तरुण विजय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा धर्मान्तरण पर दिया फैसला बहुत सामायिक महत्त्व का है। ईसाई धर्मान्तरण एक सोची समझी साजिश के अंतर्गत पश्चिमी ईसाई देशों की वित्तीय सहायता से चल रहा है। इसमें धर्मान्तरित व्यक्ति की समझ का कोई हवाला होता ही नहीं है। धन, पद, विदेश में शिक्षा और देश के प्रमुख इसे अल्पसंख्यक […]
Category: हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष
जयंती पर विशेष…. डॉ. वंदना सेन भारतीय संस्कृति को आत्मसात करने वाले कई महानायकों का पूरा जीवन एक ऐसी प्रेरणा देता है, जो देश और समाज को राष्ट्रीयता का बोध कराता है। कहा जाता है कि जो अपने स्वत्व की चिंता न करते हुए समाज के हित के लिए कार्य करता है, वह नायक निश्चित […]
स्वामी दयानन्द पर कुछ अज्ञानी लोग यह कहकर आक्षेप लगा देते हैं कि स्वामीजी ने हिन्दू समाज को संकीर्ण बना दिया। स्वामी जी पर यह आक्षेप निराधार है क्योंकि हिन्दू समाज तो पहले से ही इतना संकीर्ण हो चुका था कि उसमें और अधिक संकीर्णता लाने का स्थान ही नहीं रहा था। सनातन धर्म के […]
विज्ञान के विद्यार्थी और पेशे से वैद्य होने के बावजूद गुरुदत्त (8 दिसम्बर 1894 – 8 अप्रैल 1989) बीसवीं शती के एक ऐसे सिद्धहस्त लेखक थे, जिन्होने लगभग दो सौ उपन्यास, संस्मरण, जीवनचरित, आदि का सृजन किया और भारतीय इतिहास, धर्म, दर्शन, संस्कृति, विज्ञानं, राजनीति और समाजशास्त्र के क्षेत्र में भी अनेक उल्लेखनीय शोध-कृतियाँ दीं। […]
हमारे देश में एक विशेष जमात यह राग अलाप रही है कि जिन्नाह अंग्रेजों से लड़े थे इसलिए महान थे। जबकि वीर सावरकर गद्दार थे क्यूंकि उन्होंने अंग्रेजों से माफ़ी मांगी थी। वैसे इन लोगों को यह नहीं मालूम कि जिन्नाह इस्लाम की मान्यताओं के विरुद्ध सारे कर्म करते थे। जैसे सूअर का मांस खाना, […]
रितिका कमठान आज भारत के महान समाज सुधारक स्वामी दयानंद सरस्वती की पुण्यतिथि है। आर्यसमाज के संस्थापक का जन्म 12 फरवरी 1824 ई. को गुजरात में हुआ था।। आधुनिक भारत की नींव रखने का श्रेय उन्हीं को जाता है। उन्होंने मूर्ति पूजा और कर्मकांडों का विरोध किया था, जिस कारण कई बार उन्हें जान से […]
31 अक्टूबर को लौहपुरुष सरदार बल्लभ भाई पटेल की जयंती पर विशेष आलेख। कश्मीर को लेकर आज के सत्ताधीश पूर्णत: असफल सिद्घ हो चुके हैं। उनकी कश्मीर नीति उनकी एक कमजोर शासक की छवि बना चुकी है। जब वह कहते हैं कि कश्मीर समस्या को वह सुलझा लेंगे तो लोगों को उनकी बात पर […]
महर्षि दयानंद की पुण्यतिथि पर विशेष आलेख। गुजरात प्रांत की भूमि युगो युगो से महापुरुषों को पैदा करती आई है जिसनेअनेक महापुरुष भारत मां की गोद में रतन के रूप में प्रदान किए हैं। भारतवर्ष का गुजरात प्रांत बहुत ही महत्वपूर्ण रहा है। जिसका क्षेत्रफल बहुत ही विस्तृत, बहुत विशाल और बहुत ही विशद था। […]
(स्वामी दयानन्द के बलिदान दिवस के अवसर पर प्रकाशित) लेखक वीरसेन वेदश्रमी प्रस्तोता- #डॉ_विवेक_आर्य वह मूलशंकर था, चैतन्य था, महाचैतन्य था, दयानन्द था। सरस्वती था, वेदरूपी सरस्वती को वह इस धरातल पर प्रवाहित कर गया। वह स्वामी था, वह सन्यासी था, परिव्राट था। दंडी था, योगी था, योगिराज था, महा तपस्वी था। योग सिद्धियों से […]
लेखक- स्व० श्री पं० चमूपति जी, एम०ए० (स्वामी दयानन्द के बलिदान दिवस के अवसर पर प्रकाशित) ऋषि दयानन्द की जन्मभूमि होने का गौरव गुजरात प्रान्त को है। पिता जन्म के ब्राह्मण थे, और भूमिहारी तथा जमीदारी का कार्य करते थे। शिव के बड़े भक्त थे। शिवरात्रि के दिन बालक को मन्दिर में ले गए और […]