ऋषि दयानन्द ‘सत्य’ को सर्वोपरि मानते थे। उनका दृढ़ विश्वास था कि – “जो सत्य है उसको सत्य और जो मिथ्या है उसको मिथ्या ही प्रतिपादन करना सत्य अर्थ का प्रकाश समझा है क्योंकि सत्योपदेश के बिना अन्य कोई भी मनुष्य जाति की उन्नति का कारण नहीं ।” ऋषि संसार के सब मनुष्यों को एक […]
श्रेणी: हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष
========== संसार में अनेक मत-मतान्तर एवं संस्थायें हैं जो अतीत में भिन्न-भिन्न लोगों द्वारा स्थापित की गई हैं व अब की जाती हैं। इन संस्थाओं को स्थापित करने का इसके संस्थापकों द्वारा कुछ प्रयोजन व उद्देश्य होता है। सभी लोग पूर्ण विज्ञ वा आप्त पुरुष नहीं होते। वह सभी अल्पज्ञ ही होते हैं। अल्पज्ञ का […]
काजिम रिजवी- विभूति फीचर्स रघुपति सहाय फिराक गोरखपुरी का जन्म 28 अगस्त 1896 को गोरखपुर में हुआ था। अपने समय के प्रसिद्ध कवि तथा उर्दू के विद्वान श्री गोरखप्रसाद इबरत के पुत्र फिराक साहब ने अपने जीवन में जो कुछ सीखा वह सब अपने पिता से ही सीखा। फिराक साहब बनवारपार तहसील बांस गांव जिला […]
भजन : पं० लेखराम बलिदान दिवस ! लेखक – स्व. श्री चन्द्रभानु आर्योपदेशक जींद आगे की कहानी, कही नही जाती ॥ टेक ॥ लेखराम ने हाल सुना तो बड़ा रहम सा आता है । यवन युवक यूं कहने लगा, मुझको दर्द सताता है । लेखराम उस मुसलमान को डाक्टर पर ले जाता है । डाक्टर […]
देवियो और भद्र पुरुषो! मैं तो मथुरा नगरी में शिष्य रूप से आया था, न कि इस वेदी पर खड़ा होकर व्याख्यान देने के लिए। मैं तो यह विचार मन में रखकर आया था कि अब गुरु की नगरी में चलता हूं। वहां पद-पद पर शिक्षा ग्रहण करूंगा और उन शिक्षाओं को अपने जीवन […]
#डॉविवेकआर्य पंडित लेखराम के विषय में जितना अधिक में जानता जाता हूँ उतनी ही अधिक उन्हें जानने की मेरी इच्छा बलवती होती जाती हैं। पंडित जी के जीवन कुछ अलभ्य संस्मरण मुझे मिले जिन्हें मैं आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ। आचार्य रामदेव जी की पंडित लेखराम जी से प्रथम भेंट उन्हीं दिनों बच्छो […]
सहदेव समर्पित (स्वामी दयानंद सरस्वती जी के 200 वें जन्म दिवस के शुभ अवसर पर प्रकाशित) उदयपुर में एक दिन दो साधु स्वामीजी से मिले। अनेक विषयों पर वार्तालाप के बाद स्वामीजी से बोले कि आप अधिकारी लोगों को ही उपदेश किया करें। जो लोग आपके व्याख्यानों में आते हैं वे सब ही तो […]
-डॉ. रामप्रकाश ऋषि दयानन्द के पश्चात् [पण्डित] गुरुदत्त [विद्यार्थी] प्रथम महापुरुष हैं जिन्होंने मोनियर विलियम्स तथा मैक्समूलर आदि से लोहा लिया। तब भारतीय विद्वान् इनकी आरती उतारते थे, इनके विरुद्ध लिखने की बात तो क्या कहिए। श्यामजी कृष्ण वर्मा जैसा देशभक्त विद्वान् भी मोनियर विलियम्स के सहायक के रूप में इंग्लैण्ड में कार्य करता रहा […]
(7 मार्च जन्मोत्सव पर विशेष रूप से प्रकाशित) -सहदेव समर्पित स्वामी भीष्म जी का जन्म 7 मार्च 1859 ई0 में कुरुक्षेत्र जिले के तेवड़ा ग्राम में श्री बारूराम जी के गृह मेें हुआ था। बचपन में इनका नाम लाल सिंह था। इनकी बचपन से ही अध्ययन में रूचि थी। आपने 11 वर्ष की आयु […]
अयोध्या में राम मंदिर बना है तो कई प्रकार की घटनाओं पर इस समय चर्चाएं चल रही हैं । कम्युनिस्ट इतिहासकारों ने जिस प्रकार हमारे भारतीय वीर वीरांगनाओं के इतिहास को छुपाया अब उनके पाप उजागर होने लगे हैं । कई लोगों का ध्यान इतिहास की उन धूल फांकती पुस्तकों की ओर गया है , […]