〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ यह नारा ही सम्पूर्ण हिंदुओं और सिक्ख पंथ में फूट कराने वाला है *क्योंकि हिंदू परिवार का बड़ा बेटा ही धर्म की रक्षा के लिए सिक्ख बनता था* कृपया इस पर गंभीरता से सोच कर अपने विचार प्रकट करें *…*… ये तो समझ आता है कि हिंदू, मुस्लिम, ईसाई पर सिक्खों को तुमने कहाँ […]
Category: हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष
-अशोक चौधरी मेरठ भारत का इतिहास संघर्षों से भरा है, एक वह समय था कि पितामह भीष्म का सामना करने वाला दुनिया में नहीं था। उसके बाद समय ऐसा आया कि भारत मुगल शाही, कुतुब शाही, निजाम शाही व आदिल शाही के चंगुल में फंस गया, ऐसा लगने लगा कि यह सनातन संस्कृति समाप्त हो […]
राम प्रसाद बिस्मिल काकोरी कांड के मुख्य अभियुक्त थे। इनकी फांसी के बाद इनका परिवार अभावों मे रहा। सरकारों ने कोई सुध नहीं ली। परंतु आज हमारे लेख का विषय इनके वकील और सरकारी वकील व नेहरू खानदान से है। पण्डित जगत नारायण मुल्ला- ब्रिटिश सरकार की ओर से सरकारी वकील थे। बिस्मिल और बाकी […]
सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ [कवि स्वभाव से ही बागी होता है। काव्य-कला के नियम भी उस पर बन्दिश न लगा पाते हैं। बगावत अगर सत्य की स्वीकृति हो तो कविता का ही दूसरा नाम बन जाती है। भला बगावत के बगैर कविता का चरित्र ही क्या है? कवि के भावों की सजावट कविता है और चरित्र […]
(27 जून को स्मृति दिवस पर प्रकाशित) पं. गणपति शर्मा जी का जन्म राजस्थान के चुरु नामक नगर में सन् 1873 में श्री भानीराम वैद्य जी के यहां हुआ था। आप पाराशर गोत्रीय पारीक ब्राह्मण थे। आपके पिता ईश्वर के सच्चे भक्त व उपासक थे। पिता का यही गुण उनके पुत्र गणपति शर्मा में भी […]
निधि अविनाश आज के युग की बात करें तो शरीर के अगल-अलग अंगों के ऑपरेशन के लिए अब कई अलग-अलग डॉक्टर हैं लेकिन 2600 साल पहले मेडिकल साइंस के आदि पुरुष सुश्रुत प्लास्टिक सर्जरी भी करते थे जिन्हें फादर ऑफ प्लास्टिक सर्जरी भी कहा जाता था। भारत ने प्राचीन काल में मेडिकल साइंस की ऐसी […]
अंकित सिंह हेडगेवार अपने बड़े भाई से प्रेरणा लेते थे। उनके बड़े भाई हमेशा उन्हें अच्छा और बुरा बतलाते रहते थे। हेडगेवार के बड़े भाई महादेव शास्त्रों के अच्छे ज्ञाता तो थे ही साथ ही साथ मल्लयुद्ध की कला से भी माहिर थे। हेडगेवार एक अच्छे वक्ता थे और यही कारण था कि धीरे-धीरे राष्ट्रीय […]
उगता भारत ब्यूरो इस विषय में जितना भी लिखा जाए थोड़ा है तथापि हम संक्षेप मेँ ठोस सामग्री देने का प्रयास करेगेँ। आधुनिक भारत के एक प्रसिद्ध इतिहासकार श्री ईश्वरीप्रसाद ने ‘सरस्वती’ मासिक के सन् 1929 के एक अंक मेँ अपने एक पठनीय लेख मेँ लिखा था- “हिन्दूसमाज मेँ स्वामीजी ने हलचल मचा दी। अदम्य […]
आर्य समाज के प्रवर्तक महर्षि दयानन्द सरस्वती जी ने मनुष्य समाज की सेवा में सत्यार्थ प्रकाश नामक पुस्तक की रचना करके मानव जाति को ढकोसला, मूर्ति पूजा, पाखंड व असत्य से बचाकर भारी उपकार किया था। सत्य का ग्रहण और असत्य का परित्याग करने के लिए स्वामी दयानंद जी ने अपने द्वारा निर्भीक रूप से […]
लक्ष्मीबाई बहुत ही अद्भुत और बहादुर महिला थी। बात 15 मार्च 1854 की है वो धुंधली सी शाम जब एक शाही सफेद हाथी घुड़सवार दस्तों के साथ राजमहल की तरफ बढ़ रहा था। यह शख्स थे मशहूर ऑस्ट्रेलियन वकील लैंग जॉन जो रियासत की कर्ता-धर्ता और महाराज गंगाधर राव की विधवा रानी लक्ष्मीबाई के विशेष […]