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पर्यावरण

अगले 10 वर्षों में जीवाश्म ईंधन का आयात 50% कम करने की भारत के लिए चुनौती

भारत ने 2023 में लगभग 125 बिलियन डॉलर का जीवाश्म ईंधन (क्रूड ऑयल, एलपीजी और सीएनजी) आयात किया था और 2024 में लगभग 101 बिलियन डॉलर का जीवाश्म ईंधन आयात किया था। संसद की 2023- 24 की स्टैंडिंग समिति ने अपने रिपोर्ट में इंटरनेशनल एनर्जी एसोसिएशन (IEA) का हवाला देकर कहा है कि 2040 तक […]

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प्रकृति का रौद्र रुप मानव के मनमाने आचरण का परिणाम*

(मनोज कुमार अग्रवाल -विनायक फीचर्स) हिमाचल के शिमला, कुल्लू ,किन्नौर ,उत्तराखंड के हरिद्वार, देहरादून ,चमोली में बादल फटने की घटनाओं में करीब 25 से अधिक लोगों की मौत हो गई है जबकि एक सौ लोग लापता हैं वहीं केरल के वायनाड जिले में बीते 30 जुलाई मंगलवार को मेप्पाडी के पास विभिन्न पहाड़ी इलाकों में […]

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पर्यावरण

धरती को रखना हरा-भरा,

धरती को रखना हरा-भरा, यह जीवन धर्म हमारा। वृक्षों का रक्षण परिपोषण, पावन कर्तव्य हमारा।। कुछ याद करे उस बलिदानी, अमृता देवी की अमर कथा, जो जूझ गयी तलवारों से, कटते पेड़ों के देख व्यथा। आखिर राजा भी नतमस्तक, टपकी टप अश्रु धारा ।।1।। अनमोल रतन जल धरती पर, वेदों ऋषियों ने यह माना हम […]

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ओ३म् “मनुष्य की ही तरह पशु-पक्षियों को भी जीनें का अधिकार है”

============ परमात्मा ने संसार में जीवात्माओं के कर्मों के अनुसार अनेक प्राणी-योनियों को बनाया है। हमने अपने पिछले जन्म में आधे से अधिक शुभ व पुण्य कर्म किये थे, इसलिये ईश्वर की व्यवस्था से इस जन्म में हमें मनुष्य जन्म मिला है। जिन जीवात्माओं के हमसे अधिक अच्छे कर्म थे, उन्हें अच्छे माता-पिता व परिवार […]

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वेदों में पर्यावरण विज्ञान

लेखक- स्वर्गीय डॉ रामनाथ वेदालंकार प्रस्तोता- प्रियांशु सेठ सहयोगी- डॉ विवेक आर्य (आज 5 जून “विश्व पर्यावरण दिवस” पर विशेष रूप से प्रकाशित) वेद का सन्देश है कि मानव शुद्ध वायु में श्वास ले, शुद्ध जल को पान करे, शुद्ध अन्न का भोजन करे, शुद्ध मिट्टी में खेले-कूदे, शुद्ध भूमि में खेती करे। ऐसा होने […]

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महर्षि दयानन्द का पर्यावरण चिंतन

महर्षि दयानन्द जी ने अपनी पुस्तक गौकरूणानिधि नामक पुस्तक पर्यावरण की रक्षा के विषय में लिखते हैं– इसीलिये आर्यावर्त्तीय राजा, महाराजा, प्रधान और धनाढ़्य लोग आधी पृथ्वी में जंगल रखते थे कि जिससे पशु और पक्षियों की रक्षा होकर औषधियों का सार दूध आदि पवित्र पदार्थ उत्पन्न हों, जिनके खाने पीने से आरोग्य, बुद्धि-बल, पराक्रम […]

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पर्यावरण

बिगड़ते पर्यावरण के लिए केवल और केवल मानव जिम्मेदार

      — सुरेश सिंह बैस “शाश्वत”          विश्व की सभी महाशक्तियां और ताकतवर देश संयुक्त राष्ट्र संघ एवं सुरक्षा परिषद द्वारा बनाएं नियम तो हैं ही, लेकिन प्रकृति के नियमों का भी उल्लंघन और अवहेलना कर रहे हैं ये शक्तिशाली देशों के नित परमाणु परीक्षणों, विस्फोटों के कारण अतिवृष्टि, अनावृष्टि और दूषित वायुमंडल हमें चेतावनी […]

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ग्राम समुदाय की सहभागिता से संभव है पर्यावरण संरक्षण

दिलीप बीदावत बीकानेर, राजस्थान दुनिया भर में पर्यावरण एक अहम मुद्दा बनता जा रहा है. यह वह मुद्दा है जिस पर क्रियान्वयन कम और संपूर्ण सृष्टि पर इसका प्रभाव अधिक नजर आ रहा है. थार का पर्यावरण भी अति संवेदनशील है. जरा सी नकारात्मक छेड़छाड़ अथवा सकारात्मक पहल का प्रभाव बड़ा होता है. विकास के […]

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गहराता जल संकट, बना सबसे बड़ी समस्या

– ललित गर्ग – मानवीय गतिविधियों और क्रिया-कलापों के कारण दुनिया का तापमान बढ़ रहा है और इससे जलवायु में होता जा रहा परिवर्तन अब मानव जीवन के हर पहलू के साथ जलाशयों एवं नदियों के लिए खतरा बन चुका है। जलवायु परिवर्तन का खतरनाक प्रभाव गंगा, सिंधु और ब्रह्मपुत्र सहित प्रमुख जलाशयों और नदी […]

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किसानों की जरूरत और पराली संकट का समाधान

फूलदेव पटेल मुजफ्फरपुर, बिहार “हम लोग बहुत मजबूर हैं, समयानुसार खेतों की जुताई-बुआई करनी पड़ती है. खेतों में सिंचाई तो स्वयं कर लेते हैं, लेकिन तैयार फसलों की कटाई के समय बहुत दिक्कत होती है. एक मजदूर को कम-से-कम चार सौ रुपये चुकाना पड़ता है. मजदूर केवल फसलों की कटाई करके चले जाते हैं और […]

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