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हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

स्वामी श्रद्धानन्द द्वारा सन् 1891 के हरिद्वार कुम्भ मेले में प्रथमवार वैदिक धर्म का प्रचार किया था

महर्षि दयानन्द (1825-1883) ने अपने जीवन काल में सन् 1867 और 1879 के हरिद्वार के कुम्भ मेलों में घर्म-प्रचार किया था। सन् 1883 में उनका देहावसान हुआ। देहावसान के 8 वर्ष बाद सन् 1891 में हरिद्वार में कुम्भ का मेला पुनः आया। तब तक आर्य प्रतिनिधि सभा, पंजाब के अतिरिक्त किसी अन्य प्रादेशिक सभा का […]

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हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

रामचन्द्र जी का अद्भुत दर्शन

प्रियांशु सेठ रामचन्द्र जी ईश्वर के भक्त, वेदों के विद्वान्, सभी में प्रिय, सत्यवादी, कर्मशील, आदर्श, आज्ञाकारी, वचन के दृढ़ आदि सभी शस्त्र विद्याओं में निपुण व्यक्ति थें। उनके राज्य में कोई भी व्यक्ति दुःखी नहीं, कोई नारी विधवा नहीं, कहीं अकाल नहीं, कहीं चोरी, द्यूत आदि नहीं होता था। कुछ लोग रामचन्द्र जी के […]

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नेताजी सुभाष चंद्र बोस : एक आराधनीय राष्ट्र पुरुष

दिनांक 30 दिसंबर 1943 को नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने पोर्ट ब्लेयर में सर्वप्रथम तिरंगा फहराया था। ब्रिटेन के तत्कालीन प्रधानमंत्री क्लीमेंट एटली को स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ( जिन्हें कांग्रेस ने चाचा नेहरू के रूप में प्रचारित किया है ) ने एक पत्र प्रेषित किया था। जिसमें लिखा था कि “मुझे […]

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आर्य समाज डॉ राकेश कुमार आर्य की लेखनी से हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

सर्वत्र व्याप रहा है ऋषि का आलोक

स्वामी दयानंद जी महाराज द्वारा स्थापित आर्य समाज जैसी पवित्र संस्था को स्थापित हुए अब 150 वर्ष पूर्ण हो रहे हैं। इस कालखंड में हमारे देश के राष्ट्रीय इतिहास में अनेक घटनाएं घटित हुई हैं। यदि सूक्ष्मता से अवलोकन किया जाए तो आर्य समाज ने भारत के राष्ट्रीय इतिहास को इस कालखंड में बड़ी गहराई […]

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भारत के भविष्य को लेकर नेताजी सुभाषचंद्र बोस की दृष्टि

23 जनवरी : नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जन्म तिथि पर लेख जब नेताजी सुभाषचंद्र बोस के विचारों को भारत के तात्कालीन समकक्ष राजनैतिक नेताओं ने स्वीकार नहीं किया तब नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने भारत के भविष्य को लेकर अपनी दूरदृष्टि को धरातल पर लाने के उद्देश्य से अपने कार्य को न केवल भारत बल्कि […]

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महर्षि दयानन्द और युगान्तर

[कवि स्वभाव से ही बागी होता है। काव्य-कला के नियम भी उस पर बन्दिश न लगा पाते हैं। बगावत अगर सत्य की स्वीकृति हो तो कविता का ही दूसरा नाम बन जाती है। भला बगावत के बगैर कविता का चरित्र ही क्या है? कवि के भावों की सजावट कविता है और चरित्र की बगावत कवि-ता। […]

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स्वामी विवेकानन्द : भारत की आध्यात्मिक शक्ति के अमर उद्घोष

12 जनवरी विवेकानंद जयंती पर विशेष विवेकानंद ने सनातन हिन्द को विश्व में स्थापित किया विश्व वन्दनीय स्वामी विवेकानन्द जैसी महान विभूति ने शायद हिन्दुत्व जागरण जैसे महान कार्य के लिये अपना सारा जीवन ही अर्पित कर दिया था। और यही कारण है कि स्वामी जी का स्थान आज विश्व में सर्वोत्तम है। परम अवतार […]

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श्री ‘भारतेंदु’ हरिश्चंद्र – महर्षि दयानंद के समकालीन हिंदी के महान् साहित्यकार

६ जनवरी १८८५ को भारतेन्दु हरिश्चंद्र का देहांत हुआ था। हिंदी के महान् साहित्य निर्माता श्री बाबू ‘भारतेंदु’ हरिश्चंद्र (जन्म ९ सितम्बर १८५०, अवसान ६ जनवरी १८८५ – दोनों वाराणसी में) १८६९ में स्वामी दयानंद के काशी के पण्डितों के साथ हुए मूर्तिपूजा विषयक ऐतिहासिक शास्त्रार्थ में दृष्टा के रूप में उपस्थित थे । हरिश्चंद्र […]

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हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

गुरु गोविन्द सिंह जी के प्रकाश उत्सव के अवसर पर हिन्दू समाज के लिए सन्देश

मुगल शासनकाल के दौरान बादशाह औरंगजेब का आतंक बढ़ता ही जा रहा था। चारों और औरंगज़ेब की दमनकारी नीति के कारण हिन्दू जनता त्रस्त थी। सदियों से हिन्दू समाज मुस्लिम आक्रांताओं के झुंडों पर झुंडों का सामना करते हुए अपना आत्म विश्वास खो बैठा था। मगर अत्याचारी थमने का नाम भी नहीं ले रहे थे। […]

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आर्य समाज हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

पिछले पांच हजार वर्षों में दयानन्द के समान ऋषि नहीं हुआ

महाभारत का युद्ध पांच हजार वर्ष से कुछ वर्ष पहले हुआ था। महाभारत युद्ध के बाद भारत ज्ञान-विज्ञान सहित देश की अखण्डता व स्थिरता की दृष्टि से पतन को प्राप्त होता रहा। महाभारत काल के कुछ ही समय बाद ऋषि जैमिनी पर आकर देश से ऋषि परम्परा समाप्त हो गई थी। ऋषि परम्परा का आरम्भ […]

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