डॉ विवेक आर्य वीर शिवाजी के पुत्र वीर शम्भा जी का जन्म 14 मई 1657 को हुआ था। आप वीर शिवाजी के साथ अल्पायु में औरंगजेब की कैद में आगरे के किले में बंद भी रहे थे। आपने 11 मार्च 1689 को वीरगति प्राप्त की थी। इस लेख में वीर शम्भाजी जी के उस महान […]

डॉ विवेक आर्य वीर शिवाजी के पुत्र वीर शम्भा जी का जन्म 14 मई 1657 को हुआ था। आप वीर शिवाजी के साथ अल्पायु में औरंगजेब की कैद में आगरे के किले में बंद भी रहे थे। आपने 11 मार्च 1689 को वीरगति प्राप्त की थी। इस लेख में वीर शम्भाजी जी के उस महान […]
– डॉ विवेक आर्य आज 12 मार्च को डांडी यात्रा के 95 वर्ष पूर्ण होते है। डांडी यात्रा के माध्यम से गांधी जी ने अंग्रेजों द्वारा बनाए गए नमक कानून को तोड़कर उनकी सत्ता को चुनौती दी थी। बहुत कम लोग जानते है कि गाँधी जी के प्रयासों से लगभग अर्ध शताब्दी पहले स्वामी दयानन्द […]
आजादी से पूर्व की घटना है। हमारे हरियाणा पंजाब में कुश्तियों का रिवाज रहा है। पंजाब के जालंधर में एक अंग्रेज पहलवान ने पहलवानों को दंगल के लिए ललकार दिया। काफी पहलवान दम खम दिखाते रहे। वीर अर्जुन अखबार के पत्रकार महाशय कृष्ण जी ने इधर उधर नजर लगाई घरौंडा के स्वामी भीष्म जी नजर […]
(7 मार्च जन्मोत्सव पर विशेष रूप से प्रकाशित) सहदेव समर्पित स्वामी भीष्म जी का जन्म 7 मार्च 1859 ई0 में कुरुक्षेत्र जिले के तेवड़ा ग्राम में श्री बारूराम जी के गृह मेें हुआ था। बचपन में इनका नाम लाल सिंह था। इनकी बचपन से ही अध्ययन में रूचि थी। आपने 11 वर्ष की आयु में […]
भावेश मेरजा 1. परंपरागत शैव और ब्राह्मण परिवार में जन्म लेने के बावजूद, केवल चौदह वर्ष की आयु में मूर्तिपूजा का खोखलापन समझ लेना और इससे पूर्ण रूप से विरक्ति हो जाना। 2. अपनी बहन और चाचा की मृत्यु को देखकर जीवन और मृत्यु के बारे में गंभीर चिंतन करना और युवावस्था में वैराग्य के […]
डॉ विवेक आर्य 22 फरवरी 2025 को स्वामी श्रद्धानंद जी का जन्म दिवस दिवस था। आप पराधीन भारत के सबसे बड़े समाज सुधारकों में से एक थे। आपका जन्म पंजाब के जालंधर के तलवान नामक स्थान पर हुआ था। आपका सन्यास पूर्व नाम मुंशीराम था। आप सामाजिक परिस्थितियों को देखकर नास्तिक बन गए थे। बरेली […]
मनमोहन कुमार आर्य हम वेदों के पुनरुद्धार एवं देश से अविद्या व अन्धविश्वासों को दूर करने के लिये ऋषि दयानन्द सहित उनके गुरु स्वामी विरजानन्द, स्वामी दयानन्द के संन्यास गुरु स्वामी पूर्णानन्द जी, स्वामी जी के योग-गुरुओं, स्वामी श्रद्धानन्द, पं. लेखराम, पं. गुरुदत्त विद्यार्थी, स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती, पं. श्यामजी कृष्ण वम्र्मा, लाला लाजपत राय, भाई […]
– मनमोहन कुमार आर्य ऋषि दयानन्द संसार के महापुरुषों में अन्यतम थे। उन्होंने जो कार्य किया वह अन्य महापुरुषों ने नहीं किया। उन्होंने ही हमें ईश्वर के सत्यस्वरूप से परिचित कराया है। उनसे पूर्व ईश्वर का सत्यस्वरूप वेद, उपनिषद आदि ग्रन्थों में उपलब्ध था परन्तु देश के न केवल सामान्य जन अपितु विद्वानों को भी […]
सन 1674 तक शिवाजी अधिकांश प्रांतों या क्षेत्रों पर अपना अधिकार स्थापित कर चुके थे जो उन्हें पुरंदर की संधि के अंतर्गत मुगलों को देने पड़े थे । अतः अब वह अपने आपको राजा घोषित कराने की तैयारी करने लगे थे । उधर मुगलों ने जब शिवाजी महाराज के उद्देश्यों को समझा तो उन्होंने शिवाजी […]
महर्षि दयानन्द (1825-1883) ने अपने जीवन काल में सन् 1867 और 1879 के हरिद्वार के कुम्भ मेलों में घर्म-प्रचार किया था। सन् 1883 में उनका देहावसान हुआ। देहावसान के 8 वर्ष बाद सन् 1891 में हरिद्वार में कुम्भ का मेला पुनः आया। तब तक आर्य प्रतिनिधि सभा, पंजाब के अतिरिक्त किसी अन्य प्रादेशिक सभा का […]