#जयंती_दिवस 24 नवम्बर पर विशेष:- दीनबंधु चौधरी छोटूराम जैसा किसान हितैषी आज तक नहीं हुआ। चौधरी साहब ने अपना जीवन किसानों के हित के लिए जिया। किसान चाहे किसी भी मजहब या जाति का रहा हो, उनके लिए वह अपना था। उन्होंने अपने प्रेरणास्रोत ऋषि दयानंद के वाक्य ‘किसान राजाओं का राजा होता है।’ को […]
श्रेणी: हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष
जब भारतवर्ष सर्वत्र अज्ञानता, पाखंड ,अंधविश्वास और ढोंग की दलदल में फंसा हुआ था और विदेशी शासकों की गुलामी को भोगना भारतीय समाज के लिए अभिशाप बन गया था, तब स्वामी दयानंद जी महाराज का आगमन होना समकालीन इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना है । स्वामी दयानंद जी महाराज ने अलसाये हुए भारतीय समाज को […]
भारतीय राष्ट्रवाद और धन सिंह गुर्जर कोतवाल जीते रहे वे देश हित किया देश हित बलिदान भी। थी हर सांस उनकी देश हित थे वे देश के स्वाभिमान भी।। हमारे जितने भी महान क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी हुए वे सबके सब भारतीय स्वाधीनता और संस्कृति के ध्वजवाहक और रक्षक थे। इन महान क्रांतिकारियों में धन सिंह […]
15 नवंबर / पुण्यतिथि शिक्षाधर्मी महात्मा हंसराज डीएवी शिक्षण संस्थान ने देश भर में एक अलग पहचान बनाई है इसका पूरा श्रेय महात्मा हंसराज को जाता है, जिनका योगदान भारतीय समाज में अमूल्य है। इन्होंने शिक्षा और दर्शन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य किए हैं। विलक्षण प्रतिभा के धनी लाला हंसराज की आरंभिक शिक्षा गांव […]
#डॉविवेकआर्य अतीत पर: 1. अतीत को देखते रहना व्यर्थ है, जबतक उस अतीत पर गर्व करने योग्य भविष्य के निर्माण के लिये कार्य न किया जाय. अधिकार पर: 2. व्यक्ति को सोचने का पूरा अधिकार है, पर उसे सोचे हुए को भाषा में या कार्यरूप में व्यक्त करने की बात हो तो वह अधिकार शर्तों […]
गोपाल कृष्ण गोखले गोपाल कृष्ण गोखले का जन्म 9 मई, 1866 ई। को महाराष्ट्र के कोल्हापुर में एक निर्धन ब्राह्मण परिवार में हुआ था। 1884 ई। में बी।ए। की परीक्षा पास करने के बाद वे 18 वर्ष की आयु में अध्यापक बने। आगे चलकर गोपाल कृष्ण गोखले फरग्यूसन कॉलेज पुणे के अध्यापक एवं प्राचार्य भी […]
वीर सावरकर – मुझे शासन ने कोई उपाधि प्रदान नहीं की, मेरा जब्त किया हुआ मकान वापस नही किया इसलिए कुछ व्यक्ति दुखी हैं किन्तु मुझे कभी किसी उपाधि की अभिलाषा नहीं रही, तीन चतुर्थांश भारत स्वतंत्र हुआ देखकर ही हमने सबकुछ पा लिया। क्रांति की उपासना जिस समय पागलपन समझी जाती थी उस समय […]
आज हमारे बिरसा मुंडा भगवान की जयंती है। अपने जनजातीय समाज को साथ लेकर उलगुलान किया था उन्होने। उलगुलान अर्थात हल्ला बोल, क्रांति का ही एक देशज नाम। वे एक महान संस्कृतिनिष्ठ समाज सुधारक भी थे, वे संगीतज्ञ भी थे जिन्होंने सूखे कद्दू से एक वाद्ययंत्र का अविष्कार भी किया था जो अब भी बड़ा […]
लेखक :- श्री स्वामी ओमानन्द सरस्वती प्रस्तुति :- अमित सिवाहा महर्षि दयानन्द के जीवनकाल में ही उनके भक्तों तथा विरोधियों की पर्याप्त बड़ी संख्या हो गयी थी । सच्चे वैदिक धर्म के पारखी और जिज्ञासु तो उनके उपदेश से सहज में उनके श्रद्धालु भक्त व शिष्य बन जाते थे । जैसे एक रिवाड़ी के राव […]
========== ऋषि दयानन्द जी का बलिदान 140 वर्ष पूर्व हुआ था। इस अवधि में उनके अनुयायियों एवं आर्यसमाज ने जो कार्य किये हैं उसमें अनेक सफलतायें हैं। ऋषि दयानन्द को हम इसलिये भी स्मरण करते हैं कि उन्होंने हमें असत्य का परिचय कराकर सत्य ज्ञान, सत्य सिद्धान्त व मान्यताओं सहित जीवन को श्रेष्ठ व सफल […]