ओ३म् ============ महाभारत काल के बाद देश में अज्ञानता के कारण अन्धविश्वास व कुरीतियां उत्पन्न होने से देश निर्बल हुआ जिस कारण समय समय पर उसके कुछ भाग पराधीन होते रहे। पराधीनता का शिंकजा दिन प्रतिदिन अपनी जकड़ बढ़ाता गया। देश अशिक्षा, अज्ञान, अन्धविश्वास, पाखण्ड व सामाजिक विषमताओं से ग्रस्त होने के कारण पराधीनता का […]
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ओ३म् ======== भारत में मध्यकाल में देश में अविद्या छा जाने के कारण जो नाना अन्धविश्वास एवं कुरीतियां उत्पन्न हुईं उससे कई मत-मतान्तर उत्पन्न हुए और इनसे परस्पर वैर भावना में वृद्धि हुई। ऋषि दयानन्द ने अपने अथक परिश्रम से इसका कारण जाना और पाया कि वेदों में निहित सत्यज्ञान को भूल जाने के कारण […]
पंकज जायसवाल यद्यपि भारत ने एक राष्ट्र के रूप में सभी आक्रमणों के खिलाफ कड़ा संघर्ष किया है और खुद को सुरक्षित किया है, उस समय के दौरान हमें सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक मोर्चों पर बहुत नुकसान हुआ है। आक्रमणकारियों की असंवेदनशीलता और अमानवीय व्यवहार और कार्यों के कारण, कई भारतीयों ने हमारे भाइयों और […]
क्या थे भगतसिंह? भगतसिंह के प्रेरणास्रोत: सरदार अर्जुन सिंह डॉ0 विवेक आर्य इस लेख को पढ़ने वाले ज्यादातर वे पाठक हैं जिन्होंने आजाद भारत में जन्म लिया। यह हमारा सौभाग्य है कि हम जिस देश में जन्मे हैं, उसे आज कोई गुलाम भारत नहीं कहता, उपनिवेश नहीं कहता- बल्कि संसार के एक मजबूत स्वतंत्र राष्ट्र […]
क्रान्तिकारी नायक मंगल पाण्डेय – वीरवर मंगल पाण्डेय का जन्म 19 जुलाई 1827 को वर्तमान उत्तर प्रदेश, जो उन दिनों संयुक्त प्रान्त आगरा व अवध के नाम से जाना जाता था, के बलिया जिले में स्थित नगवा गाँव के एक सामान्य परंतु प्रतिष्ठित सरयूपारीण ब्राम्हण परिवार में हुआ था। स्वाधिनता की वेदी पर पहला बलिदान […]
19 जुलाई/इतिहास-स्मृति जलियांवाला के प्रतिशोधी ऊधमसिंह ऊधमसिंह का जन्म ग्राम सुनाम ( जिला संगरूर, पंजाब) में 26 दिसम्बर, 1899 को सरदार टहलसिंह के घर में हुआ था। मात्र दो वर्ष की अवस्था में ही इनकी माँ का और सात साल का होने पर पिता का देहान्त हो गया। ऐसी अवस्था में किसी परिवारजन ने इनकी […]
स्वामी ओमानन्द सरस्वती महर्षि दयानन्द के प्रियतम शिष्य श्री श्याम जी कृष्ण वर्मा काठियावाड़ राज्य के थे। ये संस्कृत भाषा के धुरन्धर विद्वान थे। महर्षि दयानन्द जी से अष्टाध्यायी संस्कृत व्याकरण को पढ़ा था। महर्षि दयानन्द ने विदेशों में वैदिक धर्म के प्रचारार्थ हो लन्दन भेजा था। महर्षि दयानन्द के साथ इनका पत्रव्यवहार भी था। […]
ऋषि दयानन्द के धार्मिक तथा सामाजिक सुधार कार्य में अधिक समय रहने तथा उनके राष्ट्रीय जागरण के प्रथम पुरोधा होने के कारण अनेक लोगों में यही धारणा बन गई है कि भारत की आध्यात्मिक चेतना को जगाने तथा भगवत् भक्ति के प्रसार में उनका योगदान अल्प है। ऐसा विचार उन लोगों का है जिन्होंने दयानन्द […]
ओ३म् ======== महर्षि दयानन्द ने वेद प्रचार का मार्ग क्यों चुना? इसका उत्तर है कि उनके समय में देश व संसार के लोग असत्य व अज्ञान के मार्ग पर चल रहे थे। उन्हें यथार्थ सत्य का ज्ञान नहीं था जिससे वह जीवन के सुखों सहित मोक्ष के सुख से भी सर्वथा अपरिचित व वंचति थे। […]
शुभेन्दु शेखर अवस्थी श्यामा प्रसाद मुखर्जी मुस्लिम लीग द्वारा सांप्रदायिक आधार पर सम्पूर्ण बंगाल प्रांत को हड़पने की साज़िश के विरुद्ध बंगाल के विभाजन की सबसे मुखर मांग श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी ने की। उनकी यह अहम भूमिका एक बलिदानी की तरह थी जिसने बंगाली हिंदुओं को ‘अलग बंग मातृभूमि’ की प्राप्ति के लिए प्रेरित किया और […]