संसार में दो प्रकार का ज्ञान मिलता है-एक है नैसर्गिक ज्ञान और दूसरा है नैमित्तिक ज्ञान। नैसर्गिक (निसर्ग अर्थात प्रकृति इसी शब्द से अंग्रेजी का ‘नेचर’ शब्द बना है) ज्ञानान्तर्गत आहार, निद्रा, भय और मैथुन आते हैं, जबकि नैमित्तिक ज्ञानान्तर्गत संसार के प्राणियों के संसर्ग और संपर्क में आने से मिलने वाला ज्ञान सम्मिलित है। […]
Category: संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा
दिल्ली ने भारत के उत्थान-पतन के कई पृष्ठों को खुलते और बंद होते देखा है। कई राजवंशों ने यहां लंबे समय तक शासन किया, पर समय वह भी आया कि जब उनका इतिहास सिमट गया और उनके सिमटते इतिहास केे काल में ही किसी दूसरे राजवंश ने दिल्ली की धरती पर आकर अपने वैभवपूर्ण उत्थान […]
जब पृथ्वीराज चौहान का तेजोमयी पुण्य प्रताप मां भारती के लिए अपना बलिदान देकर मां के श्री चरणों में विलीन हो गया, और जब ‘जयचंदी-छलप्रपंचों’ के कारण कई दुर्बलताओं ने मां केे आंगन में विदेशी आक्रांता को भीतर तक घुसने का अवसर उपलब्ध करा दिया तो मौहम्मद गौरी की मृत्यु के पश्चात उसके द्वारा भारत […]
सम्मान, संपत्ति, सत्ता और शक्ति के लिए विश्व के पिछले दो हजार वर्ष के युद्घ हुए हैं। इन युद्घों को लड़ते-लड़ते एक धारणा रूढ़ हो गयी, या स्थापित कर दी गयी कि जर, जोरू और जमीन के लिए तो सभी लड़ते हैं। जबकि ऐसा कहना समस्या का समाधान नही है, अपितु समस्या को और भी […]
बात सन 986-987 की है। भारत पर उस समय आक्रमण करने की एक श्रंखला को महमूद गजनवी अभी आरंभ कर नही पाया था। तब प्रतीहार वंश भारत में पतनोन्मुख हो चला था, यद्यपि यह वंश भारत के लिए बहुत ही गौरव प्रदान कराने वाला रहा था। ऐसा गौरव जिसे देखकर इतिहासकारों की मान्यता बनी कि […]
गुजरात का प्राचीन काल से ही भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रहा है। यह प्रांत वीर गुर्जर जाति का निवास स्थान रहा है। गुर्जर जाति ने इस प्रांत से देश विदेश के बहुत बड़े भूभाग पर शासन किया और मां भारती के यश और शौर्य की गाथा का डिण्डिम घोष किया। डॉ॰ राकेश […]
प्रसिद्घ दार्शनिक सुकरात को शीशा देखने का बड़ा चाव था। नित्य की भांति वह उस दिन भी शीशा देख रहे थे, तो उन्हें शीशा देखते हुए उनके एक शिष्य ने देख लिया। शिष्य अपने कुरूप गुरू को शीशा देखते हुए देखकर मुस्कराने लगा। उसकी मुस्कुराहट ने दार्शनिक सुकरात को समझा दिया कि वह क्यों हंस […]
जब विदेशियों ने भारत के इतिहास लेखन के लिए लेखनी उठाई तो उन्होंने भारतीय समाज की तत्कालीन कई दुर्बलताओं को दुर्बलता के रूप में स्थापित ना करके उन्हें भारतीय संस्कृति का अविभाज्य अंग मानकर स्थापित किया। जैसे भारत में मूर्तिपूजा ने भारत के लोगों को भाग्यवादी बनाने में सहयोग दिया, यद्यपि मूलरूप में भारत भाग्यवादी […]
तुर्कों के भारत में आकर यहां के कुछ क्षेत्र पर बलात अपना नियंत्रण स्थापित कराने में इस्लाम की धार्मिक (पंथीय या साम्प्रदायिक कहना और भी उचित रहेगा) मान्यताओं ने प्रमुख भूमिका निभाई। इन मान्यताओं के अनुसार इस्लाम संपूर्ण मानवता को दो भागों में विभाजित करके देखता है, सर्वप्रथम है-‘दारूल-इस्लाम’ अर्थात वो देश जिनका इस्लामीकरण किया […]
जिस प्रकार हमारे पतन के राजनैतिक कारणों में कुछ काल्पनिक कारण समाहित किये गये हैं और वास्तविक कारणों को वर्णित नही किया गया है, उसी प्रकार हमारे पतन के लिए कुछ काल्पनिक सैनिक कारण भी गिनाये जाते हैं। पर इन सैनिक कारणों को गिनाते समय भी हमारे अतीत का ध्यान नही रखा जाता है और […]