Categories
पर्यावरण

‘नौला फाउंडेशन’ : लुप्त होते जलस्रोतों को पुनर्जीवित करने का अभियान

लेखक :- डॉ. मोहन चंद तिवारी उत्तराखण्ड में जल-प्रबन्धन-8 लेखमाला के बारे में किंचित्वक्तव्य (‘हिमांतर‘ ई पत्रिका में प्रकाशित ‘भारत की जल संस्कृति’ के धारावाहिक लेख माला का यह 37 वां और ‘उत्तराखंड जल प्रबंधन’ का 8वां लेख है. मेरे छात्रों, सहयोगी अध्यापकों और अनेक मित्रों का परामर्श है कि ये जल विज्ञान से सम्बंधित […]

Categories
पर्यावरण स्वास्थ्य

चातुर्मास में अनेक बंदिशें और अनेक साधनाएं

डा. राधे श्याम द्विवेदी रविवार 10 जुलाई 2022 से चातुर्मास या चौमासा की शुरुआत हो चुका है जो कि पूरे चार माह तक चलेगी.हमारे भारत देश में त्यौहारों की नदियाँ बहती हैं इसलिए हमारा देश भावनाओं का देश हैं. इस नदी में चौमासा का बहुत महत्व हैं. चौमासा आषाढ़ की एकादशी यानि देव शयनी एकादशी […]

Categories
पर्यावरण

उत्तराखण्ड में जल-प्रबन्धन तथा जलवैज्ञानिकों की रिपोर्ट

लेखक:- डॉ. मोहन चंद तिवारी उत्तराखण्ड में जल-प्रबन्धन-3 भारत के लगभग 5 लाख वर्ग कि.मी. क्षेत्रफल में स्थित उत्तर पश्चिम से उत्तर पूर्व तक फैली हिमालय की पर्वत शृंखलाएं न केवल प्राकृतिक संसाधनों जैसे जल, वनस्पति‚ वन्यजीव, खनिज पदार्थ जड़ी-बूटियों का विशाल भंडार हैं, बल्कि देश में होने वाली मानसूनी वर्षा तथा तथा विभिन्न ऋतुओं […]

Categories
पर्यावरण

*बन्दर कभी बीमार नहीं होता*

किसी भी चिड़िया को डायबिटीज नहीं होती। किसी भी बन्दर को हार्ट अटैक नहीं आता । कोई भी जानवर न तो आयोडीन नमक खाता है और न ब्रश करता है, फिर भी किसी को थायराइड नहीं होता और न दांत खराब होता है । बन्दर शरीर संरचना में मनुष्य के सबसे नजदीक है, बस बंदर […]

Categories
पर्यावरण

पहाड़ मनोरंजन के लिए नहीं

माना कि भारत का संविधान हर नागरिक को मौलिक अधिकारों के तहत देश में कहीं भी घूमने फिरने पर्यटन की आजादी देता है |संसार के पुस्तकालय की सबसे प्राचीन पुस्तक सृष्टि का सविधान वेद कहता है…….. उपह्वरे च गिरीणां संगमे च नदीनां | धिया विप्रो अजायत || ऋग्वेद 8 |6 |28 “पहाड़ों की गुफाओं में […]

Categories
पर्यावरण

चक्रपाणि मिश्र के अनुसार जलाशयों के विविध प्रकार

लेखक:- डॉ. मोहन चंद तिवारी चक्रपाणि मिश्र ने ‘विश्वल्लभवृक्षायुर्वेद’ नामक अपने ग्रन्थ में कूप,वापी,सरोवर, तालाब‚ कुण्ड‚ महातड़ाग आदि अनेक जलाश्रय निकायों की निर्माण पद्धति तथा उनके विविध प्रकारों का वर्णन किया है,जो वर्त्तमान सन्दर्भ में परंपरागत जलनिकायों के जलवैज्ञानिक स्वरूप को जानने और समझने की दृष्टि से भी बहुत उपयोगी है. यहां बताना चाहेंगे कि […]

Categories
पर्यावरण

जलाशय निर्माण में वास्तु संरचना और ग्रह-नक्षत्रों की भूमिका

लेखक:- डॉ. मोहन चंद तिवारी हमारे देश के प्राचीन जल वैज्ञानिकों ने वास्तुशास्त्र की दृष्टि से भी जलाशय निर्माण के सम्बन्ध में विशेष मान्यताएं स्थापित की हैं. हालांकि इस सम्बंध में प्राचीन आचार्यों और वास्तु शास्त्र के विद्वानों के अलग अलग मत और सिद्धांत हैं. मूल अवधारणा यह है कि जिस स्थान पर जल के […]

Categories
पर्यावरण

“बृहत्संहिता में जलाशय निर्माण की पारम्परिक तकनीक”

लेखक:-डॉ. मोहन चंद तिवारी पिछले लेखों में बताया गया है कि एक पर्यावरणवादी जलवैज्ञानिक के रूप में आचार्य वराहमिहिर द्वारा किस प्रकार से वृक्ष-वनस्पतियों की निशानदेही करते हुए, जलाशय के उत्खनन स्थानों को चिह्नित करने के वैज्ञानिक तरीके आविष्कृत किए गए और उत्खनन के दौरान भूमिगत जल को ऊपर उठाने वाले जीवजंतुओं के बारे में […]

Categories
पर्यावरण

जैव विविधता के संरक्षण के बिना विकास का कोई महत्व नहीं है

<img src="https://www.ugtabharat.com/wp-content/uploads/2022/06/images-2022-06-26T073234.870-300×158.jpeg" alt="" width="300" height="158" class="alignright size-medium wp-image-59797" / प्रह्लाद सबनानी  जैव विविधता का संरक्षण करना अब बहुत जरूरी हो गया है। हमारा जीवन प्रकृति का अनुपम उपहार है। अत: पेड़-पौधे, अनेक प्रकार के जीव-जंतु, मिट्टी, हवा, पानी, महासागर-पठार, समुद्र-नदियां इन सभी का संरक्षण जरूरी है क्योंकि ये सभी हमारे अस्तित्व एवं विकास के लिए […]

Categories
पर्यावरण

वैश्विक तापमान में वृद्धि और इसके परिणामस्वरूप मौसमी परिवर्तन

दो बूंद गंगाजल अरुण तिवारी (वैश्विक तापमान में वृद्धि और इसके परिणामस्वरूप मौसमी परिवर्तन। निःसंदेह, वृद्धि और परिवर्तन के कारण स्थानीय भी हैं, किंतु राजसत्ता अभी भी ऐसे कारणों को राजनीति और अर्थशास्त्र के फौरी लाभ के तराजू पर तौलकर मुनाफे की बंदरबांट में मगन दिखाई दे रही है। जन-जागरण के सरकारी व स्वयंसेवी प्रयासों […]

Exit mobile version