एक नया और खंडित राष्ट्र अगस्त 1947 में जब भारत आजाद हुआ तो उसके सामने कई बड़ी चुनौतियाँ थीं। बँटवारे की वजह से 80 लाख शरणार्थी पाकिस्तान से भारत आ गए थे। इन लोगों के लिए रहने का इंतजाम करना और उन्हें रोजगार देना जरूरी था। इसके बाद रियासतों की समस्या थी। तकरीबन 500 रियासतें […]
श्रेणी: हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष
सर्वप्रथम वेदों का प्रादुर्भाव भारतवर्ष की धर्म धरा पर हुआ । ईश्वरीय वाणी वेद का यह निर्मल ज्ञान संसार में सर्वत्र फैलाने का काम हमारे ऋषियों ने किया। वैसे तो वेद एक ही है पर संख्या की दृष्टि से इसे चार भागों में बांटकर देखा जाता है। प्रत्येक वेद का एक उपवेद है। इस प्रकार […]
महर्षि दयानन्द सरस्वती जी की अद्भुत धारणा शक्ति… महर्षि दयानन्द जी की धारणा शक्ति अपूर्व थी, उन्होंने एक बार पं० भगवान वल्लभ से सुश्रुत संहिता जो हजारों पृष्ठ का ग्रन्थ था, मंगवाकर देखा, और एक दो दिन में ही उस पर इतना अधिकार कर लिया कि प्रश्न उठने पर प्रत्येक, प्रसंग का वाक्य उद्धत करने […]
लेखक – अमरस्वामी सरस्वती स्त्रोत – स्वामी भीष्म अभिनन्दन ग्रंथ प्रस्तुति – अमित सिवाहा श्री स्वामी भीष्म जी को अरनियां जिला बुलन्द शहर (उत्तर प्रदेश) में आर्य समाज के एक वार्षिकोत्सव पर थी कुंवर सुखलाल जी आर्य मुसाफिर ने बुलवाया था। पहले पहिल तभी मैंने इनको देखा और इनके भजनोपदेशों को सुना था। तब श्री […]
-ललित गर्ग – अदम्य उत्साह, असीम शक्ति एवं कर्मठता से नवजात भारत गणराज्य की प्रारम्भिक कठिनाइयों का समाधान कर विश्व के राजनीतिक मानचित्र पर एक अमिट आलेख लिखने वाले सरदार वल्लभभाई पटेल को भारत के लौह पुरुष के रूप में जाना जाता है। राष्ट्रीय आंदोलन से लेकर आज़ादी के बाद भी, सरदार पटेल का योगदान […]
सन् 1890 में महात्मा मुंशीराम जी ने लाला देवराज जी के साथ मिलकर जालन्धर में एक ‘आर्य कन्या महाविद्यालय’ स्कूल व कालेज की स्थापना की थी। यह वह समय था जब माता-पिता अपनी कन्यायों को स्कूल भेजकर पढ़ाते नहीं थे। ऐसे समय में कन्यायों का विद्यालय खोलना एक क्रान्तिकारी कार्य था। वर्तमान में यह जालन्धर […]
-मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून। स्वामी श्रद्धानन्द ऋषि दयानन्द के शिष्यों में एक प्रमुख शिष्य हैं जिनका जीवन एवं कार्य सभी आर्यजनों व देशवासियों के लिये अभिनन्दनीय एवं अनुकरणीय हैं। स्वामी श्रद्धानन्द जी का निजी जीवन ऋषि दयानन्द एवं आर्यसमाज के सम्पर्क में आने से पूर्व अनेक प्रकार के दुव्र्यसनों से ग्रस्त था। इन दुव्यर्सनों […]
डा. कुँवरपाल सिंह पंवार सन् 1803 ई० में कोल अलीगढ़ एवं पटपड़गंज छलेरा वर्तमान नोएडा के स्थानों पर मराठा सेना के सेनापति पैरन अंग्रेज सेना- नायक लाईलेक से पराजित हो गये थे। इस विजय की स्मृति में ग्राम छलेरा में लाई लेक टावर का अंग्रेजों द्वारा निर्माण कराया गया था । इस पराजय के साथ […]
-मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून। मनुष्य अल्पज्ञ प्राणी होता है। इसका कारण जीवात्मा का एकदेशी, ससीम, अणु परिमाण, इच्छा व द्वेष आदि से युक्त होना होता है। मनुष्य सर्वज्ञ व सर्वज्ञान युक्त कभी नहीं बन सकता। सर्वज्ञता से युक्त संसार में एक ही सत्ता है और वह है सर्वव्यापक, सर्वशक्तिमान, सच्चिदानन्दस्वरूप परमात्मा। परमात्मा ही सृष्टि में […]
* एक ऐसे ब्रह्मास्त्र थे जिन्हें कोई भी पंडित,पादरी,मौलवी, अघोरी, ओझा, तान्त्रिक हरा नहीं पाया और न ही उन पर अपना कोई मंत्र,तंत्र या किसी भी प्रकार का कोई प्रभाव छोड़ पाया। एक ऐसा वेद का ज्ञाता जिसने सम्पूर्ण भारत वर्ष में ही नहीं अपितु पूरी दुनिया में वेद का डंका बजाया था। एक ऐसा […]