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पर्यावरण

आधुनिकता की दौड़ में नदी पुनर्जीवन ही विकल्प

सुरेश उपाध्याय आधुनिकता की दौड़ में जब योजनाओं को कुछ ज्यादा व्यवस्थित होना चाहिए था, तब सब कुछ राम भरोसे छोड़ दिया गया। मलमूत्र, औद्योगिक कचरे और तमाम तरह के अवशिष्टों ने खान नदी को तबाह कर डाला है। नदी जलसंग्रहण क्षेत्र में पेड़ों की कटाई की गई और जहां भी लोगों ने चाहा, मनमाने […]

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पर्यावरण भयानक राजनीतिक षडयंत्र भारतीय संस्कृति राजनीति संपादकीय

भारत का यज्ञ विज्ञान और पर्यावरण नीति, भाग-9

आज हमें देश के सामने खड़ी चुनौतियों के नये -नये स्वरूपों पर चिंतन करना है। प्रमादी, आलसी, निष्क्रिय होकर किसी ‘अवतार’ की प्रतीक्षा में नहीं बैठना है, अपितु क्रियात्मक रूप में कार्य करना है। क्रियात्मक रूप में जिसका वर्तमान सो जाता है, उसका भविष्य उजड़ जाया करता है। इसलिए हमें सोना नहीं है। हमें कर्मठता […]

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पर्यावरण भयानक राजनीतिक षडयंत्र भारतीय संस्कृति राजनीति संपादकीय

भारत का यज्ञ विज्ञान और पर्यावरण नीति, भाग-8

अकर्मण्यता हमारा लक्ष्य न हो प्रकृति अपना कार्य कर रही है, इतिहास अपना कार्य कर रहा है। कालचक्र अपनी गति से घूम रहा है। तीनों बातें भारत के पक्ष में हैं। किंतु इसका अभिप्राय यह कदापि नहीं है कि हम हाथ पर हाथ धरकर बैठ जाएं या अकर्मण्यता को गले लगाकर अपने दुर्भाग्य की पटकथा […]

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पर्यावरण भयानक राजनीतिक षडयंत्र भारतीय संस्कृति राजनीति संपादकीय

भारत का यज्ञ विज्ञान और पर्यावरण नीति, भाग-7

विश्व में ईसाइयत और इस्लाम के मध्य उभरता अंतद्र्वन्द हमारा ध्यान इन जातियों के पतन की ओर दिलाता है। इतिहास ने ‘ओसामा बिन लादेन’ और ‘जार्ज डब्ल्यू बुश’ को पतन के मुखौटे के रूप में तैयार कर दिया है। इनके पश्चात इनके उत्तराधिकारी आते रहेंगे और पतन की दलदल में ये और भी धंसते चले […]

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पर्यावरण भयानक राजनीतिक षडयंत्र राजनीति संपादकीय

भारत का यज्ञ विज्ञान और पर्यावरण नीति, भाग-6

इस विषय में मुझे राष्ट कवि ‘श्री त्रिपाठी कैलाश आजाद’ (सांगली) महाराष्ट निवासी की कुछ पंक्तियां याद आ रही हैं, जो यहां इस विषय में बिल्कुल सत्य साबित होती हैं, यथा- एक दूसरे के लिए, रहें कृतज्ञ हम। प्रत्येक परिस्थिति में, रहें स्थितप्रज्ञ हम।। वेदों का सार ‘इदन्नमम्’ का भाव ले। सर्वोदय की भावना से, […]

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पर्यावरण भयानक राजनीतिक षडयंत्र भारतीय संस्कृति मुद्दा राजनीति संपादकीय

भारत का यज्ञ विज्ञान और पर्यावरण नीति, भाग-5

पर्यावरण नियंत्रक सांस्कृतिक प्रकोष्ठ’ में कार्यरत व्यक्तियों के लिए आवश्यक हो कि वे संस्कृत के जानने वाले तो हों ही, साथ यज्ञ विज्ञान की गहराइयों को भी सूक्ष्मता से जानते हों। कौन सी सामग्री किस मौसम में और किस प्रकार पर्यावरण प्रदूषण से मुक्त करने में हमें सहायता दे सकती है-इस बात को ये लोग […]

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पर्यावरण भयानक राजनीतिक षडयंत्र भारतीय संस्कृति मुद्दा राजनीति संपादकीय समाज

भारत का यज्ञ विज्ञान और पर्यावरण नीति, भाग-4

महर्षि दयानंद ने कहा था- ”यदि अब भी यज्ञों का प्रचार-प्रसार हो जाए तो राष्ट्र और विश्व पुन: समृद्घिशाली व ऐश्वर्यों से पूरित हो जाएगा।” इस बात से लगता है कि भारत सरकार से पहले इसे विश्व ने समझ लिया है।  देखिये-फ्रांसीसी वैज्ञानिक प्रो. टिलवट ने कहा है- ”जलती हुई खाण्ड के धुएं में पर्यावरण […]

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पर्यावरण राजनीति संपादकीय

संतति निरोध की मूर्खतापूर्ण नीतियां अपनाने का षडय़ंत्र भाग-2

अन्नोत्पादन से कितने ही जीवों की हत्या हलादि से होती है। वनों का संकुचन होता है। फलत: पर्यावरण का संकट आ खड़ा होता है। इसलिए प्राकृतिक और स्वाभाविक रूप से जो कुछ हमें मिल रहा है वही हमारा स्वाभाविक भोजन है। अत: अन्न  से रोटी बनाना और उसे भोजन में ग्रहण करना तो एक बनावट […]

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पर्यावरण

एटमी हथियारों से मुक्ति का सपना

समय सिंह मीना हाल ही में नाभिकीय हथियारों को प्रतिबंधित करने के लिए बाध्यकारी समझौते के उद्देश्य से संयुक्त राष्ट्र महासभा के तत्त्वावधान में आयोजित बहुपक्षीय वार्ता जून–जुलाई २०१७ तक समझौते का प्रारूप विकसित कर लेने की उम्मीदों के साथ समाप्त हो गई। यह वार्ता संयुक्त राष्ट्र महासभा की प्रथम समिति, जो कि नि:शस्त्रीकरण तथा […]

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पर्यावरण

क्या हो सकते हैं नदियों की नागरिकता के मायने

हमारा तो पूरा प्राचीन संस्कृत साहित्य वेद, उपनिषद्, रामायण, महाभारत और पुराण, सभी नदियों की बहती संगीतमयी स्वरलहरियों की गूंज में ऋषि-मुनियों ने रचे। आज हमारे नीति और प्रकृति को बचाने के जितने भी उपाय हैं, उनके संस्कार हमने इन्हीं ग्रंथों से लिए हैं। इनके प्रति समाज का जो भी सम्मान भाव है, वह इसी […]

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