महर्षि दयानंद की 200 वी जयंती पर लेख की तृतीय किस्त , ” स्वामीजी महाराज पहले महापुरूष थे जो पश्चिमी देशों के मनुष्यों के गुरू कहलाये।… जिस युग में स्वामी जी हुए उससे कई वर्ष पहले से आज तक ऐसा एक ही पुरूष हुआ है जो विदेशी भाषा नहीं जानता था, जिसने स्वदेश से बाहर […]
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ओ३म् =========== आर्यसमाज का अस्तित्व वेद के अस्तित्व पर विद्यमान है। वेद के बाद ऋषि मुनियों के ग्रन्थ व उनकी ईश्वर, जीव व प्रकृति सहित मानव जीवन के सभी पक्षों पर मार्गदर्शन करने वाली सत्य मान्यताओं पर है। यदि किसी को शास्त्र वा शास्त्र ज्ञान उपलब्ध न हो तो उसे तर्क व युक्ति का सहारा […]
आधुनिक भारत के इतिहास में जन जागृति, नागरिक आधिकारों व धार्मिक स्वतंत्रता के लिए भाई श्री श्यामलालजी का नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखा जायेगा | आपका जन्म सन १९०३ में भालकी नाम के छोटे से कस्बें में पं.भोलाप्रसादजी के घर हुआ था | भालकी कस्बा जिला बीदर के अंतर्गत है और अब यह जनपद कर्नाटक […]
हम स्वतंत्रता के 75 वर्ष में स्वतंत्रता का महोत्सव मना रहे हैं। ऐसे ही पावन वर्ष में महर्षि दयानंद की 200 वी जन्मजयंती भी राष्ट्रीय स्तर पर बड़ी धूमधाम के साथ बहुत ही उल्लास एवं उत्साह से भरपूर होकर हम मना रहे हैं। हां जी, हम उन महर्षि दयानंद की बात कर रहे हैं जिन्होंने […]
महर्षि दयानंद की 200 वी जयंती पर विशेष आलेख गुजरात प्रांत की भूमि युगों युगों से महापुरुषों को पैदा करती आई है जिसनेअनेक महापुरुष भारत मां की गोद में रतन के रूप में प्रदान किए हैं। भारतवर्ष का गुजरात प्रांत बहुत ही महत्वपूर्ण रहा है। जिसका क्षेत्रफल बहुत ही विस्तृत, विशाल और विशद था। वर्तमान […]
1947 से पहले की घटना है। अंग्रेजों ने अपने राज को स्थाई बनाने के लिए ईसाई पादरियों को खुले आम सहायता देना आरम्भ किया था। ईसाइयों के इस दुष्चक्र का आर्यसमाज के प्रचारकों ने प्रति उत्तर देना आरम्भ कर दिया। ईसाई मिशनरियों को ऐसे प्रतिरोध की कोई अपेक्षा नहीं थी। इसलिए वे आर्य प्रचारकों से […]
अहिंसा और हिन्दू मुस्लिम नेताओं तथा भारतीय मुसलमानों को खुश करने के लिए गाँधी जी ने मोतीलाल नेहरु के सुझाव पर कांग्रेस की ओर से खिलाफत आन्दोलन के समर्थन की घोषणा की। श्री विपिन चन्द्र पाल, डा. एनी बेसेंट, सी. ऍफ़ अन्द्रूज आदि नेताओं ने कांग्रेस की बैठक में खिलाफत के समर्थन का विरोध किया,किन्तु […]
महर्षि दयानन्द की विशेषताएँ लेखक महात्मा नारायण स्वामी जी स्वामी दयानन्द 19वीं शताब्दी के सबसे बड़े वेद के विद्वान, धर्म प्रचारक, समाज-संशोधक, देशोद्धारक और सर्वतोमुखी सुधारक थे | उनकी विशेषतायें यह थीं – धार्मिक सुधार (1) वे वेद को सत्य विद्याओं का ग्रन्थ मानते थे | उनकी दृष्टि में वेद के सभी शब्द यौगिक और […]
महावीरसिंह फोगाट प्रेमनगर रोहतक भारत की सीमा पर बैठा सच्चा महात्मा अब्दुल गफ्फार खान चिल्लाया – हम किसी कीमत पर भी भारत मां के टुकड़े नहीं चाहते!!! पंजाब में गरीबों के मसीहा सर छोटुराम ने कहा- मैं अपने पंजाब को किसी कीमत पर भी नहीं बटने दूंगा!!!तुम कौन होते हो हमारी भावना के खिलाफ हमारे […]
विविध संस्कृतियों से समाहित विश्व में सर्वाधिक समृद्ध संस्कृति वाला देश भारत का इतिहास भी अत्यंत गौरवशाली रहा है। अनादिकाल से ही यह देश उन वीरों की कर्मभूमि भी रही है, जिन्होंने अपने प्राणों की परवाह किए बिना इस देश के कल्याण के लिए कार्य किए हैं, और अपने देश के लिए प्राणों की बलि […]