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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

अंत में औरंगजेब ने छत्रसाल को ‘राजा’ मान ही लिया

औरंगजेब छत्रसाल को नियंत्रण में लेकर उसका अंत करने में निरंतर असफल होता जा रहा था। यह स्थिति उसके लिए चिंताजनक और अपमानजनक थी। अब तक के जितने योद्घा और सेनानायक उसने छत्रसाल को नियंत्रण में लेने के लिए भेजे थे, उन सबने छत्रसाल की वीरभूमि बुंदेलखण्ड से लौटकर आकर उसे निराश ही किया। बुंदेलखण्ड […]

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औरंगजेब की हर चाल को परास्त किया छत्रसाल ने

छत्रसाल जैसे हिंदू वीरों के प्रयासों को अतार्किक, अयुक्तियुक्त, असमसामयिक और निरर्थक सिद्घ करने के लिए धर्मनिरपेक्षतावादी इतिहास लेखकों ने एड़ी-चोटी का बल लगाया है। इन लोगों ने शाहजहां को ही नही, अपितु औरंगजेब को भी धर्मनिरपेक्ष शासक सिद्घ करने का प्रयास किया है। जबकि वास्तव में ऐसा नही था। डा. वी.ए. स्मिथ ने कहा […]

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सूर्य के प्रकाश की भांति भारतीय गगनमंडल पर छा गया छत्रसाल

महाराज जनक की आनंदाग्नि राजा जनक अपने दरबार में वेदव्यास जी के साथ गंभीर शांत चर्चा में निमग्न थे। वेदव्यास जी राजा के समक्ष गूढ़ तत्वों की मीमांसा कर रहे थे। बड़ी उत्कृष्ट चर्चा चल रही थी। चारों ओर इतना आनंद था कि मानो अमृत वर्षा हो रही हो। राजा जनक शांतमना उस अमृतवर्षा का […]

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अपनी बौद्घिक क्षमताओं से छत्रसाल निरंतर आगे बढ़ता रहा

हिन्दुत्व का अर्थ…. हिंदुत्व का अर्थ स्पष्ट करते हुए वेबस्टर के अंग्रेजी भाषा के तृतीय अंतर्राष्ट्रीय शब्दकोष में कहा गया है-”यह सामाजिक, सांस्कृतिक एवं धार्मिक विश्वास और दृष्टिकोण का जटिल मिश्रण है। यह भारतीय उपमहाद्वीप में विकसित हुआ। यह जातीयता पर आधारित मानवता पर विश्वास करता है। यह एक विचार है, जो कि हर प्रकार […]

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जब बन गया था भारत का भाल शत्रुसाल अर्थात छत्रसाल

जिस समय भारत की स्वतंत्रता को नोंच-नोंचकर खाने वाले विदेशी गिद्घों के झुण्ड के झुण्ड भारत भूमि पर टूट-टूटकर पड़ रहे थे और उन्हें यहां से उड़ाकर बाहर करने के लिए भारत की तलवार अपना पूर्ण शौर्य और पराक्रम दिखा रही थी, उस समय उन गिद्घों के लिए किसी शत्रुसाल की आवश्यकता थी। इस शत्रुसाल […]

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अमरसिंह राठौड़ के शव को उठाकर ले जाने वाला बल्लूजी चाम्पावत

हमारे इतिहास की पहचान किसी कवि ने ईश्वर के विषय में कहा है :- तू दिल में तो आता है, समझ में नही आता। मालूम हुआ बस तेरी पहचान यही है।। ….और हम अपने इतिहास के विषय में भी यही समझ सकते हैं। आपको अधिकांश लोग अपने इतिहास के और अपने राजा-महाराजाओं के रोमांचकारी किस्से-कहानी […]

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राणा भीमसिंह की वीरता की हो गयी थी भ्रूण हत्या

पुन: मेवाड़ की ओर अब हम एक बार पुन: महाराणा प्रताप की पुण्य कर्मस्थली मेवाड़ और उनके राणा वंश की ओर चलें। यह वंश निरंतर कितनी ही पीढिय़ों तक देश सेवा में लगा रहा। महाराणा प्रतापसिंह के पुत्र राणा अमरसिंह से चित्तौड़ हाथ में आने के उपरांत भी निकल गयी थी। अपने पिता की भांति […]

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बुंदेलखण्ड की भूमि का अमर बलिदानी राजा हरदौल सिंह

राजा हरदौलसिंह बुंदेलों की वीरता की कहानियों से इतिहास भरा पड़ा है। देशभक्ति की अनेकों कहानियों में से एक कहानी जिसे गौरवपूर्ण इतिहास कहा जाना उचित होगा-भ्रातृप्रेमी और देशप्रेमी राजा हरदौल की है। हरदौल ओरछा के राजा जुझारसिंह के छोटे भाई थे। उन दिनों देश की राजनीतिक परिस्थितियां बड़ी दयनीय थीं। दिल्ली पर उस समय […]

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अमरसिंह राठौड़ का शौर्य है आज भी प्रेरणा का स्रोत

पी.एन.ओक कहते हैं…. अपनी पुस्तक ”क्या भारत का इतिहास भारत के शत्रुओं द्वारा लिखा गया है?” में लिखी गयी भूमिका में पी.एन. ओक महोदय लिखते हैं :- ”भारतीय इतिहास में जिन विशाल सीमाओं तथा अयथार्थ और मनगढ़ंत विवरण गहराई तक पैठ चुके हैं, वह राष्ट्रीय घोर संकट के समान है। जो अधिक दुखदायी बात है […]

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राजा चम्पतराय और रानी सारन्धा का अप्रितम बलिदान

रानी सारंधा के विषय में भारत की वीरांगनाओं में रानी सारंधा का नाम बड़े ही सम्मान से लिया जाता है। सारंधा बुंदेला राजा चंपतराय की सहधर्मिणी थी। जब सारंधा छोटी ही अवस्था में थी, तभी से उसकी देशभक्ति उस पर हावी होने लगी थी। स्वतंत्रता के भाव उसमें कूट-कूटकर भरे थे, इसलिए आत्माभिमान की भी […]

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