श्रीराम का औदार्य किसी भी शासक की महानता और उसके शासन की उत्तमता की कसौटी केवल यह मानी गई है कि उसके राज्य में प्रजा सुखी रहे। यदि प्रजा किसी शासक के शासन में दु:खी है तो उसके शासन को उत्तम नहीं माना जा सकता। प्रजा शांतिपूर्वक सुखानुभूति करते हुए अपना जीवन यापन करे और […]
Category: हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष
संदीप सृजन “जिस दिन हमारे सिग्नेचर, ऑटोग्राफ में बदल जाएं मान लिजिए आप कामयाब हो गये” इस दिव्य मंत्र से भारत के युवाओं में नई चेतना का संचार करने वाले भारत के सच्चे रत्न थे डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम। डॉ एपीजे अब्दुल कलाम वह व्यक्ति थे जो बनना तो पायलट चाहते थे लेकिन किन्हीं कारणों […]
ललित गर्ग देश को आजादी दिलाने में जिन महान क्रांतिकारियों का योगदान रहा है, उनमें महर्षि अरविन्द शीर्ष पर है, इन्होंने युवा अवस्था में स्वतन्त्रता संग्राम में क्रान्तिकारी के रूप में भाग लिया, किन्तु बाद में यह एक योगी एवं दार्शनिक बन गये और इन्होंने पांडिचेरी में एक आश्रम स्थापित किया। वे देश की राजनीतिक […]
संदीप सृजन सात दशक की भारतीय राजनीति में कुछ ही ऐसे प्रखर वक्ता और राष्ट्रहित चिंतक हुए है जिनका मुकाबला आने वाले समय में शायद ही कोई कर पाएगा। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भी एक ऐसे ही व्यक्तित्व थे,जिनका कोई पर्याय नहीं हो सकता ।देश-विदेश में अटल जी की भाषण शैली इतनी प्रसिद्ध रही […]
गुरु तेग बहादुर के साथ ही बलिदान देने वाले भाई मतिदास, जिन्हें मुस्लिम ना बनने पर औरंगजेब के आदेश से आरे से बीच से चीर दिया गया था और जिनके बलिदान से भाव विह्वल हो गुरु ने उन्हें भाई की उपाधि से विभूषित किया था, के वंश में जन्मे बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी भाई परमानन्द […]
श्रीराम की शरणागत वत्सल भावना श्रीराम की शरणागत वत्सल भावना भी प्रशंसनीय है। उनकी शरण में जो भी आया उसी को उन्होंने गले लगाया । यद्यपि कई लोगों ने विभीषण के उनकी शरण में आने पर आपत्ति उठाई थी और यह शंका भी व्यक्त की थी कि यह व्यक्ति क्योंकि शत्रु पक्ष से आया […]
आज हम जब श्री राम जन्मभूमि पर अयोध्या में मंदिर बना रहे हैं तो वह मंदिर श्रीराम के अथक और गंभीर प्रयासों का प्रतीक है। जिनके चलते हमने संपूर्ण भूमंडल को ही मंदिर में परिवर्तित कर दिया था। आज उनका यह प्रतीकात्मक मंदिर अपनी भव्यता और विशालता को तभी प्राप्त कर पाएगा जब यह […]
संपूर्ण भारत ही बन जाए श्रीराम मंदिर मंदिर भारतीय संस्कृति में एक विशेष पवित्र स्थल का नाम है। जहां भीतरी बाहरी पवित्रता को स्थान दिया जाता है। यह वह स्थल है जहां जाकर बाहरी दुनिया की चहल-पहल और कोलाहल सब शांत हो जाता है । व्यक्ति के भीतर का संसार मुखरित होकर उसका मार्गदर्शन करने […]
पुलकित भारद्वाज 15 मार्च 1854 गोधूलि बेला में झांसी का सफेद शाही हाथी घुड़सवार दस्तों के साथ राजमहल की तरफ बढ़ रहा था। आमतौर पर झांसी के शाही मेहमानों की अगवानी इसी तरह की जाती थी। लेकिन उस दिन हाथी के ऊपर लगे और लाल मखमल से सजे चांदी के हौद में जो शख्स सवार […]
संसार के इतिहास में ऐसे अवसर ढूंढने बड़े कठिन हैं – जब राज्य गेंद बनकर उछल रहा हो। कोई सा भाई भी राज्य पर अपना अधिकार बनाना उचित नहीं मान रहा था। दोनों धर्म और मर्यादा की डोर से बंधे गए थे और एक दूसरे से कहे जा रहे थे कि राज सिंहासन पर […]