि मानते हैं” वीर दामोदर सावरकर के इस दर्शन को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का मूलाधार […]
वीरेंद्र गुप्ता की कलम से…. छबील ** आज गुरु श्री अर्जनदेव जी महाराज का शहीदी दिवस है इसलिए आज का लेख गुरु महाराज जी के चरणों में समर्पित है। जून माह में निर्जला एकादशी का व्रत रहता है और इस दौरान लोगों को भयंकर गर्मी और लू का सामना करना पड़ता है। इसलिए जगह जगह […]
पुण्य तिथि 9 जून पर शत शत नमन- धर्मरक्षक बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवम्बर 1875 को खूंटी जिले के अडकी प्रखंड के उलिहातु गाँव में हुआ था। उस समय ईसाई स्कूल में प्रवेश लेने के लिए इसाई धर्म अपनाना जरुरी हुआ करता था। तो बिरसा ने धर्म परिवर्तन कर अपना नाम बिरसा डेविड रख […]
. ॥ॐ॥ * आज बन्दा बैरागी जी का बलिदान दिवस है। कितने हिन्दू युवाओं ने उनके अमर बलिदान की गाथा सुनी है? बहुत कम। क्यूंकि वामपंथियों द्वारा लिखे गए पाठयक्रम में कहीं भी बंदा बैरागी का भूल से भी नाम लेना उनके लिए अपराध के समान है। फिर क्या वीर बन्दा वैरागी का बलिदान व्यर्थ […]
डॉ डी क गर्ग –भाग-15 नोट : प्रस्तुत लेखमाला ९ भाग में है ,ये वैदिक विद्वानों के द्वारा समय समय पर लिखे गए लेखो के संपादन द्वारा तैयार की गयी है ,जिनमे मुख्य विद्यासागर वर्मा ,पूर्व राजदूत, कार्तिक अय्यर, गंगा प्रसाद उपाधयाय प्रमुख है। कृपया अपने विचार बताये और फॉरवर्ड भी करें । बुद्ध मत […]
जिस समय दक्षिण भारत में शिवाजी महाराज का उदय हो रहा था , उस समय उत्तर भारत में मुगल सत्ता दिल्ली पर अपना अधिकार किए हुए थी । वैसे तो मुगलों के प्रत्येक शासक या बादशाह ने हिंदुओं के प्रति निर्दयता और निर्ममता का प्रदर्शन करने वाली नीतियों का अनुगमन किया , परंतु शिवाजी के […]
शिवाजी भारतीय स्वाधीनता संग्राम के देदीप्यमान नक्षत्र हैं, जिनकी दीप्ति से भारत का समकालीन इतिहास आज भी दीप्तिमान है । शिवाजी एक ऐसे व्यक्तित्व हैं जिनके नाम से आज भी इस देश के युवा प्रेरणा लेते हैं । ऐसे महानायक को कुछ षड्यंत्रकारी इतिहासकारों ने बहुत ही संकीर्ण दृष्टिकोण से देखने का राष्ट्रघाती प्रयास किया […]
◼️आत्मदर्शी दयानन्द◼️ ✍🏻 लेखक – पंडित चमूपति एम॰ए० ऋषि दयानन्द का जन्म एक भ्रान्ति-प्रधान युग में हुआ था। कोई ऐसी असम्भव बात न थी जिसे योग की सिद्धि के नाम पर सम्भव न समझा जाता हो । योगियों की विशेषता ही चमत्कार था । धार्मिक नेताओं का गौरव ही उनके आलौकिक कारनामों के कारण था। […]