नरेन्द्र सिंह बिष्ट हल्द्वानी, उत्तराखंड राष्ट्रपिता महात्मा गांधी हमेशा स्वच्छता पर ज़ोर देते रहे हैं. बापू का एक ही सपना था कि ‘स्वच्छ हो भारत अपना’. वर्तमान की केंद्र सरकार भी ‘स्वच्छ भारत मिशन’ के तहत राष्ट्रपिता के इस ख्वाब को आगे बढ़ाते हुए स्वच्छता पर विशेष ज़ोर देती रही है. लेकिन इसके बावजूद देश […]
श्रेणी: पर्यावरण
डॉली गढ़िया कपकोट, उत्तराखंड समय पूर्व तैयारियों ने हमें चक्रवाती तूफ़ान ‘बिपरजॉय’ से होने वाले नुकसान से तो बचा लिया लेकिन यह अपने पीछे कई सवाल छोड़ गया है. सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या हमारा पर्यावरण असंतुलित हो रहा है? भयंकर गर्मी, बेमौसम बारिश, चक्रवात, सूखा, ओलावृष्टि और जंगलों में लगने वाली आग […]
प्राचीन जलविज्ञान जलविज्ञान के आविष्कर्ता वैदिक ऋषि ‘सिन्धुद्वीप’ शनिदेव की आराधनामंत्र के मंत्रद्रष्टा ऋषि भी थे सिन्धुद्वीप “जलमेव जीवनम्” 12मार्च, 2014 को ‘उत्तराखंड संस्कृत अकादमी’, हरिद्वार द्वारा ‘आई आई टी’ रुडकी में आयोजित विज्ञान से जुड़े छात्रों और जलविज्ञान के अनुसंधानकर्ता विद्वानों के समक्ष मेरे द्वारा दिए गए वक्तव्य ‘प्राचीन भारत में जलविज्ञान‚ जलसंरक्षण और […]
योगेश कुमार गोयल जलवायु परिवर्तन और प्रदूषित वातावरण के बढ़ते खतरे हम अब लगातार अनुभव कर रहे हैं। इसीलिए पर्यावरण की सुरक्षा तथा संरक्षण के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 5 जून को पूरी दुनिया में ‘विश्व पर्यावरण दिवस’ मनाया जाता है। वर्तमान समय में पर्यावरण प्रदूषण सबसे बड़ी वैश्विक समस्या है। तीन दशकों से महसूस किया […]
डॉ. दीपक आचार्य मूड और मौसम ये दोनों ही अब ऐसे हो गए हैं कि इनका पता ही नहीं चलता। पहले बारह महीनों में कुछ-कुछ माह तय होते थे क्रमिक रूप से गर्मी, सर्दी और बरसात के। और इनका क्रम भी कुछ वर्ष पूर्व तक तकरीबन इसी तरह बना हुआ रहता था। हाल के कुछ […]
डॉ. संतोष सारंग मुजफ्फरपुर, बिहार ग्लोबल वॉर्मिंग के लिए जिम्मेदार घातक कारकों में सड़कों पर दौड़ाने वाले वाहनों की बेतहाशा बढ़ती संख्या एक प्रमुख कारक है. सार्वजनिक वाहनों को छोड़ कर जानलेवा व दूषित कणों को उत्सर्जित करने वाली निजी गाड़ियों का उपयोग लोगों का स्टेटस सिंबल बनता जा रहा है. यही कारण है कि […]
ललित गर्ग पानी का इस्तेमाल करते हुए हम पानी की बचत के बारे में जरा भी नहीं सोचते, जिसके परिणामस्वरूप अधिकांश झीलों एवं नदियों में जल संकट की स्थिति पैदा हो चुकी है। तापमान में जैसे-जैसे वृद्धि हो रही है, भारत के कई हिस्सों में पानी की समस्या विकराल रूप धारण कर रही है। दुनिया […]
देवेन्द्रराज सुथार राजस्थान पिछले दशकों में पर्यावरण का तेज़ी से क्षरण हुआ है और प्लास्टिक ने इसमें बड़ी भूमिका निभाई है. ख़ासकर सिंगल यूज प्लास्टिक ने हरी-भरी धरती को बंजर करने के साथ-साथ समूचे जलीय और पारिस्थितिकी तंत्र के लिए भयानक संकट खड़ा कर दिया है. कई अध्ययनों में इस बात की पुष्टि हुई है […]
सारस का सर्वनाश,ये कैसा विकास । सारस इस पृथ्वी का सबसे बड़ा उड़ने वाला पक्षी है। सौभाग्य से भारत सहित दक्षिण एशिया आदि में ही पाया जाता है। गंभीर रूप से संकटग्रस्त इस पक्षी की महज पूरे विश्व में 20 से 25 हजार की आबादी मानी जाती है। इसमें भी आधे सारस भारत में पाए […]
डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा औद्योगिकीकरण के साथ ही पर्यावरण संरक्षण के जो कार्य किए जाने थे या यों कहे कि जो सावधानी बरतनी थी उस ओर हमारा समय रहते ध्यान गया ही नहीं। गगनचुंबी इमारतों के रहवासियों के लिए प्राकृतिक धूप और प्रकाश दूर की बात होता जा रहा है। भले ही जलवायु परिवर्तन को […]