यह सोच हमें छलती है यदि कोई हमसे यह कहे कि भारत के इतिहास में कहीं थोड़ा बहुत तथ्यात्मक परिवर्तन हो भी गया है तो इससे अंतर ही क्या आया है? वही विश्व है, वही धरती है, वही सूर्य है और वही चंद्रमा है। जब सब कुछ वही है तो इस बात को लेकर रोने […]
Category: संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा
गुरूजी ने औरंगजेब के लिए एक पत्र लिखा जिस समय गुरू गोविन्द सिंह को अपने दो सुपुत्रों को दीवार में चुनवाने का समाचार मिला था, उस समय गुरूदेव रामकोट में थे। तब उन्होंने औरंगजेब के लिए एक पत्र लिखा। जिसे उन्होंने ‘शायरी’ के रूप में लिखा था उस पत्र के कुछ अंश इस प्रकार थे- […]
एक संत का सदुपदेश और हमारी स्वराज्य साधना एक संत प्रवचन कर रहे थे। प्रवचन के समय एक जिज्ञासु ने एक जिज्ञासा व्यक्त करते हुए संत से प्रश्न किया-‘मेरी ध्यान में रूचि क्यों नही होती?’ संत बोले, -‘ध्यान में रूचि तब आएगी जब व्यग्रता से उसकी आवश्यकता अनुभव करोगे।’ तब उन्होंने एक प्रसंग सुनाया कि […]
वजीद खान की बढ़ गयी चिंता वजीद खान ने गुरू गोबिन्दसिंह के पुत्रों को समाप्त तो करा दिया था पर वह भी भलीभांति जानता था कि उसके किये हुए ‘पापकृत्य’ का दण्ड उसे अवश्य भोगना पड़ेगा। वैसे भी सत्य के लिए दिया गया बलिदान रक्तबीज का कार्य किया करता है। वह जैसे ही धरती से […]
अपना कत्र्तव्य पथ कभी नही छोड़ा महान कठिनाईयों के आक्रमणों से व्यक्ति का जीवन महान बनता है। गुरू गोबिन्दसिंह की महानता इस बात में छिपी है कि उन्होंने अपने जीवन में महान कठिनाईयों का सामना हंसते-हंसते किया और अपना कत्र्तव्य पथ कभी नही छोड़ा। कृतघ्न गंगाराम को ‘पुरस्कार’ एक बार सिरसा नदी की बाढ़ के […]
संघर्ष की भावना ने और गति पकड़ी गुरू तेगबहादुर का बलिदान व्यर्थ नही गया। उनके बलिदान ने भारतवासियों को अन्याय, अत्याचार और शोषण के विरूद्घ अपना संघर्ष जारी रखने की नई ऊर्जा प्रदान की। अपने गुरू के साथ इतने निर्मम अत्याचारों की कहानी को सुनकर लोगों के मन में जहां तत्कालीन सत्ता के विरूद्घ एकजुट […]
वैदिक धर्म की महानता मूलत: इस्लाम हिंदू विरोधी है। वह संसार में केवल इस्लाम की सत्ता चाहता है। औरंगजेब इसी इस्लामिक सोच को व्यावहारिक रूप देना चाहता था इसीलिए वह गुरू तेगबहादुर को मुसलमान बनाकर इस्लाम को सार्वभौमिक धर्म बना देना चाहता था। यह अलग बात है कि कोई भी मत या संप्रदाय सार्वभौमिक नही […]
‘धर्मवीरों’ की दृष्टि गुरू तेगबहादुर पर पड़ी कश्मीर और कश्मीरी संस्कृति को विनष्ट करने की सौगंध उठा लेने वाले शेर अफगान के विरूद्घ कश्मीरी पंडितों में विरोध का लावा उबल रहा था पर विरोध में प्रतिरोध का अभाव था। इसलिए विरोध प्रतिरोध के लिए किसी का बोध (मार्गदर्शन) प्राप्त करने का अभिलाषी था। तब इन […]
भारतीय वीर परंपरा का मूल स्रोत पंजाब की गुरूभूमि के प्रति औरंगजेब और उसके अधिकारियों की कोप-दृष्टि बढ़ती ही जा रही थी। पर पंजाब की गुरू परंपरा जनता में औदास्यभाव को समाप्त कर स्वराज्य भाव की ज्योति को ज्योतित किये जा रही थी। मैथिलीशरण गुप्त ने लिखा है :- ”आने न दो अपने निकट औदास्यमय […]
गुरू हरिराय का अपने पुत्र रामराय के प्रति व्यवहार गुरू हरिराय के लिए यह असीम वेदना और कष्ट पहुंचाने वाली बात थी कि उनका पुत्र बादशाह औरंगजेब की चाटुकारिता करने लगे। जबकि उन्होंने अपने पुत्र रामराय को दिल्ली जाने से पूर्व भली प्रकार समझाया था कि बादशाह के समक्ष कोई भी ऐसी बात ना तो […]