बहुत पुरानी बात नही है ये …… 1960 तक भारत मे गेहूं का आटा जिससे पूड़ियाँ बनती थीं , साल में बमुश्किल एकाध बार जब कभी कोई शादी बियाह य्या काज प्रयोजन होता तो पूड़ियाँ बनती थीं ……. अंग्रेजों के मानसिक गुलाम ही गेहूं की रोटी खाते थे ……. शेष भारत , आम जन सब […]
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उगता भारत ब्यूरो प्राचीन समय से ही मनुष्य नाड़ी देखकर रोगों की पहचान करने का सिस्टम चला आ रहा है । प्राचीन काल में तो ऐसे भी वैद के जानकार हुए जो नाड़ी देखकर व्यक्ति के शरीर का हाल बता देते थे और गंभीर से गंभीर रोग की पहचान नाड़ी देखकर कर लेते थे। आज […]
प्रियेश मिश्र सूअर की कोशिकाओं में मौजूद एक शुगर (Sugar) इंसानी शरीर को स्वीकार नहीं करता है। इसी कारण पहले के सभी प्रयास फेल हुए थे, इसलिए इस बार डॉक्टरों ने स्पेशल मोडिफाइड जीन वाले सूअर का इस्तेमाल किया। अमेरिका में दुनिया में पहली बार सूअर के किडनी को इंसान के शरीर में ट्रांसप्लांट किया […]
मोनिका जोहरी सुनीता अपनी आम जिंदगी में ऊब रही हैं। पर पता नहीं क्यों? बस कुछ अच्छा नहीं लग रहा। एक जैसा काम, वही लोग और एक-सी बातें। जीवन में कुछ रोमांच ही नहीं। उबाऊपने का यह एहसास दिनभर में कई बार कचोटता है। जितनी लंबी हमारी बोरियत होती है, उदासी भी बढ़ती चली जाती […]
मुकुल व्यास कोविड के इलाज के लिए दुनिया में कई तरह की दवाएं आजमाई गई हैं लेकिन इन्हें बहुत कारगर नहीं कहा जा सकता। रिसर्चर कुछ ऐसी ऐंटीवायरल दवाएं विकसित करने की कोशिश कर रहे हैं जो आसानी से गोलियों के रूप में ली जा सकें। हैपेटाइटिस सी और एड्स जैसे अनेक वायरल इंफेक्शनों के […]
हमारे लिए कैसी होनी चाहिए शरद ऋतु चर्या
डॉ. दीपनारायण पाण्डेय आयुर्वेद की ऋतुचर्या का वर्णन विश्व में सबसे प्राचीन है और इस बात के प्रमाण हैं कि इस विद्या को प्राचीन चीन एवं ग्रीक चिकित्सा पद्धतियों सहित विश्व की अन्य चिकित्सा पद्धतियों ने भारत से सीखा और अपनी पद्धति में समाहित किया। आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में ऋग्वेद, अथर्ववेद, चरकसंहिता और सुश्रुतसंहिता आदि […]
गुरदे फेल होने पर आयुर्वेदिक उपचार
डॉ. अनुराग विजयवर्गीय (लेखक प्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्य हैं।) मानव शरीर में स्वस्थ अवस्था में गुरदे लगभग एक सौ पच्चीस मिलीलीटर रक्त एक मिनट में शुद्ध करते हैं। गुरदों के द्वारा हमारे शरीर से विषाक्त एवं अनुपयोगी तत्व बाहर हो जाते हैं। जब गुरदों की यही कुदरती क्रिया बाधित होती है, तो रक्त से विष जातीय तत्व […]
ओ३म् मनुष्य की उत्पत्ति अपनी आत्मा तथा परमात्मा सहित इस सृष्टि को जानने तथा सद्कर्म करने के लिये हुई है। क्या हम अपनी आत्मा, ईश्वर और इस सृष्टि को यथार्थरूप में जानते हैं? इसका उत्तर हमें यह मिलता है कि हम व संसार के प्रायः सभी लोग जिनमें सभी मतों के लोग व अनुयायी भी […]
रमेश ठाकुर रहस्यमयी बाल बीमारी ने हमारी नाकामी की एक ऐसी तस्वीर उजागर की है, जिसकी भरपाई हम सालों पहले कर सकते थे। भारत में शिशु अस्पतालों और बाल-चिकित्सकों की भारी कमी है, जिसका खमियाजा नौनिहाल अपने असमय मौत से चुका रहे हैं। कुदरत मानव पर पीड़ाओं का दौर किस्तों में दे रहा है। कोरोना […]
आलोक शुक्ला शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. मधुमिता के अग्रवाल कहती हैं- ‘कोरोना काल में हम सबने शुद्ध खानपान और प्राकृतिक जीवन पद्धति के महत्व को गहराई व गंभीरता से समझा है। हर मौसम में जब संक्रमण काल (मौसम परिवर्तन का समय) आता है उस समय हमारे अस्पतालों-क्लीनिकों में बच्चों की भीड़ लग जाती है। इसमें […]