1857 की क्रांति के महानायक धन सिंह कोतवाल जयंती पर विशेष आलेख। कलम की तवायफों द्वारा लिखा गया इतिहास हमको स्वीकार नहीं। सत्ता की गलियों में प्रसिद्धि प्राप्त करने वाले चाटुकार इतिहासकारों का लिखा गया इतिहास हमको स्वीकार नहीं। हम अपना इतिहास अपने आप लिखना जानते हैं। हम अपने बलिदानियों का सम्मान करना जानते हैं। […]
Category: हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष
गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर जयंती : 7 मई * (इंजी. अतिवीर जैन – विनायक फीचर्स) रविंद्रनाथ टैगोर को आज भी भारत ही नहीं विश्व में एक महान कवि, उपन्यासकार, कथाकार, नाटककार, संगीतकार और चित्रकार के रूप में याद किया जाता है। उनका साहित्य उनके व्यक्तित्व के अनुरूप जीवन के सभी क्षेत्रों में उभरकर सामने आया। वे […]
वास्तव में यह स्वामी जी महाराज के सात्विक प्रयास और पुरुषार्थ का ही परिणाम है कि उनके वैचारिक मानस पुत्रों के द्वारा इतनी शीघ्रता से आर्य समाज का इतना अधिक विस्तार कर दिया गया। इसके पीछे सात्विक आत्मिक शक्ति लगी हुई थी। जिसने लोगों को हृदय से प्रभावित किया और वह धड़ाधड़ आर्य समाज की […]
आर्य समाज ने शिक्षा, समाज सुधार और राष्ट्रीयता के प्रचार प्रसार में अपना अप्रतिम योगदान दिया। स्वदेशी आंदोलन का मुख्य सूत्रधार आर्य समाज ही बना । जिन लोगों ने किसी भी कारण से आर्य वैदिक धर्म को त्याग कर धर्म परिवर्तन कर लिया था, उनकी शुद्धि का कार्य भी आर्य समाज ने आरंभ किया। स्वामी […]
“और अन्त में जब कई एक भद्र पुरुषों को ऐसा प्रतीत हुआ कि अब समाज की स्थापना होती ही नहीं, तब कुछ धर्मात्माओं ने मिलकर राजमान्य राज्य श्री पानाचन्द आनन्द जी पारेख को नियत किए हुए नियमों (राजकोट में निर्धारित 26 नियम) पर विचारने और उनको ठीक करने का काम सौंप दिया। फिर जब ठीक […]
स्वामी जी महाराज जिस समय आर्य समाज की स्थापना कर रहे थे, उससे पहले से ही वे आर्य जाति के बिगड़े हुए किले की मरम्मत के कार्य में लग गए थे। वह अपने किले को सुदृढ़ करना चाहते थे, तभी विदेशी और विरोधी मतावलंबियों से लड़ना चाहते थे। देखा जाए तो स्वामी जी का यह […]
आर्य मुसाफिर पंडित लेखराम लाहौर के पास एक गांव में आर्य समाज के एक समारोह में प्रवचन कर रहे थे। उन्होंने वैदिक धर्म और कर्म के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा, ‘जो भी शुभ या अशुभ कर्म मनुष्य करता है, उसका फल उसे अवश्य मिलता है। चोरी, हत्या, हिंसा आदि पाप कर्म करने वालों […]
वर्ष 1957 से लेकर 2008 तक गाजियाबाद लोकसभा हापुड़ लोकसभा के नाम से जानी जाती थी। गाजियाबाद या हापुड़ से लोकसभा से वर्ष 1967 के सांसद प्रकाश वीर शास्त्री जी चुने गए। शास्त्री जी आर्य समाज के यशस्वी वक्ता अमित तेजस्वी नेता थे उनकी शिक्षा दीक्षा आर्य समाज के गुरुकुलों में ही हुई। वह एक […]
— स्वामी सत्यप्रकाश सरस्वती ज्ञान का उल्टा मिथ्या ज्ञान या पाखण्ड है। “पाखण्ड” शब्द “पाषण्ड” शब्द का अपभ्रंश या विकृत रूप है। छद्म, छलयुक्त्त या कपट व्यवहार का नाम “पाषण्ड” है। कट्टर अप्रगतिशील हिन्दू को, जो जीवन के अभ्यन्तर में कुछ हो, और उसके विपरीत उसका बाह्य-आडम्बर साधु-सन्तों, भक्तों, धार्मिकों और विद्वानों जैसा हो, उसे […]
ऋषि दयानन्द के जीवन, कार्यों तथा उनके विचारों पर अनेक भारतीय तथा पाश्चात्य लेखकों ने समय-समय पर अपनी लेखनी चलाई है। पाश्चात्य लेखकों की कुछ सीमाएँ तथा पूर्वाग्रहग्रस्त दृष्टि अवश्य रही है, जबकि भारत के कुछ ऐसे लेखकों और विश्लेषकों ने, जो आर्यसमाज से औपचारिक रूप से कभी सम्बद्ध नहीं रहे, अपनी-अपनी दृष्टि और क्षमता […]