ह्रदय नारायण दीक्षित गीता दर्शन ग्रंथ है। इसका प्रारम्भ विषाद से होता है और समापन प्रसाद से। विषाद पहले अध्याय में है और प्रसाद अंतिम में। अर्जुन गीता समझने का प्रभाव बताते हैं, “नष्टो मोहः स्मृतिर्लब्धा त्वत्प्रसादान्मयाच्युत।“ हे कृष्ण आपके प्रसाद से – त्वत्प्रसादान्मयाच्युत मोह नष्ट हो गया। प्रश्न उठता है कि यह विषाद क्या […]
