कश्मीर के गौरवशाली हिंदू इतिहास के विषय में हमने पिछले लेखों में सूक्ष्म सा प्रकाश डाला था। अब पुन: कश्मीर की उस केसर को इतिहास के गौरव पृष्ठों पर खोजने का प्रयास करते हैं, जिसकी सुगंध ने इस स्वर्गसम पवित्र पंडितों की पावन भूमि को भारतीय इतिहास के लिए श्लाघनीय कार्य करने के लिए प्रेरित और […]
Category: संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा
मनुष्य के वैभव काल में उसके ‘सदगुण’ उसकी ढाल बनते हैं, जो हर प्रकार की आपदा से उसकी रक्षा करते हैं। परंतु पराभव काल में वही सदगुण उस व्यक्ति की विकृति बन जाते हैं। स्वातंत्रय वीर सावरकर ने ‘सद्गुण विकृति’ की इस रहस्यमयी पहेली को भारतीय इतिहास के संदर्भ में बड़ी सावधानी और विवेकशीलता से स्पष्ट किया है। दीये की आवश्यकता […]
भारतीय इतिहास को अत्यंत दुर्बल और कायर हिंदू जाति का इतिहास सिद्घ करने के लिए तथा यहां 1235 वर्ष तक चले स्वतंत्रता संघर्ष को उपेक्षित करने के लिए हमें भारतीय शासकों के विश्व विजयी अभियानों से अथवा उत्सवों से परिचित नही कराया जाता है। देश की महानता के मापदण्ड जब आप किसी जाति के इतिहास […]
छोटे-छोटे राज्य व्यक्ति की सोच को संकीर्ण बनाते हैं। व्यक्ति अपने राज्य के लोगों को ही अपना मानता है, और बाहरी लोगों ‘परदेशी’ मानता है। व्यक्ति के व्यक्तित्व के विकास के लिए इसीलिए संपूर्ण भूमंडल को ‘एक देश’ या एक परिवार बनाने हेतु आर्यावर्त्तीय राजाओं ने चक्रवर्ती साम्राज्य स्थापित करने का आदर्श लक्षित किया। व्यक्ति […]
राकेश कुमार आर्य वेद का पुरूष सूक्त बड़ा ही आनंददायक है। वहां क्षर पुरूष प्रकृति जो कि नाशवान है, अक्षर पुरूष-जीव, जिसकी जीवन लीला प्रकृति पर निर्भर है, और जो इसका भोक्ता है, और अव्यय पुरूष पुरूषोत्तम-ईश्वर के परस्पर संबंध का मनोहारी वर्णन है। इसी वर्णन में कहीं राष्ट्र का ‘बीज तत्व’ छिपा है।वेद का […]
गतांक से आगे… भारतीय इतिहास को विकृतीकरण से उबारने का आवाहन करते हुए स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि अब यह हमारे लिए है कि (इतिहास की) शोध का हम अपना व्यक्तिगत स्वतंत्र मार्ग अपनावें और वेदों, पुराणों और अन्य प्राचीन ऐतिहासिक गृथों का अध्ययन करें, और जीवन की साधना बना देश का भारत भूमि […]
गतांक से आगे….. राकेश कुमार आर्य इसीलिए महाभारत (अ. 145) में कहा गया है कि शासक को चाहिए कि भयातुर मनुष्यों की भय से रक्षा करे, दीन दुखियों पर अनुग्रह करे, कर्त्तव्य अकर्त्तव्य को विशेष रूप से समझे, तथा राष्ट्र हित में संलग्न रहे। सबको यह कामना करनी चाहिए कि राष्ट्र में पवित्र आचरण वाले […]
डा. संपूर्णानंद का कथन है कि-’विज्ञान के नाम पर अपनी ज्ञान धरोहर को एकदम खारिज कर दिया जाए यह भी अंधविश्वास का ही एक प्रकार है, क्योंकि सही विज्ञान को परीक्षण के अनंतर ही निष्कर्ष निकालता है। अपनी वैदिक परंपरा तो जांच की परंपरा रही है, उसे जांचें और उस जांच में कुछ त्याज्य पायें […]
भारत की जनता या भारत के नरेश जितने बड़े स्तर पर किसी विदेशी अक्रांता को चुनौती देते थे, उतने ही बड़े स्तर पर विजयी होने पर विदेशी अक्रांता यहां नरसंहार, लूट, डकैती और बलात्कार की घटनाओं को अंजाम दिया करता था। महमूद ने भी वहीं-वहीं अधिक नरसंहार कराया जहां-जहां उसे अधिक चुनौती मिली। वस्तुत: ऐसा […]
भारतीय इतिहास अदभुत रोमांचों से भरा पड़ा है। यह सच है कि विदेशी इतिहासकारों ने उन रोमांचपूर्ण किस्से कहानियों के सच को इतिहास में स्थान नही दिया। इसके विपरीत हमें समझाया और पढ़ाया गया कि तुम्हारा अतीत कायरता का रहा। दूसरे, तुम सदा युद्घ में पराजित हुए हो, तीसरे, तुममें कभी भी राष्ट्रवाद की भावना नही रही, चौथे-हिंदुओं की […]