#डॉविवेकआर्य (बंसत पंचमी 26 जनवरी को वीर हकीकत राय के बलिदान दिवस पर विशेष रूप से प्रकाशित) पंजाब के सियालकोट मे सन् 1719 में जन्में वीर हकीकत राय जन्म से ही कुशाग्र बुद्धि के बालक थे। आप बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि के बालक थे। बड़े होने पर आपको उस समय कि परम्परा के अनुसार […]
Category: हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष
लगभग आरंभ से ही कम्युनिस्टों को अपनी वैज्ञानिक विचारधारा और प्रगतिशील दृष्टि का घोर अहंकार रहा है। लेकिन अनोखी बात यह है कि इतिहास व भविष्य ही नहीं, ठीक वर्तमान यानी आंखों के सामने की घटना-परिघटना पर भी उनके मूल्यांकन, टीका-टिप्पणी, नीति, प्रस्ताव आदि प्राय: मूढ़ता की पराकाष्ठा साबित होते रहे हैं। यह न तो […]
देश अपने 74वें गणतंत्र दिवस के रंग में रंग गया है। सचमुच यह पावन पर्व हमें अपने स्वतंत्रता सैनानियों और अमर बलिदानियों के उद्यम और पुरूषार्थ का स्मरण कराकर अपने देश के प्रति समर्पित भाव से जीने के लिए प्रेरित करता है। भारत की संस्कृति की महानता का राज ही यह है कि ये हमें […]
============================== महर्षि दयानन्द ठहरे थे फर्रुखाबाद में गंगा के तट पर । उनसे थोडी ही दूर एक और झोपडी में एक दूसरा साधु भी ठहरा हुआ था । प्रतिदिन वह देव दयानन्द की कुटिया के पास आकर उन्हें गालियाँ देता रहता था । देव दयानन्द सुनते और मुस्करा देते । कोई भी उत्तर नहीं देते […]
आज है देश की आन बान और शान के प्रतीक महाराणा प्रताप की पुण्यतिथि हल्दीघाटी के मैदान में युद्ध करने की योजना महाराणा प्रताप ने गोगुंदा के किले में रहते हुए बनाई थी। जब मेवाड़ और मुगलों के बीच संधि न हो पाई तो मानसिंह मुगलों की एक विशाल सेना लेकर महाराणा प्रताप पर […]
ओ३म् ऋषि दयानन्द (1825-1883) सच्चे ऋषि, योगी, वेदों के पारदर्शी विद्वान, ईश्वरभक्त, वेदभक्त, देशभक्त, सच्चे समाज सुधारक, वेदोद्धारक, वैदिकधर्म व संस्कृति के अपूर्व प्रचारक आदि अनेकानेक गुणों से सम्पन्न थे। 21 वर्ष की अवस्था होने पर वह सुख सुविधाओं से परिपूर्ण अपने माता-पिता का घर छोड़कर सच्चे शिव वा ईश्वर, आत्मज्ञान व मोक्ष के उपाय […]
ओ३म् ’ मनुष्यों के अनेक कर्तव्यों में से एक कर्तव्य वेदों के सत्यस्वरूप को जानना व उनका नियमित स्वाध्याय करना है। वेदों का स्वाध्याय मनुष्य का कर्तव्य इसलिये है कि वेद संसार का सबसे पुराना व प्रथम ज्ञान है। यह वेदज्ञान मनुष्यों द्वारा अपने पुरुषार्थ से अर्जित ज्ञान नहीं है अपितु सृष्टि के आरम्भ में […]
लोकेन्द्र सिंह राजपूत माँ भगवती की कृपा से स्वामी विवेकानंद सिद्ध संचारक थे। उनके विचारों को सुनने के लिए भारत से लेकर अमेरिका तक लोग लालायित रहते थे। लेकिन हिन्दू धर्म के सर्वसमावेशी विचार को लेकर स्वामीजी कहाँ तक जा सकते थे? मनुष्य देह की एक मर्यादा है। भारत का विचार अपने वास्तविक एवं उदात्त […]
प्रह्लाद सबनानी स्वामी विवेकानंद जी का मूल स्वभाव राष्ट्र के प्रति समर्पित भावना से ओतप्रोत था। आपने राष्ट्रीय भाव में आध्यात्मिक एवं धर्म को जोड़कर इसे धारदार बनाने के प्रयास किया था। आपका मजबूत विचार था भारत को अपने आध्यात्म एवं धर्म के बल पर पश्चिम को पुनः जीतना ही होगा। स्वामी विवेकानन्द जी का […]
भारत का वह सन्यासी कौन था जिसकी चर्चा अमेरिका में सबसे पहले हुई? भारत का वह महान विचारक कौन था जिसकी चर्चा अमेरिका में सबसे पहले हुई? भारत का वह महान सुधारक कौन था जिसकी चर्चा अमेरिका में सबसे पहले हुई? भारत का वह कौन सा महात्मा था जिसकी चर्चा अमरीका में सबसे पहले हुई […]