ओउम् परमपिता परमात्मा नमो नमः (ओउम् कृण्वन्तो विश्वमार्यम) 23 जनवरी सन 1897 में इस भारत की धरा पर एक अद्भुत आत्मा ने जन्म लिया था जो वीर सुभाष चंद्र बोस के नाम से विख्यात हुए।ये कोई साधारण आत्मा नही थी।इस राष्ट्र के सूत्राधार ओर कर्णधार यदि कोई थे तो इसमें सुभाष चन्द्र बोस के नाम […]
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राष्ट्रवाद पर स्वामी दयानन्द का चिंतन #डॉविवेकआर्य स्वामी दयानन्द के राष्ट्रवादी चिंतन से हम इस लेख के माध्यम से अवगत करवाएंगे। अंग्रेजी राज में भारतीयों का स्वाभिमान लुप्त हो गया था। स्वदेशवासी स्वदेशवासी पर अत्याचार करने पर उतारू था। स्वामी दयानन्द ने सर्वप्रथम देशवासियों को मनुष्य की बनने की प्रेरणा दी। स्वामी जी सत्यार्थ प्रकाश […]
* लगभग आरंभ से ही कम्युनिस्टों को अपनी वैज्ञानिक विचारधारा और प्रगतिशील दृष्टि का घोर अहंकार रहा है। लेकिन अनोखी बात यह है कि इतिहास व भविष्य ही नहीं, ठीक वर्तमान यानी आंखों के सामने की घटना-परिघटना पर भी उनके मूल्यांकन, टीका-टिप्पणी, नीति, प्रस्ताव आदि प्राय: मूढ़ता की पराकाष्ठा साबित होते रहे हैं। यह न […]
रामराज्य एक सनातनी शासन पद्धति है, इस तथ्य को गर्वपूर्वक स्वीकारना चाहिये। जब हेग कन्वेंशन में, युद्ध नियम हमारे सनातनी शास्त्रों से ग्रहण किए जा सकते हैं तो फिर रामराज्य को सनातनी मानने में संकोच क्यों?! यह सर्वसमावेशी, सर्वव्यापी, सर्वस्पर्शी शासन पद्धति है। (उपशीर्षक) भारतीय समाज में व भारतीय संविधान में “श्रीराम” का केवल नाम […]
स्वामी दयानंद जी महाराज भारतवर्ष की ही नहीं संपूर्ण मानवता की अनमोल थाती हैं। मानवता के लिए उनकी सबसे बड़ी सेवा वेदों की वैज्ञानिक व्याख्या है। अनेक प्रकार की विसंगतियों, विषमताओं, कुरीतियों , अंधविश्वासों और पाखंडों में जकड़े हुए मानव समाज के उद्धार के लिए उन्होंने केवल एक ही औषधि बताई और वह थी वेद […]
ऐसा कहा जाता है कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम में गर्म दल के स्वतंत्रता सेनानियों का भी भरपूर योगदान रहा है। इस दृष्टि से भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के वीर सेनानियों ने, मां भारती को अंग्रेजों के क्रूर शासन से मुक्ति दिलाने के उद्देश्य से, देश के कोने कोने से भाग लिया था। इन वीर […]
“ निसिचर हीन करउँ महि भुज उठाइ प्रण कीन्ह!” “…भय विन होत न प्रीत” आजकल लगभग सभी समाचार पत्रों सहित अनेक पत्र-पत्रिकाओं और टीवी समाचार चैनलों में “श्रीराम जन्म भूमि मंदिर” अयोध्या धाम में श्रीरामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा के शुभाअवसर पर अति उत्साहित व भक्ति रस में डूबे हुई कार सेवकों की संघर्ष […]
अन्तिम समय की बातें
आज 16 दिसम्बर 1927 ई० को निम्नलिखित पंक्तियों का उल्लेख कर रहा हूँ, जबकि 19 दिसम्बर 1927 ई० सोमवार (पौष कृष्णा 11 सम्वत् 1984 वि०) को 6 बजे प्रातःकाल इस शरीर को फाँसी पर लटका देने की तिथि निश्चित हो चुकी है। अतएव नियत समय पर इहलीला संवरण करनी होगी। यह सर्वशक्तिमान प्रभु की लीला […]
लेखक- स्व० श्री पं० चमूपति जी, एम०ए० ऋषि दयानन्द की जन्मभूमि होने का गौरव गुजरात प्रान्त को है। पिता जन्म के ब्राह्मण थे, और भूमिहारी तथा जमीदारी का कार्य करते थे। शिव के बड़े भक्त थे। शिवरात्रि के दिन बालक को मन्दिर में ले गए और उसे उपवास करा जागरण का आदेश दिया। जब बड़े-बड़े […]
राम नाम की महिमा
!! ओ३म् !! “राम” शब्द में दो अर्थ व्यंजित हैं। सुखद होना और ठहर जाना जैसे अपने मार्ग से भटका हुआ कोई क्लांत पथिक किसी सुरम्य स्थान को देखकर ठहर जाता है। हमने सुखद ठहराव का अर्थ देने वाले जितने भी शब्द गढ़े, सभी में “राम” अंतर्निहित है, यथा आराम, विराम, विश्राम, अभिराम, उपराम, ग्राम […]