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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

भयंकर झंझावातों के मध्य भी हमारी जीवन्तता बनी रही

जब तुर्कों के सामने राजपूतों की पराजय के कारणों का उल्लेख किया जाता है, तो सामान्यतया भारतीयों की जातिगत सामाजिक व्यवस्था को भी हर इतिहासकार दोषी मानता है। डा. ईश्वरी प्रसाद लिखते हैं :-”इन दोनों जातियों का संघर्ष दो भिन्न सामाजिक व्यवस्थाओं का संघर्ष था। एक पुरानी व्यवस्था (हिन्दुत्व) पतनोन्मुख थी, और दूसरी यौवनपूर्ण तथा […]

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अंतिम विजय के लिए सतत संघर्ष का प्रवाह ‘पराजय’ में भी बना रहा

राजपूतों की पराजय के राजनीतिक कारणों पर विचार करते हुए हमें प्रचलित इतिहास में जो कारण पढ़ाए जाते हैं, उनमें प्रमुख कारण निम्न प्रकार हैं :- -भारत में राजनीतिक एकता का अभाव होना। -मुसलमानों में एकता की प्रबलता का पाया जाना। -तुर्कों की हिंदुओं से अच्छी शासन व्यवस्था का होना। -राजपूतों की लोक कल्याण की […]

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महारानी संयोगिता व हजारों बलिदानियों के बलिदान का स्मारक-लालकिला

राकेश कुमार आर्यसज्जन और सप्तपदीकहा जाता है कि ”सतां सप्तपदी मैत्री” अर्थात सज्जनों में सात पद चलते ही मैत्री हो जाती है। ये सात पद मानो सात लोक हैं, प्रत्येक पद से एक लोक की यात्रा हो जाती है। अत: सात पद किसी के साथ चलने का अर्थ है कि मैंने आपकी मित्रता स्वीकार की। […]

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राजकुमारी कल्याणी और बेला का वो अविस्मरणीय आत्मबलिदान

राकेश कुमार आर्य मनु महाराज ने मनुस्मृति (7/14) में लिखा है :- दण्ड: शास्ति प्रजा: सर्वा दण्ड एवाभिरक्षति। दण्ड: सुप्तेषु जागर्ति दण्डं धर्मम बिदुर्बुधा:। अर्थात दण्ड ही है जो सब प्रजा पर शासन करता है, दण्ड ही जनता का संरक्षण करता है, सोते हुओं में दण्ड ही जागता है, अर्थात दण्ड के भय से चोरी-जारी […]

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कानपुर के किसोरा राज्य की आत्मबलिदानी राजकुमारी ताजकुंवरी

राकेश कुमार आर्यभारत पर आक्रमण करने के पीछे मुस्लिम आक्रांताओं का उद्देश्य भारत में लूट, हत्या, बलात्कार, मंदिरों का विध्वंस और दांव लगे तो राजनीतिक सत्ता पर अधिकार स्थापित करना था। अत: भारतीयों ने भी इन चारों मोर्चों पर ही अपनी लड़ाई लड़ी। जहां मुस्लिमों ने केवल लूट मचायी वहां कितने ही लोगों ने लूट […]

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अपने ‘राष्ट्रीय-संकल्प’ के लिए प्राणाहुति देने वाला संयमराय

वेद ने राष्ट्र को गौमाता के समान  पूजनीय और वंदनीय माना है। वेद का आदेश है कि मैं यह भूमि आर्यों को देता हूं। वेद ऐसा संदेश इसलिए दे रहा है कि वह संपूर्ण भूमंडल को ही आर्य बना देना चाहता है। परंतु संसार को आर्य बनाने से पूर्व वेद की दो शर्तें हैं। उन […]

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हिन्दू राजा वीर राय का मौन स्मारक है-आसाम की धरती

आसाम-अर्थात पूर्वी भारत का अंतिम छोर। जी हां, ये वही पुराना कामरूप है जहां कभी सूर्य सबसे पहले आकर अपनी किरणें बिखेरता था, आज यह सौभाग्य चाहे अरूणांचल प्रदेश को मिल रहा है, पर हमें यह नही भूलना चाहिए कि आज का अरूणांचल प्रदेश भी पुराने आसाम का ही एक भाग है। पूर्व दिशा प्रकाश […]

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बुन्देलखण्ड की वीरभूमि के सपूत आल्हा-ऊदल

भारत की पवित्र भूमि के लिए बड़ा सुंदर गीत गाया जाता है :- मेरे देश की धरती सोना उगले.. उगले हीरे मोती…मेरे देश की धरती………….. मैं समझता हूं भारत मां के लिए जिस कवि के हृदय में भी ये भाव मचले होंगे और उन्होंने जब कुछ शब्दों का रूप लिया होगा तो वह कवि भी […]

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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

इतिहास नायकों के साथ ‘क्रूर उपहास’ होता आ रहा है

भारत में गौरी की जीत और पृथ्वीराज चौहान की हार को वर्तमान प्रचलित इतिहास में एक अलग अध्याय के नाम से निरूपित किया जाता है। जिसका नाम दिया जाता है-राजपूतों की पराजय के कारण। राजपूतों की पराजय के लिए मौहम्मद गौरी के चरित्र में चार चांद लग गये हैं, और जो व्यक्ति नितांत एक लुटेरा […]

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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

लेखनी को बेचने वालों ने बेच दिया देश का सम्मान

मौहम्मद गौरी के हाथों पृथ्वीराज चौहान की पराजय का उल्लेख करते हुए डा. शाहिद अहमद ने अपनी पुस्तक ‘भारत में तुर्क एवं गुलाम वंश का इतिहास’ नामक पुस्तक में कई इतिहास लेखकों के उद्घरण प्रस्तुत किये हैं। इन इतिहास लेखकों के उक्त उद्घरणों को हम यहां यथावत दे रहे हैं।जो ये सिद्घ करते हैं कि […]

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