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पर्यावरण

मानव जीवन को बचाने के लिये पृथ्वी संरक्षण जरूरी

ललित गर्ग जल, जंगल और जमीन इन तीन तत्वों से पृथ्वी और प्रकृति का निर्माण होता है। यदि यह तत्व न हों तो पृथ्वी और प्रकृति इन तीन तत्वों के बिना अधूरी है। विश्व में ज्यादातर समृद्ध देश वही माने जाते हैं जहां इन तीनों तत्वों का बाहुल्य है। पृथ्वी सभी ग्रहों में से अकेला […]

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पृथ्वी दिवस (22 अप्रैल) पर विशेष : कार्बन उत्सर्जन में गांव भी पीछे नहीं

डॉ. संतोष सारंग मुजफ्फरपुर, बिहार शिवचंद्र सिंह तीन भाई हैं और तीनों किसान हैं. ये तीनों चिलचिलाती धूप, कड़ाके की ठंड एवं मूसलाधार बारिश की मार झेलकर भी धरती का सीना चीर अनाज उपजाते हैं, तब बमुश्किल परिवार का भरण-पोषण हो पाता है. बिहार के वैशाली जिले का एक गांव है कालापहाड़. शिवचंद्र सिंह की […]

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जलवायु परिवर्तन से प्रभावित होते इंसान और जानवर

गिरीश बिष्ट रुद्रपुर, उत्तराखंड वर्तमान समय में जलवायु परिवर्तन वैश्विक समाज के सक्षम मौजूद सबसे बड़ी चुनौती है. साथ ही इससे निपटना इस समय सबसे बड़ी आवश्यकता बन गयी है. जलवायु परिवर्तन हर रूप में अपने प्रभावों से समाज के हर वर्ग को प्रभावित करता है. सामान्यतः देखा जाए तो जलवायु का आशय किसी क्षेत्र […]

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दिल्ली से मुक्ति मांग रही ब्रज की यमुना

ब्रहमानंद राजपूत यमुना नदी एक हजार 29 किलोमीटर का जो सफर तय करती है, उसमें दिल्ली से लेकर चंबल तक का जो सात सौ किलोमीटर का जो सफर है उसमें सबसे ज्यादा प्रदूषण तो दिल्ली, आगरा और मथुरा का है। दिल्ली के वजीराबाद बैराज से निकलने के बाद यमुना बद से बदतर होती जाती है। […]

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हमने प्रकृति की उपेक्षा करते हुए उसके उपहारों का उपयोग भी छोड़ दिया है

डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा एम्स के हालिया अध्ययन में सामने आया है कि हार्ट फेलियर के मरीजों को पर्याप्त मात्रा में विटामिन डी दिया जाए तो उनके लक्षण में काफी कमी आ जाएगी। दरअसल एम्स के अध्ययन में खुलासा हुआ है कि 70 फीसदी दिल्लीवासियों में विटामिन डी की डेफिसिएंसी पाई गई है। यदि चिकित्सकों […]

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हर घर नल, मगर जल नहीं

हंसी बघरी/नंदिनी कपकोट, बागेश्वर उत्तराखंड देश के ग्रामीण क्षेत्रों के प्रत्येक घर तक नल के माध्यम पीने के साफ़ पानी पहुंचाने की योजना देश के अन्य राज्यों के साथ साथ पहाड़ी राज्य उत्तराखंड में भी चलाई जा रही है. उत्तराखंड सरकार द्वारा राज्य की जनता के लिए एक रुपये में पानी कनेक्शन योजना की शुरुआत […]

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पर्वतीय क्षेत्रों में आधुनिकीकरण बन सकता है विनाश का कारण

नरेंद्र सिंह बिष्ट हल्द्वानी, नैनीताल आधुनिकीकरण किसी भी देश के विकास का अहम पैमाना होता है. लेकिन अंधाधुंध विकास अब विनाश का कारण बनता जा रहा है. इसका प्रभाव केवल महानगरों तक ही सीमित नहीं है बल्कि पर्वतीय राज्य भी इससे प्रभावित हो रहे हैं. विशाल निर्माण कार्य पर्वतीय राज्यों के भविष्य पर प्रश्नवाचक चिन्ह […]

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पुराणों व हिन्दू धर्मग्रंथों में उल्लेखित पर्यावरण ज्ञान*

★ 10 कुॅंओं के बराबर एक बावड़ी, 10 बावड़ियों के बराबर एक तालाब, 10 तालाब के बराबर 1 पुत्र एवं 10 पुत्रों के बराबर एक वृक्ष है। ( मत्स्य पुराण ) ★ जीवन में लगाये गये वृक्ष अगले जन्म में संतान के रूप में प्राप्त होते हैं। (विष्णु धर्मसूत्र 19/4) ★ जो व्यक्ति पीपल अथवा […]

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मौसम के बदलते मिजाज़ को समझना ज़रूरी है

नितिन बिष्ट नैनीताल, उत्तराखंड जोशीमठ में जो कुछ भी हो रहा है, वह प्राकृतिक आपदा तो बिल्कुल भी नहीं है. विकास के नाम पर विनाश की यह नींव हम इंसानों ने ही रखी है. इसकी शुरुआत कोई एक दो साल पहले नहीं हुई है बल्कि दशकों से यही सब होता आ रहा है. ऐसा नहीं […]

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पर्यावरण महत्वपूर्ण लेख मुद्दा समाज

“बिन पानी सब सून” कहावत हमारे जीवन में कहीं वास्तविकता न बन जाए

ऐसा कहा जा रहा है कि आगे आने वाले समय में विश्व में पानी को लेकर युद्ध छिड़ने की स्थितियां निर्मित हो सकती हैं, क्योंकि जब भूगर्भ में पानी की उपलब्धता यदि इसी रफ्तार से लगातार कम होती चली जाएगी तो वर्तमान स्थानों (शहरों एवं गावों में) पर निवास कर रही जनसंख्या को अन्य स्थानों […]

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