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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

हमारा इतिहास गौरव का पुंज और तेज का निकुंज है

आत्मन: प्रतिकूलानि… संसार का कोई भी मत,पंथ या संप्रदाय ऐसा नही, जिसने परतंत्रता को धिक्कारा ना हो। इसका अर्थ है कि कोई मत, पंथ या संप्रदाय चाहे किसी विपरीत मत, पंथ या संप्रदाय के मानने वालों को अपने अधिक संख्या बल से डराकर या अपने बाहुबल से डराकर उन्हें अपना दास बनाने का अभियान चला […]

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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

इतिहास हमारी आने वाली पीढिय़ों को ऊर्जान्वित करता है

इतिहास की विशेषता इतिहास किसी जाति के अतीत को वर्तमान के संदर्भ में प्रस्तुत कर भविष्य की संभावनाओं को खोजने का माध्यम है। इतिहास अतीत की उन गौरवपूर्ण झांकियों की प्रस्तुति का एक माध्यम होता है जो हमारी आने वाली पीढिय़ों को ऊर्जान्वित करता है और उन्हें संसार में आत्माभिमानी, आत्म सम्मानी और स्वाभिमानी बनाता […]

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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

वीर राठौड़ों ने स्वतंत्रता के लिए दिये अपने अप्रतिम बलिदान

बीकानेर की ओर कामरान कामरान को खेतसी राठौड़ के सामने आधी अधूरी सफलता क्या मिल गयी थी, उसका दुस्साहस बढ़ गया और वह अब अपने साम्राज्य विस्तार की योजनाएं बनाने लगा। अत: वह बीकानेर की ओर बढऩे लगा। बीकानेर में उस समय राव जैतसी का शासन था। राव जैतसी के भीतर भी स्वतंत्रता प्रेम की […]

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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

राव लूणकरण भाटी ने रच दिया था ‘घर वापिसी’ का विशाल यज्ञ

अलवर का प्राचीन इतिहास राजस्थान के अलवर क्षेत्र ने भी समय आने पर भारत की अस्मिता  की रक्षार्थ अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इसके विषय में मान्यता है कि महाभारत कालीन शाल्व नामक राजा ने इसे बसाया था। राजा शाल्व कार्तिकावल्क का शासक था। उस समय अलवर का नाम कार्तिकावल्क ही रखा गया था। इसे […]

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स्वार्थ में डूबी राजनीति को तुलसीदास ने बताया-राजधर्म

तुलसीदास के राम कहते हैं… तुलसीदास जी ने रामचंद्र जी के मुख से ‘परशुराम-राम संवाद’ के समय कहलवाया है :- छत्रिय तनु धरि समर सकाना, कुल कलंकु तेहिं पावर आना, कहऊं सुभाऊ न कुलहि प्रसंसी, क ालहु  डरहिं न रन रघुबंसी अर्थात क्षत्रिय का शरीर धरकर जो युद्घ में डर गया, उस नीच ने अपने […]

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‘पराधीन सुख सपनेहुं नाहि’ कहकर तुलसीदास ने धिक्कारा पराधीनता को

कवि की कविता की विशेषता कवि क्रान्तदर्शी होता है। कवि की कल्पना व्योम को भी पार कर जाती है और पत्थर को भी तोड़ जाती है। यह देखा जाता है कि जिस बात को सुनकर कोई व्यक्ति क्रोधित हो सकता है, वही व्यक्ति गद्य में उस बात को जब पद्यात्मक शैली में सुनता है, तो […]

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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

हम शास्त्रार्थ से सत्यार्थ, यथार्थ और तथ्यार्थ के उपासक बनें

इस्लाम का दुष्प्रभाव इस्लाम ने भारत में पदार्पण किया तो उसने भारत की प्राचीन ऐतिहासिक धरोहर और ऐतिहासिक संपदा को विनष्ट करने में किसी प्रकार की कमी नही छोड़ी। उसने भारत पर अपने आतंक और अत्याचारों की काली छाया डालकर  ‘मां भारती’ के वैभव को पूर्णत: मिटाने का प्रयास किया। इस प्रकार भारत पर इस्लाम […]

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सर्वोदयवादी और अन्त्योदयवादी लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था के लिए था हमारा संघर्ष

धर्म ही अटल हैचाणक्यनीति (5/10) में कहा गया है :-‘चला लक्ष्मीश्चला: प्राणाश्चले जीवितयौवने। चला चले च संसारे धर्म एकोहि निश्चल:।।’अर्थात इस चराचर जगत में लक्ष्मी, प्राण, यौवन और जीवन सब कुछ नाशवान हैं, केवल एक धर्म की अटल है।अटल धर्म के प्रति भारत के लोगों की आस्था भी अटल रही है। इसलिए महाभारत में भी […]

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मुगल वंश से पहले ही हो गया था कश्मीर का पीड़ादायक धर्मांतरण

मुल्ला मौलवी हो गये थे जैनुल के विरोधी राजा जैनुल और श्रीभट्ट की समादरणीय जोड़ी जब कश्मीर में दो विपरीत दिशाओं में बहती सरिताओं-हिंदुत्व और इस्लाम को एक दिशा देने का अदभुत और प्रशंसनीय कार्य कर रही थी, तभी कहीं ‘शैतान’ उन अनोखे और प्रशंसनीय कार्यों को नष्ट करने के लिए उनकी जड़ों में मट्ठा […]

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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

राठौड़ों ने कर दी थी स्वतंत्र मण्डोर राज्य की स्थापना

दिल्ली के प्रसिद्घ सूफी संत शेख निजामुद्दीन औलिया ने कहा था-‘‘कुछ हिंदू जानते हैं किइस्लाम सच्चा धर्म है पर वे इस्लाम कबूल नही करते….भयभीत होने के उपरांत भी हिंदुओं नेअपने दिलों से इस्लाम को वैसे ही निकाल फेंका है जैसे आटा गूंथते समय उसमें पड़ गये बालको निकाल दिया जाता है।’’निजामुद्दीन औलिया जैसे सूफी संतों […]

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