पुण्यतिथि 27 फरवरी पर शत शत नमन चंद्रशेखर आजाद का क्रांतिकारी जीवन का केंद्र बिंदु झांसी रहा था ! जहाँ क्रांतिकारियों में उनके २-3 करीबियों में से एक सदाशिव राव मलकापुरकर रहते थे ! चंद्रशेखर आजाद अपने जीवन में बहुत अधिक गोपनीयता रखते थे इस कारण वह आजीवन कभी भी पुलिस द्वारा पकडे नहीं गए […]
श्रेणी: हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष
हर साल कित्तुरु में 22 से 24 अक्टूबर तक कित्तुरु उत्सव लगता है जिसमें उनकी जीत का जश्न मनाया जाता है। चेन्नम्मा का जन्म 23 अक्टूबर, 1778 को ककाती में हुआ था। यह कर्नाटक के बेलगावी जिले में एक छोटा सा गांव है। उनकी शादी देसाई वंश के राजा मल्लासारजा से हुई जिसके बाद वह […]
ओ३म् ========= सनातन धर्म सृष्टि के आरम्भ से प्रवृत्त धर्म है। इसका आधार वेद और वैदिक शिक्षायें हैं जो ईश्वर प्रदत्त होने से पूर्णतः सत्य पर आधारित हैं। वेद संसार में सबसे पुराने ग्रन्थ हैं इस कारण इन्हें पुराण भी कहा जाता है। वास्तविक पुराण वेद ही हैं। वेद में किंचित मानवीय इतिहास नहीं है। […]
ओ३म् “शिवरात्रि मूलशंकर के लिये मोक्षदायिनी बोधरात्रि बनी थी” -मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून। सनातन धर्म सृष्टि के आरम्भ से प्रवृत्त धर्म है। इसका आधार वेद और वैदिक शिक्षायें हैं जो ईश्वर प्रदत्त होने से पूर्णतः सत्य पर आधारित हैं। वेद संसार में सबसे पुराने ग्रन्थ हैं इस कारण इन्हें पुराण भी कहा जाता है। वास्तविक […]
मुख्तार खान महाराष्ट्र में छत्रपति शिवाजी महाराज का नाम बड़े आदर और श्रद्धा के साथ लिया जाता है। हर साल 19 फरवरी को पूरे राज्य में शिवाजी जयंती बड़े धूम-धाम के साथ मनाई जाती है। 6 जून 1674 को शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक दिन भी मनाया जाता है। आज से लग भाग साढ़े तीन सौ […]
-प्रियांशु सेठ उन्नीसवीं शताब्दी के महान् दार्शनिक चिन्तक स्वामी दयानंद सरस्वती भारतवर्ष में आत्मनिर्भरता, स्वतंत्रता और संप्रभुता का संचार करना चाहते थे। सन् 1947 से पूर्व का भारत तो पराधीनता की बेड़ियों में बंधा था, लेकिन महाभारत के बाद का भारत तो कुप्रथाओं की कटपुतली बनकर झूम रहा था। स्वामी दयानंदजी ने अपने दूरदर्शी चिन्तन […]
15 फरवरी पुण्यतिथि पर विशेष्र डॉ. वन्दना सेन सुभद्रा कुमारी चौहान ने जनता में जगाई राष्ट्रीयता की अलख स्वतंत्रता के संग्राम में योगदान देने वाली ऐसी कई महिला महानायक भी हैं, जिन्होंने आजादी के लिए किए गए यज्ञ में अपनी आहुति देकर स्वतंत्रता की मशाल को जलाए रखा। स्वतंत्रता की कहानी को काव्यमय शब्द प्रदान […]
ऋषि दयानंद, राजा जयकृष्ण दास और सत्यार्थ प्रकाश सन 1874 में महर्षि दयानंद काशी में पुनः पधारे थे। उस समय मुरादाबाद निवासी श्री राजा जयकृष्ण दास सी.एस.आई. वहां के डिप्टी कलेक्टर थे ।उन्होंने महर्षि दयानंद सरस्वती से निवेदन किया कि आप के उपदेशों से जो लोग वंचित रह जाते हैं उन तक अपने विचार पहुंचाने […]
महर्षि दयानंद की 200 वी जयंती पर लेख की तृतीय किस्त , ” स्वामीजी महाराज पहले महापुरूष थे जो पश्चिमी देशों के मनुष्यों के गुरू कहलाये।… जिस युग में स्वामी जी हुए उससे कई वर्ष पहले से आज तक ऐसा एक ही पुरूष हुआ है जो विदेशी भाषा नहीं जानता था, जिसने स्वदेश से बाहर […]
ओ३म् =========== आर्यसमाज का अस्तित्व वेद के अस्तित्व पर विद्यमान है। वेद के बाद ऋषि मुनियों के ग्रन्थ व उनकी ईश्वर, जीव व प्रकृति सहित मानव जीवन के सभी पक्षों पर मार्गदर्शन करने वाली सत्य मान्यताओं पर है। यदि किसी को शास्त्र वा शास्त्र ज्ञान उपलब्ध न हो तो उसे तर्क व युक्ति का सहारा […]