बिरसा मुंडा महान क्रांतिकारी थे, जनजातीय समाज को साथ लेकर उलगुलान किया था उन्होने। उलगुलान अर्थात हल्ला बोल, क्रांति का ही एक देशज नाम। वे एक महान संस्कृतिनिष्ठ समाज सुधारक भी थे, वे संगीतज्ञ भी थे जिन्होंने सूखे कद्दू से एक वाद्ध्ययंत्र का भी अविष्कार किया था जो अब भी बड़ा लोकप्रिय है। इसी वाद्ध्ययंत्र […]
Category: हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष
भारत के स्वतंत्रता संग्राम में जनजातीय समाज का रहा है विशेष योगदान मां भारती को अंग्रेजी शासनकाल की दासता की यन्त्रणा से मुक्त कराने हेतु जनजातीय समाज ने अंग्रेजों को नाको चने चबवा दिए थे। दरअसल, जनजातीय समाज चूंकि बहुत घने जंगलों में निवास करता था अतः वह अंग्रेजों की पकड़ से कुछ दूर ही […]
कल्पना पांडे इतने सालों बाद हमे शर्म से ये स्वीकार कर लेना चाहिए कि धार्मिक आडंबरों, पाखंड और अंधविश्वास फैलाने वाले और दकियानूसी सोच के सभी धर्मों के धर्मगुरुओं के बढ़ते प्रभाव और वोटों के लिए उन्हे मिलते राजनीतिक संरक्षण के इस दौर में वैज्ञानिक दृष्टिकोण की नेहरूवादी समझ और भारतीय संदर्भ में इसके वास्तविक […]
श्री जहूर बख्श हिंदी कोविद (हिंदी के प्रसिद्ध बाल साहित्य के प्रणेता तथा कहानी-लेखक) “ऋषि दयानन्द के चरित्र में अनेक सद्गुणों का विकास इस प्रकार हुआ है कि वह मुझे बरबस अपनी ओर आकृष्ट कर लेता है। कुछ लोग महर्षि के जिस गुण को एवं उसके विकास को दोष समझते हैं, उसे ही मैं एक […]
युगदृष्टा एवं राष्ट्रऋषि श्री दत्तोपंत ठेंगड़ी के जन्म दिवस (10 नवम्बर) पर लेख श्री दत्तोपंत जी ठेंगड़ी का जन्म 10 नवम्बर, 1920 को, दीपावली के दिन, महाराष्ट्र के वर्धा जिले के आर्वी नामक ग्राम में हुआ था। श्री दत्तोपंत जी के पित्ताजी श्री बापूराव दाजीबा ठेंगड़ी, सुप्रसिद्ध अधिवक्ता थे, तथा माताजी, श्रीमती जानकी देवी, गंभीर […]
============ हमें अपने जीवन में कीर्तिशेष महात्मा दयानन्द वानप्रस्थ जी के दर्शन करने, उनके वृहद वेद पारायण यज्ञों में भाग लेने तथा उनके तपोवन आश्रम, देहरादून में यज्ञ की वेदी व आश्रम के मंच से विचारों को सुनने का अवसर मिला है। उनकी पुत्री श्रीमती सुरेन्द्र अरोड़ा जी यज्ञ पारायण महिला हैं। वह देहरादून में […]
विनोद बंसल राष्ट्रीय प्रवक्ता – विहिप भारतीय चिंतन में संतों का सर्वोच्च स्थान है। जब कोई व्यक्ति अपने सांसारिक सुखों को त्याग कर आध्यात्मिक जगत के अन्वेषण में लग जाता है या यूं कहें लोक कल्याण के हेतु अपने सारे जीवन की सुख सुविधाएं छोड़, स्वयं को प्रभु को समर्पित कर देता है तब वह […]
============ महान् व्यक्तित्व के धनी स्वामी श्रद्धानन्द जी (पूर्व आश्रम का नाम महात्मा मुंशीराम जी) (1856-1926) का जीवन एवं व्यक्तित्व कैसा था इसका अनुमान हम शायद नहीं लगा सकते। गुरुकुल के स्नातक, देशभक्त, स्वतन्त्रता सेनानी एवं प्रसिद्ध पत्रकार पं0 सत्यदेव विद्यालंकार जी ने स्वामी श्रद्धानन्द जी का जीवन चरित्र लिखा है। इस पुस्तक में उन्होंने […]
देश के क्रांतिकारी आंदोलन की रीढ़ बनकर रहे भाई परमानंद जी आज भी प्रत्येक देशभक्त के लिए बहुत ही आदर और सम्मान के पात्र हैं। 4 नवंबर 1876 को जन्मे भाई परमानंद जी भारतीय इतिहास की एक अनमोल निधि हैं। उनके भीतर देशभक्ति,राष्ट्र प्रेम, संस्कृति प्रेम और धर्म के प्रति निष्ठा कूट-कूट कर भरी थी। […]
============ महान् व्यक्तित्व के धनी स्वामी श्रद्धानन्द जी (पूर्व आश्रम का नाम महात्मा मुंशीराम जी) (1856-1926) का जीवन एवं व्यक्तित्व कैसा था इसका अनुमान हम शायद नहीं लगा सकते। गुरुकुल के स्नातक, देशभक्त, स्वतन्त्रता सेनानी एवं प्रसिद्ध पत्रकार पं0 सत्यदेव विद्यालंकार जी ने स्वामी श्रद्धानन्द जी का जीवन चरित्र लिखा है। इस पुस्तक में उन्होंने […]