पंडित आत्माराम अमृतसरी पंडित और विद्वान् शब्द का व्यावहारिक लक्षण यह है कि जो अपने बराबर के पंडित को मूर्ख और अपने से बढ़िया पंडित को उन्मत्त बतलाये। विद्वानों के हृदय फट जाते हैं और पंडितों की आंखें लाल हो जाती हैं जब वे अपने सामने किसी और पंडित के सम्बन्ध में प्रशंसा के शब्द […]
श्रेणी: हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष
सामान्यतः यह धारणा है कि आर्यसमाज के प्रवर्तक महर्षि दयानन्द के ग्रन्थों में शुष्क तर्क अधिक है; वहाँ भक्ति का अभाव है। पर वास्तविकता यह है कि भक्ति और ईश्वरोपासना से सम्बन्धित अनेक विशद विचार स्वामी जी के ऋग्वेदभाष्य, यजुर्वेदभाष्य, ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका, पँचमहायज्ञविधि, संस्कारविधि, सत्यार्थप्रकाश आदि सभी ग्रन्थों में यत्र-तत्र पाये जाते है। महर्षि दयानन्द ने […]
============= श्री शिवनाथ आर्य हमारी युवावस्था के दिनों के निकटस्थ मित्र थे। उनसे हमारा परिचय आर्यसमाज धामावाला देहरादून में सन् 1970 से 1975 के बीच हुआ था। दोनों की उम्र में अधिक अन्तर नहीं था। वह अद्भुत प्रकृति, स्वभाव व व्यवहार वाले आर्यसमाजी थे। उनके विलक्षण व्यक्तित्व के कारण मैं उनकी ओर खिंचा और हम […]
* (विष्णुदत्त शर्मा-विभूति फीचर्स) जम्मू- कश्मीर को भारतीय संविधान के दायरे में लाने और एक देश में दो विधान, दो प्रधान और दो निशान (झंडा) के विरोध में सबसे पहले आवाज उठाने वाले भारतीय जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का 23 जून को बलिदान दिवस है। कश्मीर से विरोधाभासी प्रावधानों की समाप्ति के […]
….और रणभेरी बज गयी महाराणा प्रताप अपने दृढ़ निश्चय पर अडिग थे कि वह अकबर के दरबार में जाकर शीश नही झुकाएंगे, वह अकबर को अपना शत्रु मानते थे। अकबर ने जब देखा कि महाराणा स्वतंत्रता के गीत गाने की अपनी प्रवृत्ति से बाज आने वाला नही है, तो उसने जून 1776 ई. में मेवाड़ […]
प्रवीण गुगनानी, सलाहकार, विदेश मंत्रालय, भारत सरकार, (राजभाषा) 9425002270 guni.pra@gmail.com श्री गुरुजी, माधव सदाशिव राव गोलवलकर शक्तिशाली भारत की अवधारणा के अद्भुत, उद्भट व अनुपम संवाहक थे। श्री गुरुजी के संदर्भ में “थे” शब्द कहना सर्वथा अनुचित होगा, वे आज भी पराक्रमी भारत, ओजस्वी भारत, अजेय भारत, निर्भय भारत, संपन्न-समृद्ध-स्वस्थ भारत व राष्ट्रवाद भाव के […]
प्रवीण गुगनानी, विदेश मंत्रालय में राजभाषा सलाहकार, guni.pra@gmail.com 9425002270 आ सिंधु-सिंधु पर्यन्ता, यस्य भारत भूमिका l पितृभू-पुण्यभू भुश्चेव सा वै हिंदू रीति स्मृता ll इस श्लोक के अनुसार “भारत के वह सभी लोग हिंदू हैं जो इस देश को पितृभूमि-पुण्यभूमि मानते हैं” वीर दामोदर सावरकर के इस दर्शन को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का मूलाधार […]
वीरेंद्र गुप्ता की कलम से…. छबील ** आज गुरु श्री अर्जनदेव जी महाराज का शहीदी दिवस है इसलिए आज का लेख गुरु महाराज जी के चरणों में समर्पित है। जून माह में निर्जला एकादशी का व्रत रहता है और इस दौरान लोगों को भयंकर गर्मी और लू का सामना करना पड़ता है। इसलिए जगह जगह […]
पुण्य तिथि 9 जून पर शत शत नमन- धर्मरक्षक बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवम्बर 1875 को खूंटी जिले के अडकी प्रखंड के उलिहातु गाँव में हुआ था। उस समय ईसाई स्कूल में प्रवेश लेने के लिए इसाई धर्म अपनाना जरुरी हुआ करता था। तो बिरसा ने धर्म परिवर्तन कर अपना नाम बिरसा डेविड रख […]
. ॥ॐ॥ * आज बन्दा बैरागी जी का बलिदान दिवस है। कितने हिन्दू युवाओं ने उनके अमर बलिदान की गाथा सुनी है? बहुत कम। क्यूंकि वामपंथियों द्वारा लिखे गए पाठयक्रम में कहीं भी बंदा बैरागी का भूल से भी नाम लेना उनके लिए अपराध के समान है। फिर क्या वीर बन्दा वैरागी का बलिदान व्यर्थ […]