धरती को रखना हरा-भरा, यह जीवन धर्म हमारा। वृक्षों का रक्षण परिपोषण, पावन कर्तव्य हमारा।। कुछ याद करे उस बलिदानी, अमृता देवी की अमर कथा, जो जूझ गयी तलवारों से, कटते पेड़ों के देख व्यथा। आखिर राजा भी नतमस्तक, टपकी टप अश्रु धारा ।।1।। अनमोल रतन जल धरती पर, वेदों ऋषियों ने यह माना हम […]
श्रेणी: पर्यावरण
============ परमात्मा ने संसार में जीवात्माओं के कर्मों के अनुसार अनेक प्राणी-योनियों को बनाया है। हमने अपने पिछले जन्म में आधे से अधिक शुभ व पुण्य कर्म किये थे, इसलिये ईश्वर की व्यवस्था से इस जन्म में हमें मनुष्य जन्म मिला है। जिन जीवात्माओं के हमसे अधिक अच्छे कर्म थे, उन्हें अच्छे माता-पिता व परिवार […]
लेखक- स्वर्गीय डॉ रामनाथ वेदालंकार प्रस्तोता- प्रियांशु सेठ सहयोगी- डॉ विवेक आर्य (आज 5 जून “विश्व पर्यावरण दिवस” पर विशेष रूप से प्रकाशित) वेद का सन्देश है कि मानव शुद्ध वायु में श्वास ले, शुद्ध जल को पान करे, शुद्ध अन्न का भोजन करे, शुद्ध मिट्टी में खेले-कूदे, शुद्ध भूमि में खेती करे। ऐसा होने […]
महर्षि दयानन्द जी ने अपनी पुस्तक गौकरूणानिधि नामक पुस्तक पर्यावरण की रक्षा के विषय में लिखते हैं– इसीलिये आर्यावर्त्तीय राजा, महाराजा, प्रधान और धनाढ़्य लोग आधी पृथ्वी में जंगल रखते थे कि जिससे पशु और पक्षियों की रक्षा होकर औषधियों का सार दूध आदि पवित्र पदार्थ उत्पन्न हों, जिनके खाने पीने से आरोग्य, बुद्धि-बल, पराक्रम […]
— सुरेश सिंह बैस “शाश्वत” विश्व की सभी महाशक्तियां और ताकतवर देश संयुक्त राष्ट्र संघ एवं सुरक्षा परिषद द्वारा बनाएं नियम तो हैं ही, लेकिन प्रकृति के नियमों का भी उल्लंघन और अवहेलना कर रहे हैं ये शक्तिशाली देशों के नित परमाणु परीक्षणों, विस्फोटों के कारण अतिवृष्टि, अनावृष्टि और दूषित वायुमंडल हमें चेतावनी […]
दिलीप बीदावत बीकानेर, राजस्थान दुनिया भर में पर्यावरण एक अहम मुद्दा बनता जा रहा है. यह वह मुद्दा है जिस पर क्रियान्वयन कम और संपूर्ण सृष्टि पर इसका प्रभाव अधिक नजर आ रहा है. थार का पर्यावरण भी अति संवेदनशील है. जरा सी नकारात्मक छेड़छाड़ अथवा सकारात्मक पहल का प्रभाव बड़ा होता है. विकास के […]
– ललित गर्ग – मानवीय गतिविधियों और क्रिया-कलापों के कारण दुनिया का तापमान बढ़ रहा है और इससे जलवायु में होता जा रहा परिवर्तन अब मानव जीवन के हर पहलू के साथ जलाशयों एवं नदियों के लिए खतरा बन चुका है। जलवायु परिवर्तन का खतरनाक प्रभाव गंगा, सिंधु और ब्रह्मपुत्र सहित प्रमुख जलाशयों और नदी […]
फूलदेव पटेल मुजफ्फरपुर, बिहार “हम लोग बहुत मजबूर हैं, समयानुसार खेतों की जुताई-बुआई करनी पड़ती है. खेतों में सिंचाई तो स्वयं कर लेते हैं, लेकिन तैयार फसलों की कटाई के समय बहुत दिक्कत होती है. एक मजदूर को कम-से-कम चार सौ रुपये चुकाना पड़ता है. मजदूर केवल फसलों की कटाई करके चले जाते हैं और […]
आरती लूणकरणसर, बीकानेर राजस्थान “जैसे जैसे गर्मी बढ़ रही है गांव में पानी की समस्या भी बढ़ती जा रही है. जो स्रोत उपलब्ध हैं उसमें इतना खारा पानी आता है कि हम लोगों से पिया भी नहीं जाता है. यदि मजबूरीवश पी लिया तो पेट में दर्द और दस्त होने लगते हैं. पिता जी और […]
निशान्त संयुक्त राष्ट्र की संस्था विश्व मौसम विज्ञान संगठन की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, साल 2023 में एशिया ने मौसम, जलवायु, और पानी से संबंधित खतरों का ऐसा खामियाजा भुगता कि यह दुनिया का सबसे अधिक आपदा प्रभावित क्षेत्र बन गया। विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) की एशिया में जलवायु स्थिति – 2023 रिपोर्ट […]